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साढ़े तीन सालों में भी बेदाग नहीं बन सकी नगरपालिकाएं

साढ़े तीन सालों में भी बेदाग नहीं बन सकी नगरपालिकाएंराज्य निर्वाचन आयोग की पहल पड़ी रह गयी संचिका में संवाददाता,पटनाराज्य निर्वाचन आयोग ने 2012 के आम नगरपालिका चुनाव में नगर निकायों को बेदाग प्रतिनिधि उपलब्ध कराने की पहल की थी. प्रयास यह था कि स्थानीय स्वशासन का संचालन वैसे लोग करे, जिनकी छवि साफ सुथरी […]

साढ़े तीन सालों में भी बेदाग नहीं बन सकी नगरपालिकाएंराज्य निर्वाचन आयोग की पहल पड़ी रह गयी संचिका में संवाददाता,पटनाराज्य निर्वाचन आयोग ने 2012 के आम नगरपालिका चुनाव में नगर निकायों को बेदाग प्रतिनिधि उपलब्ध कराने की पहल की थी. प्रयास यह था कि स्थानीय स्वशासन का संचालन वैसे लोग करे, जिनकी छवि साफ सुथरी हो. चुनाव के समय सभा प्रत्याशियों के शपथ पत्र के आधार पर आपराधिक मामलेवाले प्रतिनिधियों की सूची तैयार की गयी थी. नगरपालिका में निर्वाचित सदस्यों पर दायर मुकदमों के लिए सभी जिला आरक्षी अधीक्षकों व जिलाधिकारियों से अनुरोध किया गया थी कि स्पीडी ट्रायल चलाकर उनके मुकदमों की सुनवाई करा दी जाये. राज्य निर्वाचन आयोग के इस निर्देश का पालन अभी तक किसी जिले ने नहीं किया है. नगरपालिका आम चुनाव में कुल 12576 उम्मीदवार मैदान में थे. इनमें से 1076 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले लंबित थे. आयोग ने जो रिपोर्ट मंगायी, उनमें 88 प्रस्तावकों पर, जबकि 60 समर्थकों पर आपराधिक मामले दर्ज थे. चुनाव के बाद आपराधिक मामलोंवाले 1076 प्रत्याशियों में 419 को सफलता भी मिली. इन निर्वाचित प्रतिनिधियों के खिलाफ स्पीडी ट्रायल चलाया जाना था. दोषियों को सजा और निर्दोषों को जनता की सेवा के लिए बहाल करना था. नगरपालिका अधिनियम 2007 में यह प्रावधान है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को किसी भी आपराधिक मामले में छह माह या उससे अधिक की सजा होने पर उनका प्रतिनिधित्व स्वत: समाप्त हो जायेगा. आयोग ने आरक्षी अधीक्षकों को यह भी निदेश दिया था कि स्पीडी ट्रायल की सूचना आयोग को भी उपलब्ध करायी जाये. इस सूचना को राज्य निर्वाचन आयोग के वेबसाइट पर भी अपलोड किया जा सके. राज्य निर्वाचन आयोग के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि अभी तक किसी भी जिले से इस तरह की रिपोर्ट नहीं मिली है. मालूम हो कि पटना हाइकोर्ट में इस तरह की याचिका दायर की गयी है, जिसमें सुनवाई सोमवार त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों में तेजी से सुनवाई करने की मांग की गयी है.

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