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हर दिन जिले की सड़कों से एक इनसान वापस घर नहीं लौटता

ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं किये जाने से आये दिन लोगों की जा रही जान जल्दबाजी और आगे निकलने की होड़ बन रहा जानलेवा, अधिकारी बरत रहे सुस्ती भभुआ सदर : आये दिन जिले की सड़कों पर निकलनेवाला एक इनसान वापस लौट कर घर नहीं आता. उसका शव ही उसके घर लौटता है. जिले में […]

ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं किये जाने से आये दिन लोगों की जा रही जान

जल्दबाजी और आगे निकलने की होड़ बन रहा जानलेवा, अधिकारी बरत रहे सुस्ती

भभुआ सदर : आये दिन जिले की सड़कों पर निकलनेवाला एक इनसान वापस लौट कर घर नहीं आता. उसका शव ही उसके घर लौटता है. जिले में हर दिन औसतन तीन सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. ये आंकड़े बताने को काफी हैं कि सड़क पर जिंदगी कितनी असुरक्षित है. जरा सी लापरवाही प्रतिदिन जिंदगी से खेल रही है. क्योंकि, कोई बेटा घर से ये कह कर निकला था कि मां जल्द लौट आऊंगा, कोई पति शाम में सब्जी व घर का सामान लाने का वादा करके गया, कोई भाई बहन की शादी की शॉपिंग के लिए गया, तो कोई दोस्त फिर से मिलने का वादा करके. लेकिन, ये वादें पूरे नहीं हो सके, सड़क हादसे ने इन परिवारों को वह जख्म दिये जो किसी के भरे भी कभी नहीं भर सकते, जो मर गये उनका परिवार बेसहारा हो गया और जो जिंदा हैं, उनमें से कई अपंग हो अपनी दैनिक क्रिया के लिए भी दूसरे के भरोसे हो गये.

जिले में आये दिन लापरवाह व जल्दबाजी की ड्राइविंग से किसी न किसी की मौत हो रही है. खास कर जिले से होकर गुजरी एनएच दो स्थित दुर्गावती, मोहनिया व कुदरा में सड़क दुर्घटनाओं में अधिक मौतें हो रही हैं. हाल फिलहाल पिछले एक महीने की ही बात करें, तो लगभग दो दर्जन से अधिक मौत एनएच दो स्थित इन स्थानों पर हो चुकी हैं. लेकिन, जिला प्रशासन या परिवहन विभाग इन मौतों को रोकने के ठोस उपाय की जगह ओवरलोडेड वाहनों के धर-पकड़ तक ही सीमित हो गयी है.

संकरी सड़कें, बेहिसाब हुईं गाड़ियां: जिले की आबादी तो तेजी से बढ़ी, गाडियां भी आबादी व जरूरतों के साथ बढ़ी, लेकिन एनएच दो को छोड़ दिया जाये, तो अधिकतर सड़कें उस हिसाब से नहीं बढ़ीं. कुछ पुल जरूर बने, मगर वाहनों का दबाव इतना है कि ये भी बेअसर दिख रहे हैं.

खास कर शहर में ऑफिस ऑवर व पर्व त्योहारों में तो मानो सड़क पर निकलना ही गुनाह हो जाता है. शहर का एकता चौक, मुंडेश्वरी सिनेमा हॉल, कचहरी रोड, जेपी चौक, पटेल चौक, वन विभाग के समीप व मोहनिया के बस स्टैंड, स्टूवरगंज सहित एनएच दो पर स्थित दुर्गावती, कुदरा, पुसौली के कई इलाकों में भीषण जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती है. इन स्थानों पर जहां थोड़ी सी भी खाली सड़क मिली. लोग बेतरतीब ढंग से गाड़ियां भगाने लगते हैं. नतीजा दुर्घटना होती है.

वाहनों का फिटनेस किस चिड़िया का नाम

जिले की सड़कों पर गाड़ियों की कमी नहीं है, मगर इसमें फिट कितनी हैं, यह मोहनिया व भभुआ शहर में तैनात ट्रैफिक पुलिस को भी नहीं पता. शहर व जिले की सड़कों से ऑटो, बसें व ट्रक बड़ी संख्या में रोज गुजरते हैं. मगर फिटनेस जांच के नाम पर जिले में बस खानापूर्ति है.

