जनवरी से ही जल संघर्ष!मौसम की मार. बारिश नहीं होने से फल्गु का वाटर लेयर घटा : फ्लैग पंप सेटों के फेल होने के आसारनगर निगम के सामने होगी बड़ी चुनौती फोटो: सनत 10, 11 व 12 : सूखी फल्गु व नगर आयुक्त विजय कुमार प्रसनजीत, गयायों तो वर्षों से शहर पानी की समस्या से जूझ रहा है, लेेकिन इस बार एक नयी समस्या खड़ी हो गयी है. आशंका जतायी जा रही है कि अगले साल जनवरी में ही शहर में पानी के लिए संघर्ष शुरू हो जायेगा. इसका कारण बारिश नहीं होने से फल्गु का वाटर लेयर (जलस्तर) घटना बताया जा रहा है. विशेषज्ञों की मानें, तो फल्गु का जलस्तर घट जाने से वाटर सप्लाइ करने के लिए लगाये गये पंप सेट फेल हो सकते हैं. ऐसा हुआ, तो नगर निगम के सामने एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है. बाेरिंग 80 फुट पर, मोटर 40 फुट पर ही सबसे बड़ी चिंता किर्लोस्कर प्रोजेक्ट को लेकर है. वाटर लेयर कम होने पर पंप सेट फेल होने के सबसे ज्यादा आसार इसी के हैं. जानकारी के मुताबिक, दंडीबाग में किर्लोस्कर द्वारा चार मोटर लगाये गये हैं. यहां बोरिंग तो 80 फुट पर है, लेकिन मोटर महज 30 से 40 फुट ही पर लगाया गया है. इसकी वजह से हर साल दिक्कत होती है. इस साल गरमी में मोटर नीचे करने की कोशिश हुई थी, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. हालांकि, इस मामले में जल पर्षद के पूर्व कार्यपालक अभियंता व वर्तमान में एडीबी वाटर प्रोजेक्ट के डिजाइन इंजीनियर अशोक कुमार सिंह कहते हैं कि मोटर का साइज छोटा कर उसे नीचे किया जा सकता है. मोटर नीचे कर दिये जाने से स्थिति थोड़ी बेहतर हो जायेगी.स्थिति से निबटने की तैयारी में नगर निगमशहर में पानी की किल्लत होने पर सबसे ज्यादा परेशानी नगर निगम के लिए ही हो जाती है. प्रभावित इलाकों में पानी मुहैया कराना एक बड़ा चैलेंज हो जाता है. अब, जब अभी से पानी की किल्लत के संकेत मिल रहे हैं, तो निगम भी इससे निबटने के लिए अभी से ही जुट गया है. नगर आयुक्त विजय कुमार जल पर्षद के अधिकारियों के साथ पर लगातार विचार-विर्मश कर रहे हैं. जल्द ही जल पर्षद, पीएचइडी व किर्लोस्कर के अधिकारियों की बैठक होगी. प्रभावित होनेवाले इलाके के पार्षद भी लगातार संपर्क में हैं.स्टैंडबाइ मोटर का होगा इंतजामशहर में कुल 47 बोरिंग हैं. लेकिन, परेशानी किर्लोस्कर प्रोजेक्ट को ही लेकर हो जाती है. इस बार भी कुछ ऐसे ही आसार दिख रहे हैं. जल पर्षद के अभियंताओं को निर्देश दिया गया है कि स्थिति से निबटने के लिए अभी से ही तैयारी में जुट जायें. पंप सेट ज्यादा चलने से हर साल मोटर खराब हो जाते हैं, फिर इसे बनाने में वक्त लगता है. इस क्रम में सप्लाइ बंद हो जाती है. लोगों के लिए परेशानी होती है. इस बार 15 मोटर स्टैंडबाइ के तौर पर रखा जायेगा, ताकि किसी मोटर के खराब होते ही तुरंत रिप्लेस कर दिया जाये. हर साल किर्लोस्कर प्रोजेक्ट को लेकर सबसे ज्यादा फजीहत होती है. हालांकि, यह प्रोजेक्ट अब भी नगर निगम को हैंडओवर नहीं हुआ है, लेकिन शहर को पानी मिले यह हमारी जिम्मेवारी है. इस बार निगम किर्लोस्कर के भरोसे नहीं रहेगा. प्लान किया गया है कि निगम दंडीबाग में दो स्टैंडबाइ बोरिंग करायेगा, ताकि किर्लोस्कर के फेल होने पर उसका उपयोग कर पानी सप्लाइ जारी रखी जा सके. जल्द ही नगर विकास विभाग व पीएचइडी को लिखित तौर पर ही पूरी स्थिति की जानकारी भी दे दी जायेगी. विजय कुमार, नगर आयुक्तएडीबी प्रोजेक्ट अभी बहुत दूरएशियन डेवलपमेंट बैंक(एडीबी) की सहायता से तैयार किये गये वाटर प्रोजेक्ट से शहर के लोगों में उम्मीद है. सीवरेज वर वाटर सप्लाइ के लिए संयुक्त रूप से तैयार किये गये इस प्रोजेक्ट पर काम अभी शुरू होने के आसार नहीं दिख रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, प्रोजेक्ट की रूपरेखा तैयार कर ली गयी है, कैबिनेट की मंजूरी के साथ ही टेंडर प्रक्रिया शुरू हो जायेगी. लेकिन, अभी चुनाव और उसके बाद सरकार बनाने को लेकर काफी समय यों ही गुजर जायेगा. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रोजेक्ट को अप्रूवल अगले साल ही मिल सकेगा. इसके बाद काम अगर शुरू भी हुआ, तो उसमें लगभग तीन साल लग ही जायेंगे. प्रोजेक्ट के डिजाइन इंजीनियर अशोक कुमार सिंह ने बताया कि प्रोजेक्ट में जोड़ा मसजिद, बुढ़वा महादेव, मस्तलीपुर, भुसुंडा, डेल्हा थाना के पीछे और खरखुरा में वाटर टावर और मंगला गौरी, पुलिस लाइन, रामशीला, मुरली हिल व ब्रह्मयोनि में वाटर रिजरवायर बनाया जाना है.किर्लोस्कर प्रोजेक्ट के फेल होने पर प्रभावित होनेवाले इलाके बंगाली कॉलोनी, पुलिस लाइन, मुन्नी मसजिद रोड, एसपी कोठी, मोहन नगर, रामपुर, लालू नगर, चिरैयांटांड़, एपी कॉलोनी, शहीद भगत सिंह कॉलोनी, हुनमान नगर, शास्त्री नगर, चंदौती मोड़ व बाजार समिति अभी से हो उपाय, वरना हो जायेगी मुश्किलजल व्यवस्था संघर्ष समिति के सचिव गजेंद्र सिंह ने कहा कि वाटर लेयर घटने व पानी की कमी की जबसे भनक लगी है, चिंता बढ़ गयी है. लंबे समय से शहर में बेहतर पेयजल व्यवस्था के लिए संघर्ष कर रहे गजेंद्र कहते हैं कि नगर निगम और साथ में तमाम एजेंसियां, जो शहर में पानी देने के लिए जिम्मेवार हैं, अभी से ही मंथन करें. केवल कागजी नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर काम हो, ताकि आनेवाली समस्या से निबटा जा सके.
जनवरी से ही जल संघर्ष!
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