मीरगंज : बंद पड़े सल्फर गोदाम में आग कैसे लगी इसको लेकर कई बातें सुनने को आ रही हैं. कुछ लोगों का कहना है कि बंद पड़े इस गोदाम में चोरी करने आये गैंग के लोगों ने सिगरेट फेंक दिया, जिससे ज्वलनशील सल्फर सुलगने लगा और रासायनिक प्रक्रिया के बाद जहरीला गैस निकलने लगी. वहीं […]
मीरगंज : बंद पड़े सल्फर गोदाम में आग कैसे लगी इसको लेकर कई बातें सुनने को आ रही हैं. कुछ लोगों का कहना है कि बंद पड़े इस गोदाम में चोरी करने आये गैंग के लोगों ने सिगरेट फेंक दिया,
जिससे ज्वलनशील सल्फर सुलगने लगा और रासायनिक प्रक्रिया के बाद जहरीला गैस निकलने लगी. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि वहां पर घसियारों के घास काटने के बाद यह आग लगी. इसमें कोई भी स्पष्ट रूप से कुछ भी कहने से इनकार कर रहा है. एक बात स्पष्ट है कि इस खतरनाक रसायन को सुरक्षित ढंग से निबटारा नहीं किया गया, जिसकी वजह से यह हादसा हुआ.
चीनी उद्योग का महत्वपूर्ण रसायन है सल्फर : चीनी उद्योग में सल्फर का इस्तेमाल पहले से होता आ रहा है, ताकि इसके गुणवत्ता में सुधार आ सके. लगभग ढाई दशक से बंद पड़े इस खतरनाक सल्फर में आग लगने का भयावह परिणाम हो सकता था. खुले में पड़े इस रसायन का प्रभाव काफी कुछ कम हो गया. आग लगने के बाद सल्फर पानी के जैसा फैल रहा था और काला जहरीला गैस दम घूंटनेवाला पैदा हो रही थी.
पशु-पक्षी के लिए भी घातक है सल्फर : डॉ आरके : रसायन विज्ञान के प्रोफेसर आरके यादव ने कहा कि आग लगने से सल्फर के रसायन में कई तरह के मिश्रित प्रक्रियाएं होती हैं, जो जीव जंतुओं के लिए घातक साबित हो सकती है. समय रहते आग पर काबू नहीं पाया गया, तो इनसान के साथ – साथ पशु-पक्षी को भी जहरीली गैस घातक साबित हो सकती है.