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लोगों को बीमार कर रहा प्याऊ का पानी

दो साल से प्याऊ की नहीं हुई सफाई, आसपास फैली गंदगी से पहुंचना भी मुश्किल भभुआ सदर : लोगों की प्यास बुझाने के लिए शहर में जगह-जगह प्याऊ लगे हुए हैं. इन प्याऊ की साफ-सफाई का जिम्मा नगर पर्षद पर है. लेकिन, दो साल से अधिक हो गये इन प्याऊ घरों की साफ-सफाई नगर पर्षद […]

दो साल से प्याऊ की नहीं हुई सफाई, आसपास फैली गंदगी से पहुंचना भी मुश्किल

भभुआ सदर : लोगों की प्यास बुझाने के लिए शहर में जगह-जगह प्याऊ लगे हुए हैं. इन प्याऊ की साफ-सफाई का जिम्मा नगर पर्षद पर है. लेकिन, दो साल से अधिक हो गये इन प्याऊ घरों की साफ-सफाई नगर पर्षद द्वारा नहीं करायी गयी. सफाई नहीं कराये जाने से प्याऊ का पानी पीने के लायक नहीं रहा और अब इन प्याऊ घरों का पानी बरतन धोने या नहाने के काम ही बस आ रहा हैं.
शहर के लोगों का भी कहना है कि अधिकतर प्याऊ की हालत काफी खराब हो चुकी है. कई सालों से न तो इनकी सफाई हुई है और न ही इन्हें बदला गया है. ऐसे में इन प्याऊ से पानी पीना यानी बीमारी की आफत मोल लेना है. गौरतलब है कि शहर के एकता चौक, जेपी चौक, रणविजय चौक, पूरब पोखरा, सदर अस्पताल सहित शहर के 11 स्थानों पर लगे प्याऊ की हालत काफी जर्जर हो चुकी हैं. इनमें से कुछ प्याऊ के आसपास तो इतनी गंदगी फैली है कि वहां प्यास बुझाना तो दूर वहां तक पहुंचना भी मुश्किल है.
वहीं, कुछ प्याऊ में तो पानी ही नहीं है.
प्याऊ की बदहाली से बोतलबंद पानी बना मजबूरी शहर में प्याऊ की बदहाली और देखरेख नहीं किये जाने की वजह से चौक-चौराहों से लेकर रणविजय चौक, सदर अस्पताल के आसपास स्थित पान दुकानों में रखे जानेवाले बोतल बंद पानी खरीद कर पीने की लोगों की मजबूरी हो जाती है. वहीं, इस मजबूरी का लाभ लेते हुए दुकानदार 15 रुपये के पानी की बोतल को 20 रुपये में बेच रहे हैं.
प्याऊ की देखरेख में नगर पर्षद बरत रही उदासीनता भभुआ शहर में सामाजिक सरोकार के उद्देश्य से नगर पर्षद द्वारा स्थायी प्याऊ की व्यवस्था शहर के 11 स्थानों पर की गयी है. लेकिन, दो साल से अधिक का समय हो गया. लेकिन, शायद ही नप द्वारा लगाये गये उन प्याऊ की साफ-सफाई की जरूरत समझी. प्याऊ में बैठे काई और गंदगी व दुर्गंध के चलते प्याऊ का पानी होटलवाले या रेहड़ीवाले के बरतन धोने के काम आ रहा है. इधर, देखरेख के अभाव में अब उन प्याऊ की हालत जर्जर होती जा रही है. प्यासों को पानी पिलाने के उद्देश्य से स्थापित किये गये उक्त प्याऊ की देखरेख में उदासीनता बरती जा रही है, जिससे साल के 12 में से लगभग नौ महीने प्याऊ की देखरेख भगवान भरोसे रहती है और इस उदासीनता की वजह से अच्छे प्याऊ भी जर्जर और अनुपयोगी होते जा रही है. उनका समय-समय पर रंग रोगन कराते हुए प्यासों को पानी पिलाने का काम किया जाना चाहिए था. लेकिन नगर पर्षद का ध्यान उस ओर नहीं है.
सभी प्याऊ की होगी सफाई व रंग-रोगन
शहर में लगे प्याऊ घरों की दुर्दशा व साफ-सफाई नहीं किये जाने के संबंध में नगर अध्यक्ष जैनेंद्र कुमार आर्य ने बताया कि जल्द ही सभी प्याऊ घरों का वृहद रूप से साफ-सफाई करा सभी की व्यवस्था ठीक कराते हुए उनका रंग-रोगन कराया जायेगा.

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