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60 दिनों तक निलंबित रहेंगे डिप्टी मेयर!

गया: निगम बोर्ड की बैठक में अनावश्यक रूप से शोर-शराबा कर बाधा डालने, अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करने व अध्यक्ष द्वारा शांति बनाये रखने की अपील को बार बार नजर अंदाज किये जाने के मामले में डिप्टी मेयर अखौरी ओंकारनाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव व वार्ड 41 के पार्षद शशि किशोर शिशु को मेयर विभा देवी […]

गया: निगम बोर्ड की बैठक में अनावश्यक रूप से शोर-शराबा कर बाधा डालने, अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करने व अध्यक्ष द्वारा शांति बनाये रखने की अपील को बार बार नजर अंदाज किये जाने के मामले में डिप्टी मेयर अखौरी ओंकारनाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव व वार्ड 41 के पार्षद शशि किशोर शिशु को मेयर विभा देवी ने 60 दिनों के लिए बोर्ड व स्टैंडिंग की बैठक से निलंबन का आदेश दिया है.

मेयर ने बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 की धारा 52 के उपधारा -3 के तहत यह कार्रवाई की है. मेयर ने छह नवंबर को नगर आयुक्त को पत्र जारी कर दोनों सदस्यों को इस संबंध की जानकारी देने को कहा है.

मेयर ने पत्र में कहा है कि 31 अक्तूबर की निगम बोर्ड की बैठक में दोनों सदस्यों ने अनावश्यक रूप से बाधा पैदा कर बैठक नहीं होने दी. इसी दौरान दोनों को बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 के धारा 52 के उपधारा 2 के तहत बैठक से बाहर जाने तक का निर्देश दिया गया, लेकिन दोनों ने उसकी भी अवहेलना की. मेयर ने कहा कि इससे पहले 21 अक्तूबर व 25 अक्तूबर को हुई स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में भी डिप्टी मेयर ने बाधा डाल कर बैठक नहीं होने दी. मेयर ने 60 दिनों तक दोनों को किसी भी बैठक में प्रवेश न मिले, इसकी भी व्यवस्था सुनिश्चित करने को नगर आयुक्त को कहा है. नगर आयुक्त दयाशंकर बहादुर ने बताया कि उन्हें डाक के माध्यम से मेयर का पत्र मिला है. इस मामले में किसी प्रकार का विवाद नहीं हो, इसके लिए कानूनी सलाहकार से विचार-विमर्श करने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जायेगी.

गया में पहली बार
जानकारी के अनुसार, गया नगर निगम इतिहास का यह पहला वाकया है, जब मेयर द्वारा किसी सदस्य के निलंबन का आदेश जारी किया गया हो. इससे आने वाले समय में निगम की राजनीति गरमायेगी. इसकी जानकारी धीरे-धीरे सभी पार्षदों को मिल रही है और आने वाले बोर्ड की बैठक में इस मामले में हंगामा होने के पूरे आसार हैं. जानकारों का यह भी कहना है कि निलंबन का आदेश अगर जारी भी हो जाता है, तो यह मामला निश्चित रूप से अगली बोर्ड की बैठक में जायेगा और वहां से लिये गये निर्णय को ही अंतिम माना जायेगा, साथ ही मामला अदालत में भी जा सकता है.

क्या कहते हैं डिप्टी मेयर
डिप्टी मेयर अखौरी ओंकारनाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी है. हालांकि, निगम की ओर से उन्हें कोई आधिकारिक पत्र नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि डिप्टी मेयर को निलंबित करने व हटाने का अधिकार बिहार सरकार के पास है. मेयर का यह कदम पूरी तरह से कानून के विरुद्ध है. मेयर जिन मामलों की बात कर रही हैं, उस पर गौर करें और नियमों की बात करें. सदन में बैठक के दौरान अगर ऐसी कोई बात होती है, तो कार्रवाई उसी दौरान होती है न कि बैठक के बाद. पार्षद शशि किशोर शिशु ने कहा कि उन्हें इस संबंध में किसी भी प्रकार की सूचना नहीं मिली है.

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