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थावे में पत्नी और बेटों ने रस्सी में बांध कर बुजुर्ग को पीटा

थावे : जब अपने ही जान लेने पर आमादा हों तो आदमी क्या करे. अपने हाथों से लालन-पालन और उंगली पकड़ राह चलने की सीख देने वाले को अपनी ही पत्नी और पुत्रों द्वारा घर में बंद कर जानलेवा हमला किया गया. हद पार करते हुए 75 वर्षीय बुजुर्ग के दोनों हाथ-पैर बांध मुंह में […]

थावे : जब अपने ही जान लेने पर आमादा हों तो आदमी क्या करे. अपने हाथों से लालन-पालन और उंगली पकड़ राह चलने की सीख देने वाले को अपनी ही पत्नी और पुत्रों द्वारा घर में बंद कर जानलेवा हमला किया गया.

हद पार करते हुए 75 वर्षीय बुजुर्ग के दोनों हाथ-पैर बांध मुंह में कपड़ा ठूंस कर उस वक्त तक मारा गया जबतक वह बेहोश नहीं हो गया. इसको लेकर थाना क्षेत्र के इंदरवा निवासी बुजुर्ग इमामुद्दीन मियां ने थाने में आवेदन दिया है.
दिये गये आवेदन में उन्होंने आरोप लगाया है कि रविवार की रात लगभग दस बजे उनकी पत्नी जीकरा खातून और पुत्र सरफुद्दीन मियां व कमरुद्दीन मियां ने उन्हें कमरे में बंद कर हाथ-पांव बांध मुंह में कपड़ा ठूंस दिया और इसके बाद जमकर पिटाई की.
इससे वे गंभीर रूप से घायल हो गये. घायल का इलाज स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में हुआ. बुजुर्ग ने आवेदन में परिजनों द्वारा हत्या कर दिये जाने की आशंका जतायी है. थानाध्यक्ष ने बताया कि मामले की छानबीन की जा रही है. कार्रवाई की जायेगी.
हर घंटे होती है एक दुर्घटना
गोपालगंज : 17 अप्रैल को दिल्ली जाने वाली बस के घर में घुसने से बनकट में चीत्कार मचा. 18 अप्रैल को झझवां तो 21 अप्रैल की शाम दानापुर में कार और स्कॉर्पियो का टकराना. यह चार दिनों का किस्सा नहीं, बल्कि एनएच 28 पर लगातार बढ़ती दुर्घटनाओं की कहानी है, जो थमने का नाम न ले रही है.
यमदुत बन जहां वाहन दौड़ रहे हैं, वहीं काली सड़कें खून पीकर लाल हो रही हैं. रफ्तार की होड़ में आये दिन किसी-न-किसी के जीवन की डोर टूट रही है.
हाइवे से लेकर गंवही सड़क तक चिकनी हो गयी है. लोगों का सफर आसान हो गया है. चिकनी सड़क पर रफ्तार की होड़ और नियमों की अनदेखी से मौत का तांडव जारी है. लोगों को जागरुक करने के लिए सड़क सुरक्षा जागरूकता सप्ताह भी कागजों तक सिमट कर रह गया है
ऐसे में प्रतिमाह लोग असमय काल के गाल में समा रहे हैं. जिले में प्रति माह औसतन आठ मौतें सड़क दुर्घटनाओं में होती हैं, वहीं हर घंटे एक सड़क दुर्घटना होती है. दुर्घटनाओं की इस रफ्तार में एनएच 28 के अलावा स्टेट हाइवे शिखर पर है. बाकी सड़कों पर भी मौत का यह तांडव जारी है.
क्या है दुर्घटनाओं का कारण
बेलगाम स्पीड पर नियंत्रण नहीं, यातायात नियमों की अनदेखी
स्कूल वाहन, पैसेंजर वाहन, ट्रैक्टर और ऑटो की नहीं होती जांच
ऑटो और जीप चलाने वालों में 25 फीसदी किशोर
80 फीसदी सवारी और स्कूल वाहनों का फिटनेस नहीं
95 फीसदी ट्रैक्टर, 98 फीसदी ऑटो, 65 फीसदी सवारी वाहनों के चालकों के पास नहीं है ड्राइविंग लाइसेंस
वाहन चालकों का नहीं है कोई सरकारी रिकॉर्ड
संकेतक और अंडरबाइपास का न होना
– सर्विस रोड की जीर्ण अवस्था

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