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महुआ शराब के सेवन से बिगड़ी जिंदगानी

जहानाबाद : जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध शराब का धंधा बेरोकटोक जारी है. यह धंधा बिना खाद -पटवन के फल -फुल रहा है. महुआ निर्मित अवैध देसी शराब के सेवन से कई लोगों की जिंदगी में जहर घुल जा रही है, तो कई लोगों की जिंदगानी सदा के लिए बिगड़ जाती है. देसी शराब […]

जहानाबाद : जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध शराब का धंधा बेरोकटोक जारी है. यह धंधा बिना खाद -पटवन के फल -फुल रहा है. महुआ निर्मित अवैध देसी शराब के सेवन से कई लोगों की जिंदगी में जहर घुल जा रही है, तो कई लोगों की जिंदगानी सदा के लिए बिगड़ जाती है. देसी शराब के धंधे से आम लोगों का जीना मुहाल हो गया है.

शराबियों के डर से सभ्य लोग इन्हें देख कर रास्ता बदलना उचित समझते हैं. ग्रामीणों की मानें, तो शराबियों के खिलाफ आवाज उठाने में उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. जिले के वभना से लेकर शकुराबाद तक कई ऐसे गांव हैं, जहां कई सालों से अवैध शराब का कारोबार जारी है. 10 किलोमीटर के दायरे में लगभग हर 2-3 किलोमिटर की दूरी पर अवैध शराब की बिक्री की जाती है. वभना-शकुराबाद पथ पर वभना, शाहपुर,

मोहनपुर, छोटकी चैनपुरा एवं शकुराबाद के पहाड़ी बिगहा में शाम होते ही नजारा रंगीन हो जाता है. शाम के समय इन जगहों पर काफी संख्या में पियक्कड़ों का जमावड़ा लगता है. एक तरफ राज्य सरकार द्वारा देसी शराब बंद करने की घोषणा क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी है, वहीं दूसरी तरफ अवैध देसी शराब के धंधे ने ग्रामीण क्षेत्र में कुटीर उद्योग का रूप ले लिया है. इस पर प्रशासन के लिए लगाम लगाना लोहे के चने चबाना जैसा दिखता है. प्रशासन द्वारा अवैध देसी शराब का धंधा बंद कराने के लिए कई बार

छापेमारी कर भट्ठी को ध्वस्त किया जाता रहा है, लेकिन कारोबारी के सामने पुलिस बौना साबित हो रही है. छापेमारी के बाद दो -चार दिन के लिए कारोबार बंद तो हो जाता है, लेकिन धंधा पुण: चालू हो जाता है. इस धंधे में लिप्त लोगों का नेटवर्क अवेध किला के रूप में काम करना शुरू कर देता है. जानकारी के अनुसार, जिले से सटे वभना अकेले ऐसा गांव है,

जहां प्रतिदिन 500 लीटर से ऊपर अवैध देसी शराब बेची जाती है. इसी तरह क्रमश: शाहपुर, मोहनपुर, छोटकी चैनपुरा, पहाड़ी बिगहा कई ऐसे गांव हैं, जहां हजारों लीटर के आसपास प्रतिदिन महुआ -मीठा से निर्मित अवैध शराब बेची जाती है. मुहआ निर्मित शराब में कई ऐसी दवाओं का प्रयोग किया जाता है, जो व्यक्ति के जीवन के लिए घातक सिद्ध हो रही है. ग्रामीणों की मानें, तो अधिक नशा के लिए जानवरों से दूध निकालते समय पड़नेवाली सूई आॅक्सी टॉसी, मेनडेक्स, नौशादर आदि कई घातक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है.

इसी का नतीजा है कि एक पखवारा पूर्व परसबिगहा थाने के शाहपुर गांव में महुआ निर्मित शराब के सेवन से नवीन कुमार नामक युवक की मौत हो गयी थी. असमय मौत के कारण उनका घर उजड़ गया. ग्रामीणों के अनुसार धंधेबाज मोटरसाइकिल से सभी ठिकानों पर प्रतिदिन माल पहुंचा देते हैं. सबसे अहम बात यह है कि इतनी बड़ी मात्रा में शराब निर्माण में प्रयुक्त होनेवाले सामग्री महुआ की बिक्री पर प्रतिबंध के बावजूद कहां से धधेबाज महुआ लाते हैं.

नाम नहीं छापने की शर्त पर शकुराबाद के एक व्यक्ति ने कहा कि महुआ खरीद -बिक्री का कारोबार कई लोग करते हैं, जो झारखंड व छत्तीसगढ़ से भी महुआ मंगाते हैं. महुआ लाने के एवज में मालवाहक गाड़ी वाले को भी बंधी – बंधायी राशि मिलती है. इस संबंध में उत्पाद अधीक्षक ने बात को टालते हुए बाद में बात करने की बात कही है.

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