जहानाबाद : एनडीए में शह और मात का खेल चल रहा. एक ओर रालोसपा ने जहानाबाद उपचुनाव में अपनी दावेदारी पेश कर एनडीए को सकते में डाल दिया है. वहीं भाजपा के सामने एनडीए के सभी घटक दलों को साथ लेकर चलने की चुनौती भी है. एनडीए में टूट न हो, इसलिए कई दौर में वार्ता चल रही है. जहानाबाद विधानसभा सीट फिलहाल हॉट सीट बन गया है. सूत्रों की माने तो अगर रालोसपा को जहानाबाद सीट नहीं मिली तो पार्टी दोस्ताना संघर्ष के लिए भी तैयार है.
पिछले विधानसभा चुनाव में यह सीट भी रालोसपा का ही था लेकिन उस वक्त पार्टी में टूट नहीं हुई थी. फिलहाल रालोसपा में दो गुट हैं, एक उपेंद्र कुशवाहा का तो दूसरा अरुण गुट. पिछले चुनाव में रालोसपा ने जिस उम्मीदवार को चुनाव में टिकट दिया था, वे जहानाबाद के सांसद अरुण के चहेते थे. हालांकि अरुण कुमार की राजनीति का ह्रास भी वहीं से शुरू हो गया था. सांसद के कई करीबियों में बेचैनी थी. साथ रहने वाले कई लोगों ने अरुण कुमार का साथ ही छोड़ दिया.
अब रालोसपा के दो धड़े एक-दूसरे को काटने में लगे हैं. सांसद अरुण कुमार रालोसपा (उपेंद्र गुट) को छोड़कर एनडीए के किसी भी घटक दल से हाथ मिलाने को तैयार बैठे हैं. सांसद होने के कारण इनका दावा भी मजबूत हैं. वहीं भाजपा भी इसी ताक में है कि दोनों की लड़ाई का फायदा उठाकर जहानाबाद सीट पर अपना दावा बुलंद किया जाये. आज परिस्थितियां भी भाजपा के पक्ष में मजबूत होती दिख रही है. कल तक इस सीट पर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की पार्टी हम अपना दावा ठोक रही थी. अब मांझी भाजपा के साथ खड़े दिख रहे हैं. दबाव की राजनीति में भी भाजपा के साथ एनडीए के तमाम घटक दल साथ खड़े दिख रहे. सिवाय रालोसपा (उपेंद्र गुट) को छोड़कर. राजद ने चुनावी मैदान में अपने उम्मीदवार के नाम का एलान कर दिया है. वहीं एनडीए में अभी टिकट को लेकर पार्टी में ही मारा-मारी है. अगर भाजपा की उम्मीदवारी तय हुई तो सशक्त नाम वरिष्ठ नेता अजीत शर्मा और इंदू कश्यप का उभरकर सामने आ रहा है. भाजपा हर हाल में इस सीट को अपनी झोली में डालने को तैयार बैठी है. वहीं रालोसपा से भी तीन उम्मीदवारों के नाम की चर्चा है. गोपाल शर्मा, पिंटू कुशवाहा और अमित सिन्हा, रालोसपा से टिकट के प्रबल दावेदार दिख रहे. सूत्रों की माने तो उपेंद्र कुशवाहा भी मौके की तलाश में हैं. अगर उनके गुट वाली पार्टी को टिकट नहीं मिला तो उपचुनाव में ही वह एनडीए से खुद को किनारा कर चुनाव मैदान में अपने उम्मीदवार उतर सकते हैं. इस तरह एनडीए में तकरार के साथ-साथ टूट की भी प्रबल संभावना दिख रही.