गोपालगंज : बाल श्रम करवाने वाले व्यक्ति अब सावधान हो जाएं. बाल श्रम करवाना पूरे बिहार में अब पूर्णत: बंद कर दिया गया है. साथ ही अब बाल श्रम में पकड़े जाने पर 20 हजार नहीं बल्कि 50 हजार रुपये का जुर्माना देना होगा. बिहार सरकार बाल श्रम रोकने के लिए अब काफी सख्त हो […]
गोपालगंज : बाल श्रम करवाने वाले व्यक्ति अब सावधान हो जाएं. बाल श्रम करवाना पूरे बिहार में अब पूर्णत: बंद कर दिया गया है. साथ ही अब बाल श्रम में पकड़े जाने पर 20 हजार नहीं बल्कि 50 हजार रुपये का जुर्माना देना होगा. बिहार सरकार बाल श्रम रोकने के लिए अब काफी सख्त हो गयी है. सरकार ने सभी जिला प्रशासन को इसको लेकर कड़े निर्देश दिये हैं और उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
जिलाधिकारी राहुल कुमार ने श्रम अधीक्षक व अन्य श्रम पदाधिकारियों के नेतृत्व में प्रखंड, अनुमंडल व जिला स्तर पर धावा दल का गठन किया है. इन्हें निर्देश दिया गया है कि होटलों, ढाबों, दुकानों, घरों व चिमनी-भट्ठा आदि का औचक निरीक्षण करें. धावा करने के दौरान अगर इन संस्थानों पर 14 वर्ष तक की आयु के बच्चे काम करते पाये जाएं तो पहले बच्चों को अपने कब्जे में ले लें. इसके बाद संस्थान के संचालक को नोटिस भेज कर निर्धारित जुर्माना वसूलें. वहीं, बार-बार एक ही स्थान पर बाल श्रम पाये जाने पर संचालक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें.
विमुक्त करा कर समिति को सौंपे जाते हैं बच्चे : श्रम विभाग के अधिकारी जब भी किसी बच्चे को बाल श्रम के तहत कहीं से बरामद करते हैं, तो पहले उसे वहां से विमुक्त कराया जाता है और अपने कब्जे में ले लिया जाता है. इसके बाद श्रम विभाग के पदाधिकारी उस बच्चे को जिला स्तर पर गठित बाल कल्याण समिति को सुपुर्द करते हैं. बाल कल्याण समिति का दायित्व है
कि वो बच्चे की काउंसेलिंग कराएं, जिसमें उम्र, पता, काम, जहां काम कर रहा था वहां का वातावरण, संचालक का व्यवहार आदि के बारे में जाना जाता है. इसके बाद उस बच्चे को बाल सुधार गृह में भेज दिया जाता है. जिले के लिए अभी बाल सुधार गृह छपरा में है. वहीं, इस जिले में भी बाल सुधार गृह बनवाने के लिए विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है. बाल सुधार गृह से बच्चे के अभिभावक ही जाकर मुक्त करा सकते हैं.