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2018 में व्यवसायियों को अच्छे दिन की उम्मीद

वर्ष 2017 में नोटबंदी व जीएसटी के चलते शहर के व्यवसायियों का व्यापार रहा मंदा व्यवसायियों को जीएसटी में दी गयी राहत से नये वर्ष में फायदे की उम्मीद भभुआ सदर : वर्ष 2017 नोटबंदी, सिक्कों की घनघोर आमद व जीएसटी के चलते छोटे शहर के व्यवसायियों को भी इन सबकी आफत झेलनी पड़ी. केंद्र […]

वर्ष 2017 में नोटबंदी व जीएसटी के चलते शहर के व्यवसायियों का व्यापार रहा मंदा

व्यवसायियों को जीएसटी में दी गयी राहत से नये वर्ष में फायदे की उम्मीद
भभुआ सदर : वर्ष 2017 नोटबंदी, सिक्कों की घनघोर आमद व जीएसटी के चलते छोटे शहर के व्यवसायियों को भी इन सबकी आफत झेलनी पड़ी. केंद्र सरकार द्वारा लिये गये निर्णयों से किसी को इस वर्ष फायदा हुआ, तो कई को घाटा. इधर, पहले से ही मंदी के दौर से जूझ रही बाजार भी व्यवसायियों की तरह सरकार की नोटबंदी व जीएसटी जैसे सख्त कदम के समक्ष पूरी तरह धराशायी नजर आयी. सरकार के निर्णयों से एक समय तो ऐसा दौर भी आया, जब कुछ लोग यह भी मानने लगे कि बाजार का दायरा बहुत जल्दी सिमट जायेगा. लेकिन, केंद्र सरकार द्वारा साल के अंत आते-आते जीएसटी में किये गये संशोधन से बाजार की आफत तो कम हुई.
लेकिन, इन सब में साल 2017 बीतने लगा. इसके अतिरिक्त करीब दशक भर पहले से बाजार में जमे दुकानदार भी अपने अथक परिश्रम की बदौलत इसे जीवित रखने में सफल रहे. 30 वर्षों से शहर के व्यवसाय पर नजर रखनेवाले सरफराज अंसारी बताते हैं कि वर्ष 2017 के आरंभ से ही बाजार मंदी के दौर से आरंभ हुआ. पर, बीच में आलू व प्याज के भाव में अचानक तेजी आयी. सेब, केला, संतरा, अंगूर के दामों में भी दशहरा, छठ व दीपावली के अवसर पर इजाफा हुआ. बीच-बीच में दाम में छलांग लगता रहा. मछली के दामों में गत वर्ष की तुलना में बढ़ोतरी नहीं हुई. इस वर्ष सिर्फ किसानों के खेती के समय में धान, गेहूं, तेलहन व दलहन के बीज के दामों में उछाल रहा. पर, नोटबंदी के बाद से बाजार समिति धड़ाम से औधे मुंह गिर पड़ा. यहां पर सप्ताह भर तो ऐसा रहा कि सिर्फ दुकानदार ही नजर आये.
व्यवसायियों की संख्या नगण्य रही. इधर, समय से बाजार में लोकल किसानों के सब्जियों के आलू, फूलगोभी, टमाटर, मटर, बैगन पहुंच जाने से सब्जियों के दामों में भी गिरावट आ गयी. नोटबंदी के कारण बाहर के व्यवसायियों का आना-जाना कम हो गया. अरहर व चना के दाल के भाव में वर्ष भर तेजी बनी रही.
सिक्के बन गये जी के जंजाल : इस साल रुपये पैसे को लेकर भी चर्चा के केंद्र में रहेंगे. एक ओर जहां बड़े नोट के बाजार में आने से सिक्के जी के जंजाल साबित हुए. बाजार में सिक्कों की मांग अचानक घट गयी. बैंक से लेकर बाजार तक में सिक्के नकारे जाने लगे. वहीं, सबकुछ जानकारी होने के बाद भी प्रशासन व सरकार की एजेंसी इस दिशा में गंभीर नहीं हुई. आलम यह रहा कि सिक्कों से जुड़े कारोबार करनेवालों के लिए यह जी का जंजाल बन गया. बैंकों की बेरुखी तो ऐसी रही कि सिक्के रखना अभिशाप साबित होने लगा. सिक्कों की मार्केट वैल्यू कम हो गये. जबकि, आरबीआई की ओर से इसको लेकर स्पष्ट आदेश जारी किया गया था.
स्वर्ण कारोबारी के लिए रहा अच्छा : यह वर्ष स्वर्ण व्यवसायियों के लिए अच्छा रहा. दीपावली से लेकर धनतेरस व छठ के मौके पर इनके आभूषणों की बिक्री हुई. नोटबंदी की सूचना पाकर कुछ लोग आभूषणों की खरीद की. जबकि, शादी विवाह का लगन भी होने के कारण आभूषणों की बिक्री हुई. वहीं, कपड़ा व्यवसाय में भी नोटबंदी व जीएसटी का खास असर देखा गया. साथ ही ठंड बढ़ने के साथ ही ऊनी कपड़ों की बिक्री आरंभ हुई.
ऑटोमोबाइल बाजार में रहा दमखम
इस वर्ष चारपहिया व दोपहिया वाहनों की बिक्री में इजाफा रही. खास कर दीपावली व धनतेरस पर कई कंपनियों के बाइक व स्कूटी की रिकार्ड बिक्री हुई. लोग काफी संख्या में विभिन्न ब्रांडों के बाइक की खरीद करने में पीछे नहीं रहे. इसके साथ ही ट्रैक्टर व अन्य चारपहिया सवारी वाहनों की खूब बिक्री हुई. वहीं, प्रदूषण के कारण बाइक की इंजनों में बदलाव संबंधी न्यायालय के आदेश को लेकर बड़े पैमाने पर दोपहिया वाहनों की बिक्री हुई. आलम यह रहा कि रातों रात सभी बाइक एजेंसियों के सारे स्टॉक खाली हो गये. बाइक खास कर स्कूटी खरीदने की ऐसी होड़ कई दशकों के बीच पहली बार देखी गयी. इससे इस वर्ष बाइक एजेंसी गुलजार रही. नये साल में भी बाइक एजेंसी के मालिकों को उम्मीद है कि बढ़ते यातायात के दबाव में इस वर्ष भी बाइक खास कर स्कूटी के बाजार में तेजी बनी रहेगी.

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