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रेफरल नहीं, रेफर अस्पताल कहिए जनाब

उपेक्षा. सुविधाओं की भरमार, फिर भी अस्पताल खुद है बीमार, नहीं मिल रहीं मरीजों को सुविधाएं कटेया : इसे रेफरल नहीं, रेफर अस्पताल कहिए जनाब. यहां मरीजों की मरहम-पट्टी करने के बाद रेफर कर देने भर की सुविधा उपलब्ध है. कटेया प्रखंड में जब रेफरल अस्पताल बना, तो सबको उम्मीद थी कि स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं […]

उपेक्षा. सुविधाओं की भरमार, फिर भी अस्पताल खुद है बीमार, नहीं मिल रहीं मरीजों को सुविधाएं

कटेया : इसे रेफरल नहीं, रेफर अस्पताल कहिए जनाब. यहां मरीजों की मरहम-पट्टी करने के बाद रेफर कर देने भर की सुविधा उपलब्ध है. कटेया प्रखंड में जब रेफरल अस्पताल बना, तो सबको उम्मीद थी कि स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का निदान हो जायेगा. अस्पताल में सुविधाओं की व्यवस्था तो की गयी, लेकिन उसके संचालन के लिए पर्याप्त कर्मी नहीं हैं.
इससे सुविधाओं का लाभ जनता को नहीं मिल रहा और अस्पताल रेफर अस्पताल बन कर रह गया है. यूं तो 30 बेडों वाले इस अस्पताल में साफ-सफाई एवं इंडोर मरीजों के लिए भोजन एवं नाश्ते की उचित व्यवस्था है. लेकिन चिकित्सकों एवं कर्मियों का घोर अभाव सब पर पानी फेर रहा है. अस्पताल का दुर्भाग्य यह है
कि स्थापना काल से आज तक अस्पताल में कंपाउंडर, ड्रेसर एवं महिला चिकित्सक नहीं मिले, जिससे आम मरीज अस्पताल से दूर भागने लगे.अस्पताल में इमरजेंसी केस आने पर डॉक्टर उसे हैंडल करने के बजाय रेफर करना ही बेहतर समझते हैं. इसलिए क्षेत्रीय जनता में इसे रेफर अस्पताल कहा जाता है. आवारा पशुओं के धमाचौकड़ी के बीच अस्पताल परिसर में मरीज आतंकित रहते है. वहीं सफाई कर्मियों के अभाव का प्रभाव भी सफाई व्यवस्था पर दिखता है. अस्पताल में दवाओं का घोर अभाव है.
वहीं एंबुलेंस कई हफ्तों से बिगड़ा पड़ा है. इधर, कुछ दिनों से अस्पताल की व्यवस्था को प्रबंधक ने सुदृढ़ किया है. इसका प्रभाव है कि प्रति महीने आउटडोर में 10 हजार तथा इंडोर में चार सौ मरीज देखे जाते हैं. साथ ही प्रतिमाह 150 प्रसव भी कराये जा रहे हैं. नौ चिकित्सकों की जगह पांच चिकित्सक ही यहां मौजूद हैं. वहीं नर्सों के सहारे कंपाउंडर एवं ड्रेसर का कार्य लिया जाता है. अस्पताल में काफी समय से ए ग्रेड नर्स आयी ही नहीं.
दवा के मामले में भी अस्पताल की स्थिति फिसड्डी है. इंडोर में 112 दवाओं की जगह मात्र 62 दवाएं तथा आउटडोर में 33 की जगह 19 दवाएं ही उपलब्ध हैं. सबसे बुरी स्थिति डॉक्टरों एवं कमियों के आवास की है, जो काफी जर्जर हैं. बरसात के मौसम में पानी टपकना आम बात है. वहीं अस्पताल में भी कई जगह पानी टपकता रहता है.
आवारा पशुआें के आतंक से मरीज परेशान
आंकड़े एक नजर में
बेडों की संख्या-30
वार्ड -दो
चिकित्सकों के स्वीकृत पद-नौ
कार्यरत-पांच
दवाओं की संख्या-145
उपलब्ध दवाएं-81
कर्मियों के स्वीकृत पद-83
मौजूद कर्मी-तीन
क्या कहते हैं मरीज
अस्पताल में मैं स्वयं को दिखाने आया था. डॉक्टरों में मेरा चेकअप कर दवाएं लिखी. जिनमें कुछ दवाएं अस्पताल से मिली हैं अौर कुछ बाहर से लेनी पड़ी हैं. –
चंदन गुप्ता, बैकुंठपुर
अस्पताल में व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं. बाहर का शौचालय गंदगी से पटा हुआ है. कैंपस अावारा पशुओं का अड्डा है. पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं है और कर्मियों का घोर अभाव है. ऐसे में प्रखंंड की जनता का स्वास्थ्य भगवान भरोसे है.
रवींद्र राय, खुरहुरिया
अस्पताल में सुविधाएं तो हैं, लेकिन कर्मियों के अभाव के कारण इसका लाभ मरीजों को नहीं मिल पाता. एक्स रे सेंटर कभी- कभी खुलता हैं. दवा भी बाहर से ही लेनी पड़ती है.
सतीश प्रसाद, –मझवलिया
क्या कहते हैं अधिकारी
अस्पताल में सुविधाओं की बढ़ोतरी हुई है. विभिन्न प्रकार की जांच मुफ्त में की जा रही है. इंडोर मरीजों के लिए भोजन और नाश्ते की व्यवस्था शुरू कर दी गयी है. चिकित्सक एवं कर्मियों का अभाव है.
– मनोज कुमार, स्वास्थ्य प्रबंधक, कटेया रेफरल अस्पताल

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