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हाइस्कूलों में नहीं हैं किसी भी गेम के प्रशिक्षित प्रशिक्षक

गोपालगंज : स्कूलों की चहारदीवारी में खेलते-खेलते बाहर निकले सचिन तेंडुलकर, मेजर ध्यान चंद, मैरी कॉम, विश्वनाथन आनंद, सानिया मिर्जा, सानिया नेहवाल आदि खिलाड़ियों ने विश्व पटल पर अपना व अपने देश का नाम रोशन किया है. इस कड़ी को बनाये रखने के लिए ही स्कूली शिक्षा में खेल एवं शारीरिक शिक्षा को अनिवार्य विषय […]

गोपालगंज : स्कूलों की चहारदीवारी में खेलते-खेलते बाहर निकले सचिन तेंडुलकर, मेजर ध्यान चंद, मैरी कॉम, विश्वनाथन आनंद, सानिया मिर्जा, सानिया नेहवाल आदि खिलाड़ियों ने विश्व पटल पर अपना व अपने देश का नाम रोशन किया है.
इस कड़ी को बनाये रखने के लिए ही स्कूली शिक्षा में खेल एवं शारीरिक शिक्षा को अनिवार्य विषय बनाया गया. इरादा था युवाओं को खेलकूद में आगे बढ़ाने का. यहां पर जमीनी हकीकत बड़ी दयनीय स्थिति को बयां कर रही है.
कहने को तो बिहार माध्यमिक शिक्षा पर्षद स्कूल स्तर पर 18 गेम्स करा रहा है, लेकिन प्रशिक्षित प्रशिक्षक किसी भी गेम के उपलब्ध नहीं हैं. हालात यह है कि जिले में 4 अंगीभूत कॉलेज, तीन वित्तरहित कॉलेज, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय 50, प्रोजेक्ट विद्यालय-6, अल्पसंख्यक विद्यालय-5 अपग्रेड उच्च विद्यालय-60, अनुदानित विद्यालय 29, स्कूलों के लिए महज 38 खेल शिक्षक मौजूद हैं. स्पोर्ट्स को जहां दुनिया भर में बढ़ावा मिल रहा है, वहीं हमारे स्कूलों में इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. हाइस्कूलों में प्रति छात्र दो रु पये व इंटरमीडिएट में प्रति छात्र तीन रु पये खेल की फीस ली जाती है.
वार्षिक खेल फीस 24 व 36 रु पये होगी है. इसमें से जिले के शिक्षा विभाग को ढाई महीने की फीस अर्थात हाइस्कूल के पांच रु पये व इंटरमीडिएट के साढ़े सात रु पये मिलते हैं.
शासन की ओर से खेल प्रतियोगिताएं आयोजित कराने के लिए जिला स्तर पर महज 10 हजार व प्रदेशस्तरीय खेलों के लिए केवल 30 हजार रु पये वार्षिक मिलते हैं. इसी में पूरा खर्च निहित होता है.

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