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कैमूर में बैंकों की सुरक्षा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति !

लगाये गये सीसीटीवी कैमरे बदहाल, अलार्म की भी नहीं दिखती व्यवस्था बैंक प्रबंधन भी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर नहीं दिखता सजग बैंक में मुंह ढके और हेलमेट पहन कर आये लोगों को रोकनेवाला कोई नहीं एटीएम में गार्ड के हाथों में बंदूक तो छोड़, एक डंडा भी नहीं, कहीं-कहीं गार्ड ही नहीं भभुआ नगर : […]

लगाये गये सीसीटीवी कैमरे बदहाल, अलार्म की भी नहीं दिखती व्यवस्था

बैंक प्रबंधन भी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर नहीं दिखता सजग
बैंक में मुंह ढके और हेलमेट पहन कर आये लोगों को रोकनेवाला कोई नहीं
एटीएम में गार्ड के हाथों में बंदूक तो छोड़, एक डंडा भी नहीं, कहीं-कहीं गार्ड ही नहीं
भभुआ नगर : इन दिनों कई जिलों में बैंक के कैश वाहन सहित बैंकों में लूटपाट की घटनाओं ने काफी बढ़ोतरी हुई है. कैमूर जिले की बात करें तो अब तक ऐसी कोई बड़ी वारदात तो नहीं हुई. लेकिन, जब बैंकों की सुरक्षा व्यवस्था की बात आती है तो यहां भी शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों के बैंकों में सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही दिखती है. निजी से लेकर सरकारी बैंकों में सुरक्षा का घोर अभाव है. कई लोग बैंक में मुंह ढके और हेलमेट पहन कर भी बैंक में घुसते नजर आये, जिन्हें रोकने वाला कोई नजर नहीं आया. पुलिस प्रशासन की तरफ से साफ निर्देश है कि किसी को भी हेलमेट लगाये या मुंह ढके शख्स को बैंक के अंदर न घुसने नहीं दिया जाये.
जिले के कई बैंकों में सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं, जिनमें हैं वह भी चल नहीं रहे. बैंक, एटीएम में लगे गार्ड के हाथों में बंदूक तो छोड़ दें एक डंडा भी नहीं है. गौरतलब है कि प्रदेश के कई स्थानों में अभी हाल ही में बैंक में लूट, डकैती की वारदात हुई है. ऐसे में कैमूर का बैंक लुटेरों के लिए आसान टारगेट हो सकता है. क्योंकि, यहां साफ तौर पर देखा जा रहा है कि बैंक प्रबंधन लापरवाही बरत रहे हैं. कई बैंकों में तो गार्ड ही नहीं है. सड़क किनारे संचालित हो रहे बैंकों को ज्यादा खतरा है. कई ग्रामीण बैंकों में अलार्म तक की व्यवस्था नहीं की गयी है. पुलिस का भी मानना है कि दिन में लोगों की चहल-पहल के दौरान हादसे को अंजाम देना फिर भी एक नजरिये से चुनौती भरा होता है.
बैंक शाखाओं की सुरक्षा की भी कोई गारंटी नहीं : ज्यादातर बैंकों में सुरक्षा के लिए सिर्फ एक गार्ड तैनात है. वह भी बैंकों द्वारा प्रतिनियुक्त. ज्यादातर बैंक शाखाओं की ओर पुलिस आमतौर पर झांकने भी नहीं जाती या फिर जाती है तो अपने काम भर से. शहरी क्षेत्र में स्थित बैंक शाखाओं की सुरक्षा की भी कोई गारंटी नहीं है. बैंकों की सुरक्षा को लेकर बैंक प्रबंधन व पुलिस अधिकारियों की बैठक तो होती है. लेकिन, यह बैठक भी महज खानापूर्ति बन कर रह गयी है.
एटीएम का भी बुरा हाल : मुख्य शाखा के अलावा शहर सहित ग्रामीण इलाकों में एटीएम की भी सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न लगा हुआ है. एटीएम की सुरक्षा में अधिकतर प्राइवेट सिक्युरिटी गार्ड ही तैनात हैं. कई गार्ड तो तैनात होते हुए दिखाई नहीं देते. सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर ये भी सिर्फ अपनी ड‍्यूटी बजा रहे हैं. बैंक प्रबंधन भी एटीएम की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सजग नहीं दिखता.
जिले में काम कर रहीं बैंकों की 110 शाखाएं
कैमूर जिले में सरकारी व निजी बैंकों की बात करें तो कुल 110 बैंक शाखाएं संचालित हो रहे हैं. भभुआ शहर में ही सरकारी व निजी 18 बैंक संचालित हैं. दिन के उजाले में तो काफी चहल-पहल होती है. लेकिन, रात होने के बाद बैंक की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं. क्योंकि, रात के अंधेरे में वारदात को अंजाम देना आसानी हो जाता है. रात के अंधेरे में होनेवाले गुपचुप हादसों के लिए बैंक में लगाये जानेवाला अलार्म बहुत ही उपयोगी साबित होती है. अलार्म बजते ही अलर्ट होकर पुलिस वहां पहुंच सकती है और आम लोगों के जरिये भी मदद मिल सकती है. लेकिन, कई बैंकों ने अपने ब्रांच में अलार्म तक की व्यवस्था नहीं करायी है. वहीं, कई बैंकों में लगे अलार्म की व्यवस्था खस्ताहाल है. ग्रामीण क्षेत्रों की शाखाएं भी सुरक्षा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है.
बोले एलडीएम
बैंकों की सुरक्षा को लेकर पुलिस अधिकारियों के साथ मीटिंग होती रहती है. सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सभी बैंक प्रबंधकों को निर्देश दिये गये हैं. सीसीटीवी कैमरा और अलार्म की व्यवस्था दुरुस्त रखने का आदेश दिया गया है. इस मामले में लापरवाही बरते जाने पर नियमानुकूल कार्रवाई भी की जायेगी.
रत्नाकर झा, एलडीएम, कैमूर

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