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डीआरडीए में पांच महीने तक धूल फांकती रही जांच रिपोर्ट

डीआरडीए में पांच महीने तक धूल फांकती रही जांच रिपोर्टफर्जीवाड़ा. जगतौली पंचायत में एक साथ बना ली गयी थी तीन सलाह सूचीइंदिरा आवास की पूरी सूची खुद मुखिया पति ने किया तैयारतत्कालीन डीडीसी ने टीम गठित कर करा चुके थे जांचजांच अधिकारी ने नहीं दी रिपोर्ट और हो गया तबादलामृतकों के नाम पर भी दिया […]

डीआरडीए में पांच महीने तक धूल फांकती रही जांच रिपोर्टफर्जीवाड़ा. जगतौली पंचायत में एक साथ बना ली गयी थी तीन सलाह सूचीइंदिरा आवास की पूरी सूची खुद मुखिया पति ने किया तैयारतत्कालीन डीडीसी ने टीम गठित कर करा चुके थे जांचजांच अधिकारी ने नहीं दी रिपोर्ट और हो गया तबादलामृतकों के नाम पर भी दिया गया योजना का लाभइंदिरा आवास गरीबों का सपना है. इस योजना में किस तरह का फर्जीवाड़ा हो रहा है, इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता. जगतौली पंचायत में इंदिरा आवास में फर्जीवाड़ा तत्कालीन डीडीसी सुनील कुमार तथा एपीओ ने उजागर किया. जांच में कार्रवाई के बजाय फाइल को डीआरडीए में दबा दी गयी. अब डीडीसी जीउत सिंह ने जब जांच के लिए फिर से टीम गठित की, तो लोगों को भरोसा हो रहा है कि कार्रवाई होगी.प्रभात पड़ताल संवाददाता, गोपालगंजभोरे प्रखंड के जगतौली पंचायत में इंदिरा आवास में किये गये व्यापक फर्जीवाड़े की जांच तत्कालीन डीडीसी सुनील कुमार ने आरंभ करायी थी. जांच के लिए डीआरडीए के एपीओ सीमा गुप्ता को अधिकृत किया गया. जांच में पूरा मामला खुल का सामने आ गया. फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद डीडीसी ने भोरे के प्रधान सहायक एवं नाजिर को बुला कर उनके मौखिक बयान को भी रेकाॅर्ड किया. पूरे मामले को अचानक मुखिया पति के प्रभाव में फाइलों में बांध कर धूल फांकने के लिए छोड़ दिया गया. इस बीच पहले एपीओ और बाद में डीडीसी का तबादला हो गया. इसके बाद डीआरडीए में पूरे मामले को दबा कर रखा गया था. इस बीच डीडीसी जिउत सिंह को इसकी भनक लगी और बजाप्ते इस फर्जीवाड़े की फाइल फिर से खुल गयी. कहा तो यहां तक जा रहा है कि जगतौली पंचायत के लिए जांच टीम गठित बेशक हो गयी है, पर मुखिया पति अपने धन, पहुंच व पैरवी के बदौलत मामले को दबा देंगे.एपीओ की जांच में हुआ था उजागरजगतौली पंचायत के मुखिया पति रमेश प्रसाद सिंह, जो साहुजैन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं, उनके खाते में इंदिरा आवास के 71.50 लाख रुपये भेजे जाने की शिकायत पर शुरू हुई जांच में यह तथ्य उभर कर सामने आया कि दिनांक 02/03/2014 को एक ही साथ लाभुकों के खाते में पैसा भेजने के लिए तीन-तीन सलाह सूचियां निर्गत की गयीं. क्रमांक 1-20 तक के आधा दर्जन क्रमांकों के सामने ‘डी’ अंकित कर या तो मृत लोगों या फिर डबल लाभ दिये जाने का मामला है. आवंटित राशि की तिथि भी अंकित की गयी है. दर्जन भर लाभुकों को दुबारा 50-50 हजार की दर से राशि आवंटित की जा रही थी. वहीं, दूसरी सलाह सूची की जांच में क्रम संख्या 2-16 तक के करीब दर्जन भर लाभुकों के नाम के आगे दिनांक 20/01/2013 दर्शाया गया था. जांच अधिकारी ने सलाह सूची दो के कुल 77 व्यक्तियों के नाम पर यह सवाल उठाया है कि इस सूची में न तो लाभुकों का खाता दर्ज है और न ही उनका बीपीएल नंबर. लेकिन, इसके बावजूद 50 हजार रुपये की दर से कुल 38.50 लाख रुपये भेज दिये गये. तीसरी सलाह सूची के अनुसार इंदिरा आवास के लाभार्थियों काे एक मुश्त पैसा 71.50 लाख रुपये मुखिया पति रमेश प्रसाद सिंह के निजी खाते में तथा दो लाख रुपये उसी पंचायत के उमेश यादव के खाते में भेज दिये गये. पंचायत सचिव का फर्जी बनाया गया हस्ताक्षर यहां पंचायत सचिव सच्चिदानंद मिश्र का फर्जी हस्ताक्षर कर मुखिया पति ने प्रतिवेदन तैयार कर यह स्पष्ट किया कि लाभुक बीपीएल धारी है तथा उन्हें पूर्व में आवास का लाभ नहीं दिया गया है. लेकिन, अब सवाल यह उठता है कि आखिर किन परिस्थितियों में एक ही पंचायत में एक ही योजना से संबद्ध लाभुकों के लिए एक ही दिन एक ही पत्रांक दिनांक से तीन-तीन सलाह सूची कैसे जारी कर दी गयी. पहली और दूसरी सलाह सूचियों में क्रमांक एवं नाम के सामने ‘डी’ तथा पूर्व के वर्षों की तिथियां अंकित करने का क्या अर्थ है. क्या कहते हैं अधिकारीजगतौली पंचायत में जांच टीम की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. जांच रिपोर्ट आते ही प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई की जायेगी. जीउत सिंह, डीडीसी, गोपालगंज

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