गुलशन कुमार
जमुई : कभी प्रियांशु ने भी पढ़-लिख कर बड़ा आदमी बनने का सपना देखा था. पढ़ने की ललक उसमें बचपन से ही रही थी. पर ज्यों-ज्यों वह बड़ा होता जा रहा था, त्यों-त्यों उसके जीवन की सारी उम्मीदें धुंधली होती जा रही थीं.
कारण था उसके पिता प्रकाश रावत की शराब पीने की लत, जो उसके पिता के जीवन के साथ-साथ परिवार की खुशियों को भी धीरे-धीरे समाप्त करता जा रही थी. कोई दिन भी ऐसा नहीं गुजरता था, जब प्रकाश शराब बिना पिये घर आता हो. उसकी यह आदत अब उसके स्वभाव में तब्दील हो गयी थी. प्रतिदिन पत्नी और बच्चों के साथ कहासुनी आम हो गयी थी. वह बात-बात पर बच्चों को झिड़क देता था, पत्नी को ताने मरता था और फिर खुद शराब के नशे में डूब जाता था.
प्रकाश की पत्नी, उसका बेटा प्रियांशु और उसकी बेटी रेशमी भारती के पास आंसू बहाने के अलावा और कोई चारा नहीं था. तभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पांच अप्रैल, 2016 से सूबे में पूर्ण शराबबंदी का निर्णय लिया. उनके इस निर्णय और कड़े कानून के डर से प्रकाश ने भी कभी शराब नहीं पीने का प्रण कर लिया. अब शराबबंदी को डेढ़ साल से अधिक गुजर गया, लेकिन प्रकाश आज भी अपने निश्चय पर अडिग है. इस निर्णय ने उसके परिवार में खुशियां भर दी हैं.
छूट गयी थी पढ़ाई : जिले के खैरा प्रखंड अंतर्गत खैरा का रहने वाला प्रकाश रावत शराब में इस कदर डूब चुका था कि उसके परिवार की सारी जिम्मेवारी उसके इकलौते पुत्र 20 वर्षीय प्रियांशु पर आ गयी थी. जवान हो रही बहन की शादी और घर परिवार के खर्च की चिंता में प्रियांशु को काफी कम उम्र में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी. पढ़ाई छोड़ कर उसने एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर ली और परिवार की जिम्मेदारियां संभालने लगा. प्रियांशु बताता है कि अब उसके पिता घर संभालने लगे हैं.
वह अपने खेतों में खेती करते हैं. जिस वजह से अब मैं फिर अपनी पढ़ाई शुरू कर सकता हूं. साथ ही अब बहन की शादी की जिम्मेदारी भी पिता के कंधों पर आ गयी है. शराबबंदी ने मेरे परिवार में खुशियां ला दी हैं.