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नयी तकनीक के मुरीद हुए जिले के नौजवान
इसे आधुनिकता की होड़ कहें या फिर जमाने के साथ अपडेट रहने की बड़ी जरूरत. जिले के नौजवानों ने खुद को संचार माध्यमों और नयी तकनीक के सहारे देश-दुनिया के साथ कदमताल करने की जुगत तलाश ली है. शहर से लेकर गांव तक युवाओं में ऑनलाइन रहने की ललक साफ देखी जा सकती है. ऐसे […]
इसे आधुनिकता की होड़ कहें या फिर जमाने के साथ अपडेट रहने की बड़ी जरूरत. जिले के नौजवानों ने खुद को संचार माध्यमों और नयी तकनीक के सहारे देश-दुनिया के साथ कदमताल करने की जुगत तलाश ली है. शहर से लेकर गांव तक युवाओं में ऑनलाइन रहने की ललक साफ देखी जा सकती है. ऐसे में कभी हर घर की शान कही जानेवाली लैंडलाइन के बदले अमीर-गरीब सब स्मार्ट फोन के मुरीद बन गये हैं.
फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल नेटवर्किग साइटों पर भी उनकी धमक है. आज की परिस्थितियों की बात करें, तो बेसिक फोन महलों और ऊंची इमारतों से लगभग गायब ही हो गये हैं. अत्याधुनिक और उपयोगी तकनीक ने संचार की नयी क्रांति लायी है, जिससे कभी जिले भर में 20000 उपभोक्ताओं तक फैली लैंडलाइन की तार महज 700 कनेक्शन तक सीमित हो गयी है. अब ये फोन महज सरकारी दफ्तरों में ही घनघनाती हुई सुनायी पड़ती है. शहर और गांव की गलियों से इसकी गूंज दूर हो चली है.
जहानाबाद (नगर) : संचार क्रांति के इस दौर में लैंडलाइन सेवा लगभग समाप्ति की ओर है. नित-प्रतिदिन नयी-नयी मोबाइल कंपनियां के मार्केट में आने के कारण तथा सस्ती मोबाइल सेवा ने लैंडलाइन सेवा की दुर्गति कर रखी है. कभी शानों-शौकत की पहचान रहनेवाली लैंडलाइन सेवा आज सरकारी कार्यालयों तक ही सिमट कर रह गयी है. एक दौर था जब लैंडलाइन सेवा के लिए लोगों को महीनों टेलीफोन विभाग का चक्कर लगाना पड़ता था, वहीं सालों इंतजार के बाद उन्हें लैंडलाइन सेवा प्रदान किया जाता था, लेकिन आज हालात यह है कि कोई भी इस सेवा का लाभ लेने को तैयार नहीं है.
इसका मुख्य कारण केबुलों में आनेवाली गड़बड़ी के कारण महीनों सेवा ठप रहना तथा विभाग का कई चक्कर लगाने के बाद भी सेवा बहाल नहीं होना बताया जाता है. सस्ती मोबाइल सेवा के कारण भी उपभोक्ताओं ने इस सेवा से अपनी नजरें मोड़ ली है. आज लैंडलाइन सेवा सिर्फ सरकारी व गैरसरकारी दफ्तरों में ही देखने को मिलता है.
जिले में कभी बीस हजार से अधिक उपभोक्ता लैंडलाइन सेवा का लाभ लेते थे.उस समय इस सेवा का लाभ लेने के लिए उपभोक्ताओं की लाइन विभाग में लगा रहता था, लेकिन आज जिले में लैंडलाइन सेवा के उपभोक्ता सिमट कर सैकड़ों में आ गये हैं.
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