लापरवाही : पीएम का स्वच्छता अभियान तोड़ रहा फाइलों में तोड़ रहा दम 4.21 लाख घरों को है शौचालय का इंतजारगांव में आज भी लोटा परेड करने को बाध्य हैं ग्रामीणखुले में शौच करने से नहीं मिल पा रही लोगों को मुक्तिफोटो – 15 – व्यवहार न्यायालय में बन कर तैयार शौचालयपंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के मौके पर 25 सितंबर, 2014 को प्रधानमंत्री ने स्वच्छता अभियान की शुरुआत की. इस अभियान के तहत शहर से लेकर गांव तक एनजीओ, निजी स्कूलों के द्वारा साफ सफाई और शौचालय बनाने के लिए लोगों को जागरूक किया गया. आज यह अभियान फाइलों में दब गगया है. आज जिले के लगभग 3.87 लाख घरों में शौचालय नहीं है. लोग लोटा परेड करने को बाध्य हैं. संवाददाता, गोपालगंजखुले में शौच यानी संक्रमण बीमारियों को न्योता देना है. खुले में शौच को रोकने के लिए बेशक प्रधानमंत्री की तरफ से प्रयास किया जा रहा है, लेकिन धरातल पर स्थिति सिफर है. आज भी जिले के 572111 घरों में 3.87 लाख घरों में शौचालय नहीं है. यानी इन घरों के लोगों को खुले में शौच करने की मजबूरी है. शौचालय बनाने के लिए हर परिवार चाहता है. सभी लोग चाहते हैं कि स्वच्छता के साथ जीवन को बिताये. आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं होने के कारण शौचालय का निर्माण नहीं हो पा रहा है या शौचालय निर्माण के प्रति ग्रामीणों की उदासीनता भी इस मामले में कम नहीं है. शौचालय नहीं होने के कारण गांव की सड़कों पर जहां-तहां लोग शौच कर देते हैं. इससे पूरा माहौल प्रदूषित रहता है. आज स्थिति यह है कि शहर के आसपास के गांवों की सड़कें स्थिति की पोल खोल रही हैं. हर घर में शौचालय का लक्ष्यस्वच्छता अभियान के तहत हर घर में शौचालय बनाने का लक्ष्य है. इसके लिए प्रधानमंत्री की तरफ से वर्ष 2014 में पांच साल का समय रखा गया था. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए पीएचइडी ने जिले में शौचालयों का सर्वे कराया. सर्वे में पाया गया कि 5.72 में से 3.87 लाख घरों में आज भी शौचालय नहीं है. इन घरों में शौचालय बनाने के लिए विभाग ने पांच साल का लक्ष्य चुनौती के रूप में लिया है. क्या है शौचालय बनाने का नियमसरकार की तरफ से शौचालय बनाने पर 10 हजार और 12 हजार रुपये का अनुदान दिया जाता है. वैसा शौचालय जिसमें पानी टंकी नहीं है. उसके लिए 10 हजार रुपये का अनुदान दिया जाता है. पानी टंकीवाले शौचालय को 12 हजार रुपये देने का प्रावधान है. इसके लिए पंचायत से फाॅर्म लेकर भरने के बाद मुखिया के पास जमा करना है. मुखिया भौतिक सत्यापन कर उसकी अनुशंसा प्रखंड को-ऑर्डिनेटर को करेंगे. प्रखंड को-ऑर्डिनेटर कोर ग्रुप को अनुशंसा करते हैं. पीएचइडी से राशि मुखिया के खाते में भेजी जाती है. मुखिया संबंधित लाभुक के खाते में अनुदान की राशि देते हैं. विभाग की तरफ से चयनित 16 पंचायत फेलस्वच्छता अभियान के तहत पहले चरण में जिले की 234 पंचायतों में 42 पंचायतों का चयन विभाग ने किया, जिनमें से 16 पंचायत पूरी तरह से फेल हो गयीं. 26 पंचायतों में से 5218 घरों में शौचालय का निर्माण शुरू होने की रिपोर्ट मिली. 3378 घरों में शौचालय निर्माण की जांच करते हुए पहली किस्त के रूप में सात हजार रुपये का अनुदान वर्ष 2014 से अब तक विभाग ने दिया है.क्या कहते हैं मुखियाजिन पंचायतों का चयन स्वच्छता अभियान के तहत हुआ है, उनके अलावा किसी भी पंचायत में शौचालय बनानेवाले लाभुक को अनुदान की राशि नहीं दी जा रही है. इसके कारण अपेक्षित शौचालय का निर्माण नहीं हो पा रहा है. गरीब घर के लोग पैसे के अभाव में शौचालय का निर्माण नहीं करा पा रहे हैं. दो साल से मेरी पंचायत में लगभग 42 लोगों ने शौचालय बनाया. फाॅर्म भर कर जमा किया गया, लेकि आज तक अनुदान नहीं मिला.महफूज अंसारी, हथुआ क्या कहते हैं अधिकारीपांच वर्षों में जिले के सभी घरों में शौचालय बनाना है. पहले फेज में 42 पंचायतों का चयन किया गया था. फेजवार एक – एक पंचायत में चयन कर शौचालय बनाया जाना है. इसके लिए थोड़ा-सा धैर्य की जरूरत है. अशोक कुमार, कार्यपालक अभियंता, पीएचइडी
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4.21 लाख घरों को है शौचालय का इंतजार
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