गया: विद्यापति महान कवि थे. उनकी रचनाओं में मैथिली, प्राकृत व संस्कृत ही नहीं, बल्कि समस्त भारतीय भाषाओं की झलक मिलती है. ये बातें कवि विद्यापति की जयंती समारोह में शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद (मगध प्रमंडल) के अध्यक्ष डॉ गोपाल कृष्ण झा ने कहीं.
कालीबाड़ी स्थित ज्योतिष विज्ञान केंद्र में आयोजित जयंती समारोह में उन्होंने कहा कि विद्यापति की कई रचानाओं ने लोगों पर अमिट छाप छोड़ी है. अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद (मगध प्रमंडल) के महासचिव पंडित गजेंद्र झा ने कहा कि तुलसी, सूर, कबीर व मीरा से भी पहले के कवि हैं विद्यापति.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्यकार प्रो ब्रजमोहन पांडेय ‘नलिन’ ने विद्यापति को महान भाषाविद् बताया. वरिष्ठ समाजसेवी शंकर झा ने कहा कि विद्यापति भक्ति काल के सर्वश्रेष्ठ कवियों में एक हैं. कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ गोपाल कृष्ण ने की व संचालन नरेश झा ने किया. समारोह में लक्ष्मण मिश्र, प्रमोद झा, मोहन चौधरी, सुशीला मिश्र, रमा झा, सावित्री झा, प्रियदर्शनी मिश्र, रमा झा, नागेंद्र झा, नवीन झा, जितेंद्र झा, कालीकांत करण, डॉ श्रीकांत भारवि, भवन झा, संतोष कुमार झा, शैलेंद्र लाल दास, हरिप्रपन्ना, सुनील सौरभ, अजय बनर्जी, विकास वर्णवाल आदि मौजूद थे.