बिना पॉश मशीन पर अंगूठा लगाये एक
बोरा खाद खरीदना भी हुआ मुश्किल
भभुआ नगर : बचवा, अब तो मुसीबत कार्ड बन गईल बा ई आधार कार्ड. एक बोरा खाद के लिए भी आधार दिखाना पड़ता है. बिना आधार के दुकानदार खाद नहीं दे रहे. राशन केरोसिन, बैंक, पेंशन हर जगह आधार कार्ड चाहिए. ये दर्द है मसोई गांव के वृद्ध किसान जगदीश सिंह का, जो खाद खरीदने के लिए भभुआ बाजार आये हुए थे. आधार यानी आम आदमी का अधिकार, यह स्लोगन आधार कार्ड पर काफी प्रमुखता से लिखा गया है. लेकिन, कई जगहों पर यह लोगों के लिए मुसीबत भी खड़ा कर रहा है. ताजा मामला पॉश मशीन के जरिये खाद बिक्री का है, जिसमें किसानों को खाद के लिए आधार अनिवार्य कर दिया गया है.
सरकार उर्वरक बिक्री में व्याप्त भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए उर्वरक खरीद में किसानों के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया है. इसका भविष्य में कितना फायदा किसानों को मिल पाता है, यह तो दूर की बात है, लेकिन वर्तमान समय में आधार कार्ड की अनिवार्यता किसानों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. कभी मशीन में लिंक नहीं रहने के कारण किसानों को वापस लौटना पड़ता है, तो कभी दुकान पर सामग्री ले जानेवाले व्यक्ति के नाम से आधार कार्ड नहीं होने के कारण किसानों को वापस लौट जाना पड़ता है.
पूरे सिस्टम को किया
गया है ऑनलाइन
इस योजना के पीछे सरकार का उद्देश्य उर्वरक व्यवसाय में भ्रष्टाचार को खत्म करना व किसानों को उचित दर पर उर्वरक सहित कृषि कार्य में प्रयुक्त होनेवाली अन्य सामग्री उपलब्ध कराना है. सरकार की मंशा व योजना अच्छी है. लेकिन, फिलहाल सिस्टम दुरुस्त नहीं होने के कारण किसानों के सामने कई तरह की समस्या खड़ी हो गयी है. जिले में फिलहाल 490 निबंधित विक्रेता हैं, जिसमें 260 को पॉश मशीन उपलब्ध कराया जा चुका है.
क्या आ रही समस्या
सरकार द्वारा प्रारंभ की गयी इस योजना के साथ ही किसान व व्यवसायियों के लिए समस्या पैदा हो गयी है. पहले सिर्फ पैसा लेकर उर्वरक खरीद के लिए दुकान तक जानेवाले लोगों को पैसा के साथ आधार कार्ड भी ले जाना पड़ता है. हालांकि, यह बड़ी समस्या नहीं है.
इसमें सबसे बड़ी समस्या लिंक उपलब्धता की है. पॉश मशीन तभी कार्य करेगा, जब नेट कनेक्शन काम करेगा. नेट नहीं रहने की स्थिति में किसान और व्यवसायी दोनों परेशान होते हैं. नेट रहने पर भी एक किसान के आधार कार्ड को लिंक करने और उसके निष्पादन में दस मिनट का समय लगता है. सबसे बड़ी समस्या उन छोटे किसानों को है, जिनके पास अबतक आधार कार्ड नहीं है.