शिक्षा का व्यवसायीकरण. शहरवासी डीएम को देंगे ज्ञापन
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संस्थानों को देते हैं मुंह मांगा रकम
शिक्षा का व्यवसायीकरण. शहरवासी डीएम को देंगे ज्ञापन जिले में शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ते व्यवसायी करण लोग परेशान हैं. बेबस होकर अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य को लेकर अभिभावक निजी संस्थानों को मुंह मांगा रकम देते हैं. इससे लोगों में आक्रोश है. जमुई : जिले में शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ते व्यवसायी करण से […]
जिले में शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ते व्यवसायी करण लोग परेशान हैं. बेबस होकर अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य को लेकर अभिभावक निजी संस्थानों को मुंह मांगा रकम देते हैं. इससे लोगों में आक्रोश है.
जमुई : जिले में शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ते व्यवसायी करण से परेशान लोग इससे निजात पाने के लिए जल्द ही जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपेंगे. सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रचुड़ सिंह बताते हैं कि शिक्षा के विभिन्न ट्रेडों से लोगों को लाभ दिलाने के लिए सरकारी या निजी संस्थान होना चाहिए. लेकिन आज हालात ऐसे बन चुके हैं कि सरकारी संस्थान संसाधन और कर्मी की कमी का रोना रोते है.
इसका फायदा निजी संस्थान संचालक उठाते हैं.वेवश होकर अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य को लेकर अभिभावक निजी संस्थानों को मुंह मांगा रकम देते हैं.लेकिन जब सच्चाई का पता लग पाता है. तब तक उनका सारा पैसा बर्बाद हो चुका होता है.व्यवसायी श्याम सुंदर सिंह बताते हैं कि आज जिस तरह से निजी शिक्षण संस्थानों की संख्या बढ़ रही है ऐसा लगता है कि वह वक्त जल्द ही आयेगा.जब शहर के प्रत्येक घर में स्कूल होगें.सरकार द्वारा खानापूर्ति के लिए इन संस्थानों पर नकेल तो कसी जाती है परंतु बाद में धीरे धीरे सबकुछ ठीक हो जाता है,क्योंकि आज का जुग पैसों का है.गृहणी स्नेहलता कहती हैं कि अनुमानत: शहर में विभिन्न ट्रेडों के लगभग 200 शिक्षण संस्थान हैं.
जहां पढने वालों की संख्या में कोई कमी नहीं है.परंतु अगर सरकारी मानकों पर विचार किया जाये तो बहुत कम संस्थान मानक के दायरे में है.गृहणी मानती है कि अगर सरकारी शिक्षण संस्थान की दशा व दिशा सुधार किया जाये तो लोगों को निजी शिक्षक संस्थान की जरुरत शायद नहीं हो.शिक्षक विजय कुमार का कहना है कि शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में निजी शिक्षण संस्थान की संख्या में वृद्धि हो रही है.संस्थान द्वारा लोगों को रिझाने के लिए विभिन्न उम्र के बच्चों के लिए अलग अलग
स्कूल के माध्यम से बेहतर शिक्षा देने का दवा किया जाता है.लेकिन वास्तविकता इससे काफी अलग होती है.युवा ओंकार शरण बताते हैं कि कुछ लोगों को यह विश्वास हो गया है कि निजी शिक्षक संस्थान वाले ही बेहतर शिक्षा दे सकते हैं.क्योंकि इसके लिए उन्हें एक मुश्त रकम जो मिल जाती है. लेकिन ऐसे बात नहीं है. सरकार व्यवस्था में भी आवश्यक सुधार हो रहा है जहां के प्रमाण पत्र के सहारे ही लोगों का भविष्य निखरता है. उक्त लोगों ने सामूहिक रूप से शिक्षा की व्यवसायी को लेकर जिलाधिकारी को एक ज्ञापन देंगे.
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर मात्र 10 निजी संस्थानों ने अभी तक कराया है पंजीकरण
सरकार शिक्ष व्यवस्था में आवश्यक सुधार को लेकर संस्थानों का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है. इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी सुरेंद्र कुमार सिन्हा का कहना है कि सरकार द्वारा अधिक से अधिक लोगों को बेहतर व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए निजी संस्थान के लिए बिहार कोचिंग अधिनियम बनाया गया है. जिसके तहत आगामी 31 जनवरी तक पंजीकरण से वंचित विद्यालय को निबंधन कराना है. डीइओ श्री सिन्हा ने बताया कि जिले में लगभग 500 की संख्या में निजी शिक्षण संस्थान हैं जिनमें मात्र 10 प्रतिशत का अभी तक पंजीकरण हो पाया है. उन्होंने बताया कि तयमानक का पालन नहीं करने वाले संस्थान पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
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