शहर में खुलेआम खटारा बसें व ऑटो घूम रहे हैं. लेकिन, इन वाहनों के पास फिटनेस पेपर है या नहीं, यह भी पूछने की जहमत कोई नहीं उठाता. ड्राइविंग लाइसेंस, बीमा व ओवरलोडिंग के नाम पर प्रतिदिन जोर-शोर से चालान काटनेवाले ट्रैफिक जवानों को यह तक नहीं मालूम कि कितने वर्ष तक वाहन सड़क पर चलने योग्य होता है.

जब्त गाड़ियां भी बन रहीं मौत का कारण

सड़क पर अवैध ढंग से खड़े वाहनों का हाल जानने के लिए कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं. ज्यादातर दुर्घटना की वजह पुलिस व ट्रैफिक की लापरवाही है. बानगी के तौर पर दुर्गावती, मोहनिया व कुदरा क्षेत्र का थाना. इन थाना क्षेत्रों से ही एनएच दो गुजरी हैं, विडंबना यह कि ये सभी थाने एनएच दो से हट कर हैं, लेकिन इन क्षेत्रों सहित एनएच दो से पकड़े या जब्त किये गये वाहनों को एनएच दो पर ही जब्त किये गये वाहनों को रखा गया है, मोहनिया व दुर्गावती थाने के सामने सड़क पर ही बड़ी संख्या में ऐसी गाड़ियां खड़ी हैं, जो रात में या दिन में हादसों या किसी की मौत का कारण बनती है.

खुद ट्रैफिक नियमों से अनजान हैं पुलिसकर्मी

लोगों में जागरूकता की कमी गिनानेवाले परिवहन विभाग ने पिछले एक वर्ष में इक्का-दुक्का सुरक्षा कार्यक्रम के अलावे कोई भी जागरूकता वाले कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया है. खुद विभाग के सौ से अधिक ट्रैफिक जवानों को ट्रैफिक नियमों की अब तक ट्रेनिंग नहीं दी गयी है. यहां तक की साइन बोर्ड और किस गाड़ी का चालान किस मामले में कितना होना चाहिए, इसे भी सिपाही अपने उच्च अधिकारियों से पूछ कर काट रहे हैं. हैरत की बात तो यह है कि शहर में ट्रैफिक नियम लागू होने के बाद भी नियमों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए विभाग कोई पहल नहीं कर रही हैं.

सड़क सुरक्षा पर जिला परिवहन पदाधिकारी भरत भूषण प्रसाद ने कहा कि शहर में तेज रफ्तार से दौड़ा रहे वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. सड़क हादसों को कम करने के लिए यातायात नियमों से लोगों को अवगत कराते हुए उन नियमों का पालन कराया जायेगा. अभी पुलिस सहित विभाग हेलमेट, ट्रिपलिंग सहित भारी वाहनों के खिलाफ अभियान चल रहा है.

जल्दबाजी नहीं लेने दे रही दम

जिले की सड़कों पर एक अजीब सी हड़बड़ी नजर आती है. हर कोई बेकरार है. रुकने का समय किसी के पास नहीं है. गाड़ी चल रही है, फिर भी जल्दबाजी लगता है. मानो सड़कों पर मौत ओवरटेक कर रही हो. वैसे शहर में भी में गाड़ी खास कर सवारी वाहन चलानेवालों का तो अपना ही मिजाज है. ड्राइवर ने जहां यात्री देखी अपने वाहन वहीं रोक दी, वहीं स्टैंड भी बन गया.

ऑटो व ई-रिक्शा वाला शहर के बीच सड़क पर लोगों को बैठा रहा है और उतार भी रहा है. बाइक वाले लहरिया कट चला रहे हैं, पैदल वाले भी बीच सड़क पर चल रहे हैं. सभी की अपनी मर्जी, इसके भुक्तभोगी भी सभी हैं. थोड़ी सी हड़बड़ी और लापरवाही लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ रही है. जिले के लोगों की ये आदत अब आफत बनती जा रही है.

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