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10800 हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य 20% ही डाला गया बिचड़ा, पानी का इंतजार

मनीष पांडेय भभुआ नगर : धान के कटोरे के रूप में मशहूर कैमूर जिले में खरीफ फसल की तैयारी अब शुरू हो गयी है. इस वर्ष जिले में 10800 हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित है. कृषि विभाग ने रिकार्ड उत्पादन की उम्मीद इस साल अधिक उत्पादवाले नयी बीज किसानों के लिए लाया […]

मनीष पांडेय
भभुआ नगर : धान के कटोरे के रूप में मशहूर कैमूर जिले में खरीफ फसल की तैयारी अब शुरू हो गयी है. इस वर्ष जिले में 10800 हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित है. कृषि विभाग ने रिकार्ड उत्पादन की उम्मीद इस साल अधिक उत्पादवाले नयी बीज किसानों के लिए लाया है.
कई प्रभेद की उन्नत किस्म के धान के बीच कृषि विभाग ने किसानों के प्रयोग के लिए जिले को उपलब्ध कराया है. सर्वाधिक भभुआ प्रखंड में 15762 व सबसे कम अधौरा में 2918 हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित हैं. धान आच्छादन का लक्ष्य जिला कृषि विभाग ने सभी प्रखंडों के लिए अलग-अलग निर्धारित किया है. लक्ष्य निर्धारण का पत्र सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी व प्रखंड कृषि पदाधिकारी को भेजा जा चुका है.
धान रोपनी के लिए विभाग ने बिचड़ा आच्छादन का भी लक्ष्य निर्धारित किया है. 10800 हेक्टेयर में धान के रोपनी के लिए 11000 हेक्टेयर में बिचड़ा डालने का लक्ष्य रखा गया है. बिचड़ा डालने के लक्ष्य के विरुद्ध अबतक 20 प्रतिशत बिचड़ा ही डाला गया है. उम्मीद जतायी जा रही है कि यदि बारिश दो-तीन दिनों में हो जायेगी, तो बिचड़ा डालने के कार्य में तेजी आयेगी. पिछले वर्ष धान का बिचडा डालने का कार्य व धान की खेती का लक्ष्य शत प्रतिशत पूर्ण हुआ था. इसकी वजह पिछले वर्ष में मॉनसून का समय से आना व बारिश अच्छा होना था. इस वर्ष अब तक बारिश नहीं हुई है. लेकिन, इस वर्ष भी मॉनसून अच्छा रहने की उम्मीद है. इस उम्मीद में किसान अबत क बिचड़ा नहीं डाल रहे हैं. लेकिन, नहरी क्षेत्रों में बिचड़ा डालने का काम शुरू है. जिले के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में नहरों का पानी आ चुका है. इससे उन क्षेत्रों में बिचड़ा डालने का काम जोरशोर से चल रहा है.
डीएम ने नहरों में पानी छोड़ने का दिया आदेश: जिले में 11000 हेक्टेयर में धान का बिचड़ा डाला जायेगा. इसके अलावे कृषि विभाग ने सरकार द्वारा जारी पत्र के आलोक में 110 एकड़ भूमि में किसानों के माध्यम से अनुदानित दर पर धान का बिचड़ा डलवाने का लक्ष्य रखा है. उक्त बिचड़ा तैयार होने के बाद किसान सरकार द्वारा निर्धारित दर पर उसे खरीद सकते हैं. डीएम राजेश्वर प्रसाद सिंह ने सिंचाई विभाग के वरीय अफसरों को पत्र लिख कर नहरों में पानी छोड़ने का निर्देश जारी किया है.
किसानों के लिए अनुदान
श्रीविधि से धान की खेती – 3 हजार रुपये प्रति एकड़
पैडी ट्रांसप्लांटर से धान की खेती- 3 हजार रुपये प्रति एकड़
जीरोटिलेज से धान की सीधी बुआई- 2320 रुपये प्रति एकड़
सुगंधित धान की खेती – तीन हजार रुपये प्रति एकड़
तनावरोधी धान की खेती-तीन हजार रुपये प्रति एकड़
किस प्रखंड में कितने
हेक्टेयर में होगी खेती
भभुआ 15762
भगवानपुर 7298
चैनपुर 9730
चांद 9243
रामपुर 7784
अधौरा 2918
कुदरा 12892
मोहनिया 15714
दुर्गावती 8270
रामगढ़ 10605
नुआंव 7784
किसानों को डीजल अनुदान की फूटी कौड़ी नहीं मिली
श्रीविधि पद्धति को लेकर विभाग चाहे जितने भी दावे कर ले. लेकिन, इस विधि से धान की खेती कराने के लिए किसानों को तैयार करना कृषि विभाग के लिए गले की फांस बन गया है.
अधिकारियों व कर्मचारियों के लाख मनुहार के बावजूद जिले के किसान कृषि विभाग के दिशा निर्देशों के अनुरूप धान की खेती श्रीविधि के तहत करने से कतरा रहे हैं. इसका मुख्य कारण है कि किसानों को पिछले वर्ष के खरीफ व इस वर्ष का रबी का डीजल अनुदान का फूटी कौड़ी किसानों को नहीं मिल सका. किसानों द्वारा अपनी राशि खर्च कर खरीदी गयी गेहूं, चना सहित अन्य फसलों के बीज के अनुदान की राशि के लिए कार्यालयों का चक्कर काटना पड़ रहा है. इस बार कृषि विभाग द्वारा धान की खेती श्रीविधि के माध्यम से कलस्टर में लगानी हैं.
परंतु, विभागीय अधिकारी उक्त योजना के लिए सामूहिक रूप से खेती करने के लिए ढूंढे नहीं मिल रहे हैं. स्थिति यह है कि अपने पैसे खर्च कर डीलर से सामग्री खरीद कर खेती करने और अनुदान की राशि बाद में मिलने की बात सुन कर किसान भड़क जाते हैं. किसानों की माने तो खरीफ के फसलों व श्रीविधि से धान की रोपाई के लिए बीज तभी उठेगा और कलस्टर में लगेगा जब बीज उठाव के साथ साथ अनुदान की राशि भी किसानों को मिले. अन्यथा कृषि विभाग अपना बीज लगवाने के लिए सरकार जगह देख लें.

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