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कलेक्ट्रेट में ”सेव वाटर, सेव लाइफ”!
अभी रविवार को ही पार्षद लालजी प्रसाद ने कहा था कि शहर में पानी की किल्लत होने की आशंका जतायी है. और, यह आशंका निराधार नहीं है. फल्गु का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है. इसकी वजह से शहर की बाेरिंग फेल हो सकती है. इन सबसे जिला प्रशासन बखूबी वाकिफ है. इन सबके बावजूद […]
अभी रविवार को ही पार्षद लालजी प्रसाद ने कहा था कि शहर में पानी की किल्लत होने की आशंका जतायी है. और, यह आशंका निराधार नहीं है. फल्गु का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है. इसकी वजह से शहर की बाेरिंग फेल हो सकती है. इन सबसे जिला प्रशासन बखूबी वाकिफ है.
इन सबके बावजूद समाहणालय में बरबाद हो रहे पीने योग्य पानी पर किसी का ध्यान नहीं है. जिला आपूर्ति शाखा के सामने नल से बह रहे पानी को सब देख रहे हैं, अधिकारी से लेकर कामकाज के लिए आये आम लोग तक. सोमवार को 12:10 बजे नल से पानी गिरता देख कर सबसे पहले जिला आपूर्ति शाखा के अधिकारियों से बात की गयी. वहां कार्यरत धीरेंद्र कुमार ने बताया कि नल को हाल ही में ठीक कराया गया था, लेकिन संभव है कि फिर खराबी आ गयी हो.
हालांकि, उन्होंने इसके लिए बाहर से आनेवाले लोगों को ही जिम्मेवार ठहराया. कल्याण विभाग में काम करनेवाले सुरेंद्र कुमार ने बताया कि इस नल से 20 से 25 दिनों से पानी यों ही बह रहा है. न कोई देखनेवाला है, न पूछनेवाला.
उन्होंने इस बाबत पीएचइडी के अधिकारियों से बात करने की सलाह दी. इस पर पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता चंदेश्वर राम से बात की गयी. उन्होंने बताया कि नवंबर, 2013 के बाद समाहणालय कैंपस में इस तरह का काम भवन निर्माण विभाग देख रहा है.
हालांकि, भवन निर्माण विभाग के किसी अधिकारी से बात होने के पहले जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल से बात हुई.
उन्होंने तत्काल कर्मचारियों को बुला कर मामले की जानकारी ली व नल को दुरुस्त कराने का निर्देश दिया. अगर सुरेंद्र कुमार की मानें, तो नल से 20 से 25 दिन से पानी बह रहा है, अधिकारी उसे देखते हुए अनदेखा कर रहे हैं. बाद में वही अधिकारी ‘सेव वाटर, सेव लाइफ’ का नारा देते हैं.
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