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रोज बन-बिगड़ रहे चुनावी समीकरण

उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे गोपालगंज का राजनीतिक मन-मिजाज कुछ अलग है. इस जिले में छह विधानसभा सीटें हैं, जिनके लिए मतदान चौथे चरण में एक नवंबर को होना है. पिछले चुनाव में जदयू और भाजपा साथ थे और दोनों को तीन -तीन सीटें मिली थीं. महागंठबंधन के नेता लालू प्रसाद के पैतृक जिले […]

उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे गोपालगंज का राजनीतिक मन-मिजाज कुछ अलग है. इस जिले में छह विधानसभा सीटें हैं, जिनके लिए मतदान चौथे चरण में एक नवंबर को होना है. पिछले चुनाव में जदयू और भाजपा साथ थे और दोनों को तीन -तीन सीटें मिली थीं.
महागंठबंधन के नेता लालू प्रसाद के पैतृक जिले गोपालगंज में विकास के साथ-साथ जातीय समीकरण की हवा भी कम नहीं है. बगावत की जंग से रोज यहां समीकरण बन-बिगड़ रहे हैं. गोपालगंज की ताजा चुनावी स्थिति पर पढ़िए रिपोर्ट.
गोपालगंज कार्यालय
गोपालगंज जिले में विधानसभा की छह सीटें बैकुंठपुर, बरौली, गोपालगंज, हथुआ, कुचायकोट और भोरे (सुरिक्षत) हैं. तीन सीटों पर महागंठबंधन और एनडीए के बीच करीब-करीब सीधा मुकाबला है, जबकि तीन पर त्रिकोणात्मक संघर्ष के आसार हैं.
यहां की तकरीबन हर सीट पर बागी और जाति ही चुनावी समीकरण के केंद्र हैं. चुनाव प्रचार परवान पर है. विकास के मुद्दे के साथ जातीय आधार पर वोटों के ध्रुवीकरण और वोट बैंकों में सेंधमारी में सभी दल लगे हुए हैं. इस क्रम में विकास का मामला पृष्ठभूमि में जाता हुआ दिखता है. पर सार्वजनिक तौर पर विकास के नाम की माला सभी जप रहे हैं. इसी के आधार पर जीत-हार का आकलन किया जा रहा है.
इस बार बरौली तथा गोपालगंज सीट पर महागंठबंधन से राजद चुनाव लड़ रहा है. वहीं बैकुंठपुर , कुचायकोट और हथुआ सीट पर जदयू के उम्मीदवार हैं. भोरे (सुरिक्षत) सीट पर कांग्रेस भाग्य आजमा रही है. एनडीए से बैकुंठपुर, बरौली, गोपालगंज और भोरे सीट पर भाजपा चुनाव लड़ रही है, तो हथुआ हम के और कुचायकोट लोजपा के खाते में है. अगड़ी-पिछड़ी जातियों के हिसाब लगाये जा रहे हैं. जातीय समीकरण पर सबकी नजरें लगी हुई हैं.
सच तो यह है कि इसी समीकरण के आधार पर जीत-हार की गणना भी की जा रही है. बैकुंठपुर, बरौली, गोपालगंज और हथुआ में बागी उम्मीदवार प्रमुख दलों के लिए चुनौती पेश कर रहे हैं. जिले की चुनावी तसवीर पूरी तरह से जातीय रंग में है. नतीजतन कहीं सीधा तो कहीं त्रिकोणात्मक संघर्ष है. राजनीतिक वेिषकों की मानें, तो बागियों का प्रदर्शन चुनाव नतीजे को प्रभावित करेगा. इस वजह से बागी भी यहां फैक्टर हैं.
इनपुट : प्रमोद तिवारी
त्रिकोणीय संघर्ष के आसार
यहां से पिछली बार जदयू के मंजीत कुमार सिंह ने राजद के देवदत्त प्रसाद को हराया था. इस बार यहां महागंठबंधन की ओर से मंजीत सिंह जदयू से चुनाव लड़ रहे है. भाजपा ने मिथिलेश तिवारी को टिकट दिया है. मनोरमा देवी को भाजपा से टिकट की उम्मीद थी. टिकट नहीं मिलने पर वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में हैं. यहां कुल ग्यारह उम्मीदवार हैं. महागंठबंधन को राजद और जदयू के परंपरागत वोट बैंक से उम्मीद है.
