समस्या. सदर प्रखंड के कई गांवों में 50 फुट से पार हुआ जलस्तर
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गहरा रहा है पेयजल संकट
समस्या. सदर प्रखंड के कई गांवों में 50 फुट से पार हुआ जलस्तर गिरते जलस्तर से बंद पड़ रहे हैं घरेलू चापाकल इक्के दूक्के चापाकल के सहारे हो रही पेयजल आपूर्ति नदी, नाला, कुआं सभी पड़े हैं सूखे जहानाबाद : बरसात के मौसम के बावजूद जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की समस्या धीरे धीरे […]
गिरते जलस्तर से बंद पड़ रहे हैं घरेलू चापाकल
इक्के दूक्के चापाकल के सहारे हो रही पेयजल आपूर्ति
नदी, नाला, कुआं सभी पड़े हैं सूखे
जहानाबाद : बरसात के मौसम के बावजूद जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की समस्या धीरे धीरे भयावह होती जा रही है. चापाकल से पानी नहीं निकलने के कारण आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लगातार जलस्तर के गिरने से गांव के अधिकतर चापाकल बंद होने लगे हैं. घरेलू हैंडपंप बंद हो जाने पर मोहल्लेवासियों को आसपास के चल रहे इक्के दुक्के चापाकल का सहारा लेना पड़ रहा है.
पचास फुट से ऊपर लेयर चले जाने के कारण पेयजल की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. ग्रामीणों का कहना है कि एक सप्ताह के अंदर बारिश नहीं हुई तो गांव में पीने के पानी का भयावह संकट उत्पन्न हो जायेगा. जानकारी के अनुसार जिले के सदर प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों की हालत सबसे खराब है. कोसडिहरा, केन्दुआ, शाहपुर, पिंजौर, अमैन, मोहनपुर, फतेहपुर, घोसी, आलमपुर सहित कई गांवों का जलस्तर पचास फुट के पार हो गया है.
वहीं गोनवां, सिकरिया, लरसा सहित विभिन्न पंचायतों में भी पीने के पानी की किल्लत होना शुरू हो गयी है. मोदनगंज प्रखंड में भी जलस्तर 40-50 फुट के आसपास बताया जाता है. मखदुमपुर प्रखंड के भी कई इलाके में जलस्तर तीस से चालीस फुट के बीच बताया जा रहा है. रतनी प्रखंड के कई इलाके में बारिश नहीं होने से पेयजल संकट बरकरार है. इलाके में जलस्तर चालीस से पैंतालीस फुट के आसपास बताया जाता है.
सूखा पड़ा है कुआं:सदर प्रखंड में जलस्तर में सुधार नहीं होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों के कई गांवों में नदी, तालाब, आहर, पइन एवं कुआं सूखे पड़े हैं. तालाब और कुआं के सूखने के कारण ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पंपिंग सेट चालू होते ही बंद हो जाता है हैंडपंप. धनरोपनी के समय में पंपिंग सेट चालू रहने पर घरेलू चापाकलों से पानी निकलना बंद हो जाता है. कई हैंडपंप सुबह में पानी देता है लेकिन नौ बजे के बाद वह भी पानी छोड़ने लगता है. घरेलू चापाकल बंद हो जाने से ग्रामीणों को सरकारी हाथी चापाकल का सहारा लेना पड़ता है.
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