इंटरनल जांच तेज, एक-एक ऋणियों का शुरू हुआ सत्यापन
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फर्जीवाड़े में बैंक अधिकारियों पर कसा शिकंजा
इंटरनल जांच तेज, एक-एक ऋणियों का शुरू हुआ सत्यापन ऋणियों के सत्यापन से खुल रहा फर्जीवाड़े का राज गोपालगंज : स्टेट बैंक की कृषि विकास शाखा में नकली सोना जमाकर करोड़ों रुपये के ऋण में फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद बैंक की इंटरनल जांच की आंच में बैंक के कई अधिकारी झुलसने लगे हैं. बैंक […]
ऋणियों के सत्यापन से खुल रहा फर्जीवाड़े का राज
गोपालगंज : स्टेट बैंक की कृषि विकास शाखा में नकली सोना जमाकर करोड़ों रुपये के ऋण में फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद बैंक की इंटरनल जांच की आंच में बैंक के कई अधिकारी झुलसने लगे हैं. बैंक में हुए इस फर्जीवाड़े में बैंक अधिकारियों की भूमिका की जांच शुरू हो गयी है. माना जा रहा है कि आठ बैंकों के अधिकारी इस जांच की लपेटे में हैं. फिलहाल बैंक के अधिकारियों ने एक-एक ऋणियों की इंटरनल जांच शुरू कर दी है.
बैंक के अधिकारी लगातार ऋणियों से संपर्क बनाने के प्रयास में हैं. बैंक की तरफ से किये जा रहे ऋणियों के सत्यापन में सच खुलकर सामने आ रहा है. कई लोग तो बदनामी की डर से ऋण की राशि जमाकर अपना पिंड छुड़ाने में लगे हैं. फिलहाल स्थानीय स्तर पर मुख्य शाखा प्रबंधकों की एक टीम गठित कर बैंक ने ऋणियों से संपर्क कर जांच की जिम्मेदारी सौंपी है, जो एक-एक ऋणियों के घर पहुंच कर वास्तविकता की पड़ताल कर रहे हैं. बैंक सूत्रों की मानें तो नियमों को ताख पर रखकर किसानों के बदले कारोबारियों और दलालों द्वारा लेकर आये ग्राहकों को किसानों को मिलने वाला गोल्ड लोन दिया गया. इसमें बैंक के ऑफिसरों की संलिप्तता से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है. उधर, ऋणियों ने कहा है कि मुरलीवाला मार्केट में
मनमोहन गहना लोक के प्रोपराइटर सतीश कुमार प्रसाद बैंक में मूल्यांकन भी खुद किया और सभी सोने को शुद्धता का प्रमाणपत्र भी दिया. इसके एवज में कई ऋण धारकों के एटीएम कार्ड और पासबुक भी दलाल और सतीश प्रसाद मिल कर रख लिये. यह ऋण की राशि 50 फीसदी ही ऋणियों तक पहुंच पायी. सतीश प्रसाद अब भूमिगत हैं. बैंक अधिकारी और पुलिस दोनों उसकी तलाश कर रहे हैं. बैंक के वरीय अधिकारी फिलहाल इस मामले में कुछ भी बताने से परहेज कर रहे हैं.
पान की दुकान से ज्वेलरी के कारोबार तक पहुंचा था सतीश
कृषि गोल्ड लोन के फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड मांझा थाना क्षेत्र के भड़कुईया गांव का रहने वाला सतीश प्रसाद पान का कारोबार से ज्वेलरी के कारोबार तक पहुंचा था. वह सोनार नहीं, बल्कि चौरसिया है. पान के कारोबार को बंद कर मेन रोड स्थित मुरलीवाला मार्केट में मनमोहन गहना लोक नाम से ज्वेलरी की दुकान कर लिया. बैंक अधिकारियों को अपने प्रभाव में लेकर स्टेट बैंक का सोना मूल्यांकन करने का काम ले लिया. अब बैंक अधिकारी मान रहे हैं कि सतीश प्रसाद पूरी प्लानिंग के तहत बैंक में सक्रिय दलालों के माध्यम से चुना लगाया.
स्वर्णकार सांस्कृतिक समाज ने की निंदा
स्वर्णकार सांस्कृतिक समाज की जिला इकाई की आपात बैठक संगठन के अध्यक्ष संजीव कुमार पिंकी की अध्यक्षता में हुई, जिसमें कृषि गोल्ड लोन के फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड सतीश प्रसाद के कार्य की निंदा की गयी. फर्जीवाड़े में शामिल सतीश प्रसाद चौरसिया को संगठन ने पनहेरी बताया तथा उसके द्वारा समाज को बदनाम करने के कार्य को लेकर आक्रोश जताया गया. बैठक में राजेश्वर प्रसाद राज, विमल कुमार, सर्राफा मंडल के अध्यक्ष सुरेश प्रसाद, योगेंद्र प्रसाद, अमित गुप्ता, मोहन प्रसाद, वाल्मीकि प्रसाद, अखिलेश प्रसाद, ललन प्रसाद, अविनाश, बिट्टु आदि शामिल थे.
स्टेट बैंक मुख्यालय से पहुंचे एजीएम, खंगाल रहे रिकॉर्ड
स्टेट बैंक के मुख्यालय से एजीएम एडीबी शाखा पहुंचे. बैंक में हुए फर्जीवाड़े का रिकॉर्ड खंगालने में जुट गये हैं. पूरे दिन रिकॉर्ड की जांच की गयी. बैंक अधिकारियों की उन तमाम पहलुओं की जांच की जा रही है, जहां से चुक हुई है. स्टेट बैंक में बिहार का यह पहला फर्जीवाड़ा है जो सामने आया है. इसको लेकर बैंक इंटरनल जांच गंभीरता से कर रही है.
चार लोगों ने जमा की राशि
बैंक में गोल्ड लोन फर्जीवाड़े के उजागर होने के बाद मास्टरमाइंड सतीश कुमार प्रसाद के पड़ोसी भड़कुईया के रहने वाले चंद्रभूषण पांडेय, सिरिसिया की आशा देवी ने अपने चार एकाउंट की राशि को जमा कराकर क्लोज करा दिया. बैंक के अधिकारी एक-एक ऋणियों से पैसा जमा कराने में जुटे हैं.
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