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दल बदल ने खड़ी कर दी नयी चुनौती

जहानाबाद जिले में विधानसभा की तीन सीटें हैं. 2010 के विधानसभा चुनाव में तीनों सीट पर जदयू के प्रत्याशी जीते थे. इनमें मखदुमपुर सीट से जीतन राम मांझी निर्वाचित हुए थे. अब वह जदयू से अलग हो चुके हैं. उन्होंन विधानसभा की सदस्यता सें इस्तीफा भी दे यत्नि और हम पार्टी नाम से अलग दल […]

जहानाबाद जिले में विधानसभा की तीन सीटें हैं. 2010 के विधानसभा चुनाव में तीनों सीट पर जदयू के प्रत्याशी जीते थे. इनमें मखदुमपुर सीट से जीतन राम मांझी निर्वाचित हुए थे. अब वह जदयू से अलग हो चुके हैं. उन्होंन विधानसभा की सदस्यता सें इस्तीफा भी दे यत्नि और हम पार्टी नाम से अलग दल बना लिया है.
घोसी विधायक भी जदयू से बागी हो चुके हैं. नये गंठबंधन से यहां दलों के राजनीतिक समीकरण को बदल दिया है. पिछली बार भाजपा-जदयू साथ थे. इस बार जदयू, राजद और कांग्रेस साथ चुनाव लड़ेंगे. हम पार्टी की भूमिका यहां प्रभावकारी होगी. फिलहाल महागंठबंधन व राजग में सीट बंटबारे पर नजर है.
जहानाबाद
सीट बंटी नहीं, प्रत्याशी तैयार
जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र में इस बार ‘एक अनार सौ बीमार’ की स्थिति बन रही है. एनडीए और महागंठबंधन दोनों खेमों में टिकट के दावेदारों की फौज है. किस गंठबंधन में किस दल के हिस्से में सीट जायेगी, इसकी आधिकारिक घोषणा होना बाकी है.
शहर में जगह-जगह राजनीतिक दलों, और नेताओं के बैनर-पोस्टर लगे हैं. इसके जरिये टिकटार्थियों की आकांक्षा को समझा जा सकता है. पिछले चुनाव में यहां जद यू के अभिराम शर्मा ने राजद के सच्चिदानंद यादव को पराजित किया था. पिछले चुनाव आमने-सामने रहे दोनों दल इस बार साथ हैं.
जदयू की सीटिंग सीट होने के बावजूद यहां के समीकरण को अपने अनुकूल बताते हुए राजद ने भी दावा ठोंका है. उधर, भाजपा में भी कई नेता चुनाव मैदान में उतरने को तैयार बैठे हैं. लोकसभा चुनाव में यहां एनडीए ने रालोसपा के डॉ अरुण कुमार को प्रत्याशी बनाया. अरूण कुमार ने राजद के सुरेन्द्र यादव और जदयू के अनिल शर्मा को मात देकर जीत की थी.
अब तक
यह राजद की परंपरागत सीट रही है. 2010 में तत्कालीन एनडीए ने आरजेडी को कड़ी टक्कर देकर यह सीट झटक ली थी.
इन दिनों
जदयू व भाजपा ने चुनाव प्रचार में ताकत झोंक दी है. राजद, कांग्रेस, लोजपा व रालोसपा की ओर से कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है.
प्रमुख मुद्दे
– राजाबाजार रेलवे पुलिया पर ओवर ब्रिज का निर्माण
– शहर को जाम से मुक्त करने के लिए बाइपास का निर्माण
– मेडिकल व नर्सिग कॉलेज की स्थापना
– उद्योग-धंधे स्थापित कर बेरोजगारी दूर करना
घोसी
1977 से एक परिवार का राज
घोसी विधानसभा क्षेत्र पर पिछले तीन दशक से एक परिवार का कब्जा रहा है. डॉ जगदीश शर्मा या उनके परिवार के सदस्य यहां 1977 से लगातार जीतते रहे हैं. चारा घोटाले में आरोप सिद्ध होने के बाद डॉ शर्मा की जगह उनकी पत्‍नी शांति देवी जीतीं.
फिर 2010 के चुनाव में उनके बड़े बेटे राहुल कुमार ने चुनाव लड़कर जीत हासिल की. जगदीश शर्मा एक बार ससंद के रूप में भी जिले का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. पिछले विधान सभा चुनाव में राहुल जदयू के टिकट पर विजयी हुए थे.
हालांकि बाद में वे बागी तेवर के चलते सत्तारूढ़ दल से दूर हो गए. इस बार जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हम’ के टिकट पर राहुल के चुनाव लड़ने के आसार हैं. महागंठबंधन में यह सीट किसके पाले में जायेगी, अभी तय नहीं है. लेकिन, जदयू के कई नेता इस सीट को सीटिंग बताते हुए इस पर पार्टी का दावा मजबूत मान रहे हैं.
अब तक
एनडीए ने बीते चुनाव में जदयू को कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन सफलता नहीं मिली थी. वर्तमान विधायक एनडीए में आ चुके हैं. उधर, जद यू व राजद नया समीकरण बनाने में जुटा है.
इन दिनों
जदयू द्वारा परचा पर चर्चा व हर-घर दस्तक कार्यक्रम चलाया गया है. जबकि विधायक राहुल कुमार ने अपना जन संपर्क अभियान को तेज कर दिया है. राजद व भाकपा माले भी सक्रिय है.
प्रमुख मुद्दे
– घोसी का विकास
– क्षेत्र में शांति की स्थापना
– बंद पड़े नलकूपों को चालू कराना
– उद्योग-धंधे स्थापित कर बेरोजगारी दूर करना
– प्रशासन के निचले स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार पर नियंत्रण
मांझी के क्षेत्र पर नजर
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और ‘हम’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी मखदुमपुर विधानसभा क्षेत्र से जदयू के टिकट पर चुनाव जीते थे. इस बार मांझी चुनाव मैदान में उतरेंगे कि नहीं, यह अभी तय नहीं है.
अगर वह चुनाव लड़ेंगे भी तो एनडीए के घटक दल के प्रत्याशी के रूप में या फिर अपनी ओर से किसी पसंदीदा प्रत्याशी को खड़ा करेंगे. उधर, राजद, जदयू और कांग्रेस का महागंठबंधन भी अपने आप को इस सीट पर कमजोर नहीं मान रहा है.
महागंठबंधन में यह सीट किसको मिलेगी इसका फैसला अभी नहीं हुआ है, लेकिन जदयू अपना दावा मजबूत मान रहा है. राजद भी अपने-आप को इस सीट पर मजबूत मान रहा है. उसके कई नेता क्षेत्र के सामाजिक समीकरण को आधार बनाकर तर्क भी दे रहे हैं. महागंठबंधन की ओर से मांझी को टक्कर देने के लिए किसी महादलित प्रत्याशी को ही मैदान में उतारने की तैयारी हो रही है.
अब तक
इस सीट पर दिग्गज कांग्रेसियों का कब्जा रहा है, लेकिन बीते दो चुनाव से जदयू जीतता रहा है. यहां से पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी चुनाव जीते थे
इन दिनों
मांझी की पार्टी हम पंचायत स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटी हुयी है. वहीं भाजपा और जदयू द्वारा भी गांव-गांव में जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है.
प्रमुख मुद्दे
– सिंचाई की व्यवस्था
– बांध का निर्माण
– गांव-गांव में बिजली की आपूत्तिर्
– सड़कों की मरम्मत
– उद्योग-धंधों की स्थापना
– क्षेत्र में सामाजिक शांति
– रोजगार की व्यवस्था

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