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टैक्स कम, फिर भी दाम अधिक

मनमानी. शहर की दुकानों में जीएसटी का असर नहीं अब भी शहर में बिक रहा पुरानी रेट पर जेनरल व किराना सामान भभुआ सदर : देश भर में पिछले एक जुलाई से गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी कि जीएसटी लागू हो गया. इधर बीच में केंद्र सरकार ने कई वस्तुओं पर लगने वाले टैक्स का […]

मनमानी. शहर की दुकानों में जीएसटी का असर नहीं

अब भी शहर में बिक रहा पुरानी रेट पर जेनरल व किराना सामान
भभुआ सदर : देश भर में पिछले एक जुलाई से गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी कि जीएसटी लागू हो गया. इधर बीच में केंद्र सरकार ने कई वस्तुओं पर लगने वाले टैक्स का स्लैब भी घटाया व बढ़ाया है. लेकिन, इसके बाद भी दुकानों पर खरीदारी करनेवाले ग्राहकों पर जीएसटी का कोई असर पड़ता फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा है. अब भी जिले के बाजारों में सामान पुराने फंडे पर ही बिक रहे हैं या यूं कहें कि बाहर से जो माल जीएसटी के तहत आ रहा है, उन्हें व्यापारी उसी रेट के अनुसार खुदरा दुकानदारों को दे रहे हैं. वहीं, लोगों को भी अभी जीएसटी में बढ़े व घटाये गये दामों में क्या नफा और क्या नुकसान हो रहा है, उन्हें भी इसकी जानकारी पूरी तरह से नहीं है. इसके चलते शहर या देहात में दुकानदार फिलहाल पुराने सामान को उस समय के तय दर पर बेच रहे हैं,
तो वहीं जो बाहर से जीएसटी के बाद माल आ रहा है, उसे भी उसी अनुसार घटे व बढ़े प्रिंट रेट पर बेच रहे हैं. जबकि, शहर में संचालित कॉस्मेटिक और किराना दुकानों की बात करें, तो खरीदारी करनेवाले ग्राहक सामान पर अब चाहे व पुराना हो या नया वह अंकित मूल्यों पर ही सामान खरीदारी कर रहे है. काॅस्मेटिक दुकान में सैंपू, फेसवास, फेस क्रीम, साबुन, बॉडी स्प्रे, रूम स्प्रे, पाउडर, तेल और खाद्य दुकानों में रेजर, टॉफी, पैड, चाय, काफी, बिस्कुट, जूस, शरबत आदि सामान पर अंकित मूल्यों पर ग्राहक खरीदारी कर रहे हैं.
गौरतलब है कि जीएसटी लागू होने के बाद चाय, कॉफी, जूस आदि सामान के मूल्यों पर पांच से 38 फीसदी का कुल टैक्स देना पड़ता था. लेकिन, अब जीएसटी के तहत इन उत्पादों पर अब 12 से 18 फीसदी के बीच शुल्क ही अदा करना होगा. मतलब साफ है कि सामान के मूल्यों में कमी आयी है. इसके बावजूद शहर के विभिन्न दुकानों से ग्राहक को सामान पर अंकित मूल्यों पर ही खरीदारी कर रहे हैं. इसकी बड़ी वजह यह है कि कुछ दुकानदार अभी भी पुराने सामान की ही बिक्री कर रहे हैं.
जीएसटी के अनुसार बेचा जा रहा सामान
शहर में जेनरल सामान के थोक विक्रेता रवींद्र चौरसिया बताते हैं कि हमलोग जीएसटी से आ रहे माल ही खुदरा दुकानदारों को दे रहे हैं. उसमें से भी हॉर्लिक्स, अनिक घी सहित कुछ जरूरी सामान पर जीएसटी के बाद दाम कम हुए हैं, जिसे खुदरा दुकानदारों को जीएसटी के अलावे अलग से डेढ़ परसेंट की मार्जिन दी जा रही है.
काॅस्मेटिक दुकान के प्रोपराइटर संदीप कुमार ने कहा कि सामान पर अंकित एमआरपी के अनुसार ही सामान बेची जा रही है. उन्होंने कहा कि जीएसटी पर थोड़ा अध्ययन करने की जरूरत है. क्योंकि, हमें मालूम ही नहीं कि कौन से सामान पर कितना जीएसटी का टैक्स सरकार ने लागू किया है. क्योंकि, सामान सभी बाहर से आते हैं, जो सभी वहीं से जीएसटी के टैक्स अनुसार बाजार में आ रहे हैं.
दाम ज्यादा लेने की शिकायत पर होगी कार्रवाई
बाजार में जेनरल सहित कॉस्मेटिक्स सामान के जीएसटी दरों में कमी पर जिला उप वाणिज्यकर अधिकारी सुधीर कुमार ने बताया कि सरकार के निर्देश पर व्यापारियों द्वारा टैक्स कम होने के बावजूद पुराने प्रिंट रेट से सामान बेचनेवालों के संबंध में सूचना एकत्रित की जा रही है. इसके लिए जिलास्तर पर एक टीम का गठन भी किया गया है. वैसे पुराने प्रिंट रेट पर सामान बेचनेवालों की शिकायत उपभोक्ता भी कर सकते हैं. उनकी शिकायत पर तत्काल ही वैसे दुकानदारों पर कार्रवाई होगी, जो टैक्स कम होने के बावजूद मूल्य अधिक ले रहे हैं.
कीमतों में नहीं दिख रही कमी
शहर के वार्ड तीन की सपना कुमारी ने कहा कि साबुन, फेस पाउडर आदि सामान पर अंकित मूल्यों पर खरीदारी की. उन्होंने कहा कि फिलहाल खरीदे गये सामान पर जीएसटी का प्रभाव नहीं पड़ा है. वहीं, प्रोफेसर कॉलोनी की नंदनी कुमारी ने कहा कि मैंने चायपत्ती और दूध का पैकेट एमआरपी पर ही खरीदा है. लेकिन, इसमें कुछ कम हुआ हो ऐसा नहीं दिखता और ना ही सामान के मूल्यों में कमी ही आयी है.

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