गया: भ्रष्टाचार निरोधी इकाई की जिला निगरानी टीम ने सोमवार को सिविल सजर्न कार्यालय में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मचारी मोहम्मद अलाउद्दीन को नाजायज रूप से वसूली के 20 हजार 30 रुपये के साथ गिरफ्तार किया. उन पर शिक्षक नियोजन में चुने गये अभ्यर्थियों से मेडिकल फिटनेस प्रमाणपत्र देने के नाम पर नाजायज रूप से हजारों रुपये वसूलने का आरोप लगा है.
इस टीम में सदर एसडीओ मकसूद आलम व वरीय उपसमाहर्ता निशांत कुमार शामिल थे. घटना की जानकारी मिलते ही भ्रष्टाचार निरोधी इकाई के नोडल पदाधिकारी सह वजीरगंज कैंप के डीएसपी मदन कुमार आनंद, कोतवाली इंस्पेक्टर उदय शंकर, सहायक अवर निरीक्षक एसपी शर्मा सहित अन्य पुलिस पदाधिकारी भी मौके पर पहुंचे व घूसखोर स्वास्थ्यकर्मी को गिरफ्तार कर लिया. चाकंद ओपी क्षेत्र के अकथू गांव के रहनेवाले (फिलहाल गया शहर में करीमगंज मुहल्ले में) मोहम्मद अलाउद्दीन से अधिकारियों ने कोतवाली थाने में पूछताछ की.
सिविल सजर्न के नाम पर वसूली
शिकायतकर्ता मृत्युंजय ने डीएसपी श्री आनंद को बताया कि वह खिजरसराय थाना क्षेत्र के डीहा (श्रीपुर) गांव के रहनेवाले राम स्वरूप सिंह का बेटा है. 14 फरवरी को जिला स्कूल में लगाये गये शिक्षक नियोजन शिविर में उसकी नियुक्ति खिजरसराय प्रखंड क्षेत्र के मध्य विद्यालय हसनपुर में हिंदी शिक्षक के रूप में हुई थी. नियुक्ति के समय मेडिकल फिटनेस प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है. इसे बनवाने के लिए जयप्रकाश नारायण अस्पताल परिसर में स्थित सिविल सजर्न कार्यालय पहुंचा. वहां मौजूद स्वास्थ्य कर्मचारियों ने तीन-तीन सौ रुपये घूस की मांग की. इसकी शिकायत सिविल सजर्न डॉ विजय कुमार सिंह के सरकारी मोबाइल नंबर 9470003278 पर की. लेकिन, उन्होंने भी राज्य सरकार का नियम होने का हवाला देते हुए तीन-तीन सौ रुपये देने की बातें कहीं. तब, इसकी शिकायत जिलाधिकारी के सरकारी मोबाइल नंबर 9473191244 पर की. इस मामले को डीएम ने गंभीरता से लिया व तुरंत सदर एसडीओ व वरीय उपसमाहर्ता को छापेमारी करने का आदेश दिया. इसके बाद टीम में स्वास्थ्य कर्मचारी मोहम्मद अलाउद्दीन को रंगे हाथों पकड़ लिया. मृत्युंजय ने सिविल सजर्न से हुई बातचीत की पूरी रेकॉर्डिग डीएसपी व वरीय उपसमाहर्ता को सुनायी.
सिविल सजर्न से की पूछताछ
मृत्युंजय व सिविल सजर्न के बीच हुई बातचीत के बाद डीएसपी ने अपने सरकारी मोबाइल फोन 9431822217 से सिविल सजर्न के सरकारी मोबाइल 9470003278 पर इस घटना की जानकारी दी. डीएसपी ने सिविल सजर्न से पूछा, क्या मेडिकल फिटनेस प्रमाणपत्र के नाम पर तीन-तीन सौ रुपये वसूलने का नियम राज्य सरकार द्वारा बनाया गया है? डीएसपी ने इससे जुड़े कई प्रश्न सिविल सजर्न से पूछे. उन्होंने डीएसपी को सभी प्रश्नों का जवाब दिया. डीएसपी ने उन्हें कहा कि अगर जरूरत होगी, तो उनसे संपर्क किया जायेगा. इधर, डीएसपी ने प्रभात खबर को बताया कि मोबाइल फोन में रेकॉर्डिग के आधार पर सिविल सजर्न से पूछताछ की गयी है. अब यह मामला अनुसंधान का है. सबसे महत्वपूर्ण सवाल है कि प्रत्येक अभ्यर्थी से तीन-तीन सौ रुपये वसूलने के मामले में कौन-कौन स्वास्थ्यकर्मी शामिल हैं. इस मामले की जांच की जा रही है.
केवल 16 रुपये लेने का है प्रावधान
सिविल सजर्न डॉ विजय कुमार सिंह ने प्रभात खबर को बताया कि डीएसपी से उनकी बातचीत हुई है. एक युवक ने उन्हें फोन किया था. उसका नाम याद नहीं है. लेकिन, उसने पूछा था कि क्या मेडिकल फिटनेस प्रमाणपत्र के लिए रुपये लिये जाते हैं? उसे राज्य सरकार के एक नियम का हवाला देते हुए बताया कि मेडिकल फिटनेस प्रमाण पत्र के लिए सरकारी राजस्व के रूप में 16 रुपये लेने का प्रावधान है. इस नियम से संबंधित युवक से बातचीत हुई थी. उन्होंने बताया कि पुलिस गिरफ्त में आया स्वास्थ्यकर्मी मोहम्मद अलाउद्दीन सिविल सजर्न कार्यालय में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के रूप पोस्टेड है. तीन-तीन सौ रुपये वसूलना सरासर गलत है.