मुकाबला सीधा, चुप हैं वोटर
कुचायकोट विधानसभा क्षेत्र में दोनों गंठबंधनों के बीच करीब-करीब सीधा मुकाबला है. पिछले चुनाव में विजयी रहे अमरेंद्र कुमार पांडेय इस बार भी महागंठबंधन से जदयू के प्रत्याशी हैं. वहीं एनडीए में लोजपा के टिकट पर पूर्व सांसद काली प्रसाद पांडेय चुनाव लड़ रहे हैं. पिछली बार चुनाव लड़े उमेश प्रधान इस बार एनडीए के साथ हैं. यहां ब्राrाणों का वोट निर्णायक रहा है. फिलहाल इस वर्ग में चुप्पी है.
दोनों गंठबंधनों ने ताकत झोंकी
भोरे विधानसभा सुरक्षित सीट से पिछली बार भाजपा के टिकट पर इंद्रदेव मांझी विजयी रहे थे. इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के अनिल कुमार राम से है. राम पिछले साल लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के उम्मीदवार थे. यहां जदयू नेता ललन मांझी बागी उम्मीदवार हैं.
अगड़ी जाति के वोटर अभी चुप्पी साधे हुए हैं. माना जा रहा है कि यहां जीत उसी की होगी, जिसके पक्ष में वोटरों का यह वर्ग जायेगा. वर्तमान में दलित वोट तीन खेमे में बिखरा हुआ है. ऐसे में मतदाताओं को गोलबंद करने के लिए दोनों गंठबंधनों के बड़े नेता अपनी ताकत झोक रहे हैं. दोनों गंठबंधन मतदाताओं की चुप्पी से परेशान हैं.
गंठबंधनों में निर्दलीय का पेच
हथुआ विधानसभा क्षेत्र में इस बार गंठबंधनों की लड़ाई में निर्दलीय की पेच फंसी हुई है. यहां राजग से हम के प्रत्याशी के रूप में डॉ महाचंद्र सिंह के मैदान में आने से चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है. पिछली बार जदयू के रामसेवक सिंह चुनाव जीते थे. राजद के राजेश कुमार सिंह हारे थे.
इस बार महागंठबंधन से रामसेवक सिंह फिर चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं हम से डॉ महाचंद्र सिंह तथा निर्दलीय राजेश सिंह कुशवाहा मैदान में हैं. कोइरी बहुल इस क्षेत्र में महागंठबंधन और एनडीए के बीच निर्दलीय राजेश ने लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है. सामाजिक समीकरण के लिहाज से हर उम्मीदवार के अपने दावे हैं.
पुराने प्रतिद्वंद्वी आमने-सामने
बरौली से लगातार चार बार भाजपा के टिकट पर चुने गये विधायक राम प्रवेश राय इस बार भी भाजपा प्रत्याशी हैं. वहीं इतनी ही बार विधायक रहे मो नेमतुल्लाह राजद से मैदान में हैं. दोनों पुराने प्रतिद्वंदी हैं. गरीब जनता दल सेक्यूलर के अध्यक्ष अनिरुद्ध प्रसाद यादव उर्फ साधु यादव भी किस्मत आजमा रहे हैं.
बागियों से लड़ाई हुई दिलचस्प
गोपालगंज विधानसभा क्षेत्र से पिछली बार भाजपा के टिकट पर सुबास सिंह चुनाव जीते थे. उन्होंने राजद रेयाजुल हक राजू को हराया था. इस बार भी दोनों आमने-सामने हैं. वहीं भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष अनूप कुमार श्रीवास्तव और कभी जदयू के सक्रि य कार्यकर्ता रहे ओम प्रकाश सिंह के निर्दलीय चुनाव लड़ने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है. वोटों का बिखराव रोकने के लिए जातीय तथा राजनीतिक हथकंडे अपनाये जा रहे हैं, जबकि वोटर चुप्पी साधे हुए हैं. हालांकि वोटर विकास के मुद्दों को तवज्जो देने की बात कर रहे हैं.

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