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Independence Day: साथियों के साथ अंग्रेजों के खिलाफ रणनीति बनाते गिरफ्तार कर लिये गये थे पं गदाधर पांडेय

वजीरगंज प्रखंड मुख्यालय से सटे करीब आधा किलोमीटर दूर मीरगंज गांव के करीब एक दर्जन युवा स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों से लोहा लेने को आतुर थे. उन्होंने ढाई वर्ष हजारीबाग जेल में और एक वर्ष गया सेंट्रल जेल में अंग्रेजों की यातनाएं सही थीं.

वजीरगंज प्रखंड मुख्यालय से सटे करीब आधा किलोमीटर दूर मीरगंज गांव के करीब एक दर्जन युवा स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों से लोहा लेने को आतुर थे. इन्हीं में से एक थे मीरगंज निवासी पंडित गदाधर पांडेय, जो अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन को हमेशा मजबूती प्रदान करते रहे. आज भी इनकी वीरता की चर्चा कर ग्रामीण खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं. स्वतंत्रता सेनानी पंडित गदाधर पांडेय को हमेशा इनके साथियों का साथ मिला. इनके हर एक साथी के मन में अंग्रेजों के प्रति घोर नफरत की. ऐसे में ये अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह को मजबूती के साथ आगे बढ़ाते रहे. इसी क्रम में जब अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन अपने परवान पर था, तो पंडित गदाधर पांडेय ने हसरा पहाड़ी के निकट एक गोपनीय बैठक रखी. अंग्रेजों को उस बैठक की भनक लग गयी. फिर क्या था. अंग्रेज सिपाही बैठक स्थल पर पहुंच गये और पंडित गदाधर पांडेय सहित उनके सभी साथियों को पकड़ लिया. पंडित गदाधर पांडेय को उनके साथियों के साथ हजारीबाग जेल में डाल दिया गया, जहां ये लोग ढाई वर्ष रहे. इसके बाद उन्हें गया सेंट्रल जेल में डाल दिया गया, जहां इन्होंने एक वर्ष तक अंग्रेजों की यातनाएं सही.

पंडित नेहरू से थी अच्छी जान पहचान

पंडित गदाधर पांडेय के पौत्र धर्मदेव पांडेय बताते हैं कि उनके दादा के साथ पिता रामलखन पांडेय के जेल जाने से घर की माली हालत पर कुप्रभाव भले पड़ा हो, लेकिन वे स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते थे. स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े रहने के कारण गदाधर पांडेय की पंडित जवाहर लाल नेहरू से गहरी जान-पहचान थी. एक बार जब पंडित नेहरू वजीरगंज के जवाहर टांड़ पर आकर सभा को संबोधित कर रहे थे, तो उनकी बेटी इंदिरा गांधी को गोद में लेकर गदाधर पांडेय चुप कराते रहे. आज भी ग्रामीण पंडित गदाधर पांडेय की वीरता की कहानी साझा करते नहीं थकते हैं. वर्तमान में इनके परिवार के सदस्य पुरोहितगीरी कर जीविकोपार्जन कर रहे हैं.

गांव में जीवित बचे हैं सिर्फ एक स्वतंत्रता सेनानी

स्वतंत्रता सेनानी पंडित गदाधर पांडेय के साथ उनके मीरगंज गांव के करीब एक दर्जन से अधिक लोगों ने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था. वर्तमान में 99 बसंत पार कर चुके स्वतंत्रता सेनानी राजेंद्र प्रसाद सिंह ही जीवित हैं, बाकी के स्वतंत्रता सेनानी रामानुग्रह नारायण सिंह उर्फ रामा बाबू, कृष्णदेव पांडेय, कुमार विजय रत्न सिंह, कुमार सुबल सिंह आदि काल कवलित हो चुके हैं.

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