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होती थी क्विंटल में पैदावार, हुई किलो में

फोटो नं-1गोपालगंज . मौसम की मार से किसानों की कमर टूट गयी है. खलिहान में फसल देख किसानों के पैरों तले जमीन खिसक रही है. पहले जहां क्विंटल में पैदावार होती थी, वहां इस बार किलो के हिसाब से हुई है. कुचायकोट के रामपुर दाउद के रामेेश्वर मिश्रा ने 12 बीघे में गेहूं की खेती […]

फोटो नं-1गोपालगंज . मौसम की मार से किसानों की कमर टूट गयी है. खलिहान में फसल देख किसानों के पैरों तले जमीन खिसक रही है. पहले जहां क्विंटल में पैदावार होती थी, वहां इस बार किलो के हिसाब से हुई है. कुचायकोट के रामपुर दाउद के रामेेश्वर मिश्रा ने 12 बीघे में गेहूं की खेती की थी. इस बार उन्हें मात्र 2.85 क्विंटल अनाज ही मिला है, जबकि पिछले साल सौ क्विंटल पैदावार हुई थी. भोरे के पाखोपाली गांव के किसान विंध्याचल शर्मा बताते हैं कि पिछले साल एक बीघे में 10 क्विंटल गेहूं की पैदावार हुई थी. इस बार 1.25 क्विंटल से ही संतोष करना पड़ रहा है. कई बटाईदार किसानों को अधिया पर खेत होने के कारण इसमें से भी आधा गेहूं ही उन्हें मिलेगा. इसी गांव के अब्दुल सतार कहते हैं कि लग रहा था कि आधी फसल बरबाद हो जायेगी, पर गेहूं के छोटे-छोटे दाने से उम्मीद ने दम तोड़ दिया. बैकुंठपुर के सिरसा मानपुर के किसान दीनानाथ सिंह ने 1.2 बीघे में गेहूं की बोआई की थी. फसल खेत में ही लेटी हुई है. उसे कटाया ही नहीं गया है. थावे के बृंदावन के रहनेवाले माधव सिंह की एक एकड़ में गेहूं की फसल पूरी तरह बरबाद हो गयी है. सर्वे का कार्य कहां हो रहा है, पता नहीं. कुचायकोट के रमजीता गांव के सामाजिक कार्यकर्ता शैलेश पांडेय ने 24 बीघे में गेहूं की खेती की थी, लेकिन मौसम ने पूरी मेहनत पर पानी फेर दिया.

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