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राष्ट्रवाद से आेत-प्राेत थी 1857 की क्रांति
गया: दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के गया कैंपस में बाबू वीर कुंवर सिंह जयंती (23 अप्रैल) के उपलक्ष्य में शुक्रवार काे सामाजिक विज्ञान संकाय के तत्वावधान में साप्ताहिक संगाेष्ठी श्रृंखला के तहत व्याख्यान का आयाेजन किया गया. इस माैके पर मुख्य वक्ता इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ सुधांशु कुमार झा ने 1857 के […]
गया: दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के गया कैंपस में बाबू वीर कुंवर सिंह जयंती (23 अप्रैल) के उपलक्ष्य में शुक्रवार काे सामाजिक विज्ञान संकाय के तत्वावधान में साप्ताहिक संगाेष्ठी श्रृंखला के तहत व्याख्यान का आयाेजन किया गया. इस माैके पर मुख्य वक्ता इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ सुधांशु कुमार झा ने 1857 के स्वतंत्रता संघर्ष व इसमें वीर कुंवर सिंह की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की.
डॉ झा ने 1857 की क्रांति काे राष्ट्रवाद से आेत-प्राेत बताया. उन्हाेंने राष्ट्र व नेशन की अवधारणा में अंतर पर बल दिया व आंदाेलन से संबंधित इतिहास के पुनर्लेखन की जरूरत बतायी. डॉ झा ने वीर कुंवर सिंह काे महान याेद्धा के अलावा एक सक्षम संगठनकर्ता व रणनीतिकार बताया.
संगाेष्ठी की अध्यक्षता संकाय अध्यक्ष प्राेफेसर श्यामानंदन सिंह ने की. इस माैके पर वीर कुंवर सिंह की शहादत काे नमन किया गया. इसे राष्ट्रवाद का अप्रतीम विरासत बताया. इस अवसर छात्र कल्याण संकाय के अध्यक्ष डॉ सनत कुमार शर्मा ने कुंवर सिंह की शहादत काे आज के परिपेक्ष्य में राष्ट्र निर्माण के आदर्श से जाेड़ने पर बल दिया. समाजशास्त्र के सहायक प्राध्यापक डॉ पारिजात प्रधान ने एकेडमिक व सांस्कृतिक गुलामी से मुक्त हाेने पर बल दिया. हिंदी के सहायक प्राध्यापक डॉ याेगेश प्रताप शेखर ने समग्रता में भारतीयता काे देखने की बात कही. इस अवसर पर यूनिवर्सिटी के प्राध्यापक, विद्यार्थी माैजूद थे. संगाेष्ठी के संयाेजक डॉ अभय कुमार ने संचालन किया व धन्यवाद ज्ञापन किया.
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