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नाले के पानी से जारी है प्रदूषण

गया: हर रोज प्रदूषित हो रही फल्गु नदी को एक बार फिर प्रदूषणमुक्त करने की मांग जोर पकड़ने लगी है. शहर की विभिन्न संस्थाओं ने इसके लिए फिर से प्रशासन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. वर्षो से नदी में बह रहे नाले के पानी ने इसे पूरी तरह से ही प्रदूषित कर दिया […]

गया: हर रोज प्रदूषित हो रही फल्गु नदी को एक बार फिर प्रदूषणमुक्त करने की मांग जोर पकड़ने लगी है. शहर की विभिन्न संस्थाओं ने इसके लिए फिर से प्रशासन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. वर्षो से नदी में बह रहे नाले के पानी ने इसे पूरी तरह से ही प्रदूषित कर दिया है. घाटों पर नदी का शुद्ध पानी मिलना तो अब बंद ही हो चुका है.

पितृपक्ष हो या छठ, लोगों को शुद्ध पानी की तलाश में बालू पर लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. शहर के किसी भी घाट पर जायें, तो सीढ़ियों के पास से नाले का ही पानी बहता मिल जायेगा. ऐसा नहीं है कि इस मामले पर कभी कोई चर्चा नहीं हुई हो. सैकड़ों बार नदी को गंदे पानी से बचाने के लिए चर्चा हुई. लेकिन, यह महज चर्चा ही बन कर ही रह गयी. निगम की बैठकों से लेकर जिला प्रशासन तक बस चर्चा ही हो सकी. एक बार फिर नदी को प्रदूषण से बचाने की मांग उठी है. अब देखना यह होगा कि इस बार भी बात बनती है की नहीं.

प्राधिकरण बनाने की मांग
बुद्ध अवशेष बचाओ अभियान के संरक्षक भंते तिस्सावरो ने निरंजना प्राधिकरण की स्थापना का प्रस्ताव दिया है. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने गंगा को साफ सुथरा रखने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में गंगा प्राधिकरण की स्थापना की थी. इस व्यवस्था से फल्गु व निरंजना के साथ-साथ आसपास के गांव का भी विकास हो जायेगा. उन्होंने अपना यह प्रस्ताव प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और भाजपा नेत्री सुषमा स्वराज को भी भेजा है. उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार इस मामले में पहल करे. भंते ने कहा कि इस धार्मिक नदी को बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाया जाना बेहद जरूरी है. नहीं तो, आनेवाले समय में नदी सिर्फ बंजर भूमि बन कर रह जायेगी.

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