बोधगया: मगध विश्वविद्यालय को फर्जी कहे जाने के मामले में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने शुक्रवार को कुलपति कक्ष में सार्वजनिक रूप से माफी मांगी. टीसीएस के अधिकारियों ने कहा कि कंपनी के एचआर की नासमझी के कारण इ-मेल में गलत शब्दों का प्रयोग हो गया था. इसके लिए दोषी कर्मचारी पर कार्रवाई शुरू कर दी गयी है.
साथ ही टीसीएस के उन पांच कर्मचारियों को भी वापस लिया जायेगा, जिन्हें बीजीसी (बैकग्राउंड चेक) निगेटिव होने के आधार पर हटा दिया गया था. ये पांचों कर्मचारी बिहार में ही काम कर रहे थे. रोजगार देनेवाली देश की निजी बड़ी कंपनियों में शुमार टीसीएस की जूनियर एचआर अधिकारी अपर्णा ने सीनियर एचआर हेड आनंद बरोत को यह समझा दिया कि टीसीएस की फेक लिस्ट में मगध विवि शामिल है. इसके आधार पर मगध विवि की डिग्री के आधार पर नौकरी कर रहे पांच कर्मचारियों को टीसीएस से हटा दिया गया था.
टीसीएस के नॉर्दर्न जोन के हेड डॉ प्रत्यूष रे, बिहार हेड खुर्शीद अनवर और एचआर हेड अरिंदम बैरागी ने मगध विवि के संबंध में ‘फेक’ शब्द का इस्तेमाल किये जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि हम इसके लिए माफी मांगते हैं और इसके लिए दोषी लोगों व संबंधित एजेंसी पर कार्रवाई की जायेगी. तीनों अधिकारियों ने बताया कि कंपनी के तीन लाख कर्मचारियों में कई मगध विवि की डिग्री पर वर्षो से कार्यरत हैं. इस दौरान टीसीएस के अधिकारियों को विवि के कर्मचारियों के आक्रोश का भी सामना करना पड़ा. कर्मचारी संघ के नेतृत्व में कर्मचारियों ने नारेबाजी की. इससे पहले सोमवार को मगध विवि ने लीगल नोटिस जारी करते हुए टीसीएस को विवि को फेक कहे जाने का आधार बताने की मांग की थी.
सुबह 11:15 बजे से 12:20 बजे तक इस बात को लेकर कुलपति कक्ष में माहौल गरम रहा. इस दौरान कुलपति प्रो नंदजी कुमार के साथ ही डीएसडब्ल्यू डॉ सीताराम सिंह, प्रोक्टर डॉ नंदकुमार यादव, कुलसचिव डॉ डीके यादव, परीक्षा नियंत्रक डॉ सुशील सिंह, लीगल पदाधिकारी डॉ दीपक कुमार, कॉलेज निरीक्षक डॉ जयराम प्रसाद समेत अन्य पदाधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे. विवि के पीआरओ डॉ एमएस इसलाम ने कहा कि टीसीएस के सक्षम पदाधिकारी लिखित रूप से खेद व्यक्त करेंगे और इसके लिए जल्द ही टीसीएस के अधिकारी फिर विवि आयेंगे.