विष्णुपद मंदिर में पूजा-अर्चना करने वालों की उमड़ी भीड़
गया : कार्तिक महीने में निरामिष रह कर पूजा-पाठ करने का महत्व है. यह महीना हर महीने से शुद्ध माना गया है. महीने भर पर्व-त्योहार का सिलसिला जारी रहा. रविवार को कार्तिक महीने का समापन पूर्णिमा के दिन हो गया. कार्तिक पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.
पावन होने के कारण इस तिथि को फल्गु नदी में पवित्र स्नान के लिए विभिन्न घाटों पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ अहले सुबह से ही लगी रही. दोपहर बाद तक काफी भीड़ उमड़ पड़ी. इसके बाद श्रद्धालुओं ने विष्णुपद मंदिर में पूजा-पाठ किया. इस मौके पर विष्णुपद मंदिर के बाहरी परिसर में सिंदूर, श्रृंगार के सामान आदि सामान बेचने वाले फुटपाथी दुकान भी काफी सजे थे.
सड़कों पर भी जाम लगी रही. वाहनों व रेल गाड़ियों में भी गंगा व फल्गु में डुबकी लगाने वालों की काफी भीड़ देखी गयी. आचार्य लालभूषण मिश्र याज्ञिक के अनुसार, पद्म पुराण में इस तिथि को सायंकाल भगवान विष्णु ने मत्स्य(मछली) अवतार ग्रहण किया था तथा विशाल नौका (नाव) का रूप धारण कर चारों वेदों की रक्षा की थी. श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार, श्रीकृष्ण ने कार्तिक पूर्णिमा की रात में चांदनी के बीच रासलीला की थी.
अत: इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं. पुष्कर तीर्थ ब्रrाजी का स्थान है. यहां कार्तिक पूर्णिमा का स्नान व दीपदान प्रसिद्ध है. पुष्कर मेला विश्व प्रसिद्ध है. काशी में कार्तिक पूर्णिमा का स्थान व दीपदान का विशेष महत्व है. यहां देव दीपावली महोत्सव भी इस तिथि को होता है. कार्तिक स्नान करनेवालों का नियम इस तिथि को पूर्ण होता है. कई जगह इसका उद्यापन(समाप्ति) विधि भी संपन्न की जाती है. यह तिथि कई कारणों से महत्वपूर्ण है. इनमें माता कृतिका के पुत्र कार्तिकेय के दर्शन का विशेष महत्व है. निम्वार्क आचार्य की जयंती भी इसी पूर्णिमा को मनायी जाती है. गुरुनानक देव का प्रकाश पर्व भी इसी दिन है. इसलिए गुरु पूर्णिमा भी कहा गया है.