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नर्भिया के बहाने नारी सशक्तीकरण का उठा मुद्दा

निर्भया के बहाने नारी सशक्तीकरण का उठा मुद्दा .. संस्कृत और संस्कृति से ही बढ़ेगा नारी सम्मान..संस्कृत कॉलेज में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की क्षेत्र में हो रही चर्चा भोरे. जिस समाज में नारी का सम्मान नहीं होता वह समाज कभी विकासोन्मुख नहीं हो सकता. क्योंकि नारी श्रष्टा है. जब से भारतीय समाज उपभोक्तावादी दृष्टिकोण […]

निर्भया के बहाने नारी सशक्तीकरण का उठा मुद्दा .. संस्कृत और संस्कृति से ही बढ़ेगा नारी सम्मान..संस्कृत कॉलेज में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की क्षेत्र में हो रही चर्चा भोरे. जिस समाज में नारी का सम्मान नहीं होता वह समाज कभी विकासोन्मुख नहीं हो सकता. क्योंकि नारी श्रष्टा है. जब से भारतीय समाज उपभोक्तावादी दृष्टिकोण को अपनाने लगा है, समाज में नारी के विरुद्ध अपराध बढ़े हैं. इस प्रवृत्ति को केवल कानून के बल पर नहीं रोका जा सकता है. इसके लिए चरित्र निर्माण आवश्यक है. जो केवल संस्कृत एवं संस्कृति को अपनाने से ही संभव है. गोपालगंज के पश्चिमी छोर पर स्थित श्रीराम संस्कृत महाविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में विद्वानों ने अपने विचार रखते हुए कहा. निर्भया हत्याकांड की बरसी पर नारी सम्मान को याद करते हुए विद्वानों ने नारी सशक्तीकरण का मुद्दा उठाया, जो क्षेत्रीय जन मानस में चर्चा का विषय बना हुआ है. आज की तारीख में नारी के विरुद्ध बढ़ते अपराध इस बात का प्रमाण है कि नारी आज भोग्या हो गयी है. उसका देवी रूप खोता जा रहा है. भारतीय संस्कृति सदैव से नारी को देवी एवं श्रृष्टिकर्ता के रूप में देखा है. यही कारण जीवन के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्र धन, ज्ञान, शक्ति का संचालनकर्ता महिलाओं को बनाया है. संस्कृति से दूर जाकर समाज नारी का सम्मान करना छोड़ दिया, जिसका परिणाम हमारे सामने है. ग्रामीण क्षेत्रों से ही पुन: संस्कृत और संस्कृति का उत्थान होगा. तब समाज में समृद्धि आयेगी. नारी सशक्तीकरण को अगर देखना है, तो ग्रामीण समाज को देखना होगा, जहां महिलाएं पुरुष के साथ कंधे-से-कंधा मिला कर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को मजबूत कर रही हैं. विजयीपुर में इस आयोजन के बाद यह चर्चा पर जोरों पर है. हर तरफ संस्कृत और संस्कृति को अपनाने और जीवनशैली में उतारने की चर्चा हो रही है. इसी के साथ संस्कृत विषय को महत्व देने की मांग उठने लगी. विजयीपुर में यह पहला मौका था कि एक साथ देश के 200 विद्वानों का समागम हुआ.

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