बोधगया: बोधगया स्थित शंकराचार्य मठ के महंत सुदर्शन गिरि की मौत मंगलवार की सुबह पीएमसीएच में इलाज के दौरान हो गयी. उनके शव को स्थानीय समाधि स्थल में दफन (समाधि)कर दिया गया.
इस समाधि स्थल में बोधगया मठ के पूर्व महंतों व सन्यासियों की भी समाधि है. जानकारी के अनुसार, महंत श्री गिरि की तबीयत काफी दिनों से खराब थी. उनकी किडनी में शिकायत थी. पहले लखनऊ व बाद में उन्हें पटना के पीएमसीएच में 13 दिन पहले भरती कराया गया था. मंगलवार की सुबह वह कोमा में चले गये थे. 60 वर्षीय महंत श्री गिरि 14 मार्च, 1999 को बोधगया मठ के महंत के पद पर आसीन हुए थे. वह बोधगया मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के सदस्य भी थे. मंदिर एक्ट के अनुसार, बोधगया मठ के महंत भी मंदिर प्रबंधन समिति के आजीवन सदस्य होते हैं. उनके शव को मंगलवार की शाम एंबुलेंस से बोधगया लाया गया. परंपरा के अनुसार, शव को एक पालकी में बैठा कर समाधि स्थल तक पहुंचाया गया, जहां समाधि दी गयी.
निधन से मर्माहत हैं लोग
महंत श्री सुदर्शन गिरि के निधन की सूचना मिलते ही लोग उनके दर्शन के लिए मठ में आने लगे. मठ के दरबारी दीनदयाल गिरि ने लोगों को इस घटना से अवगत कराया. लोग महंत श्री गिरि के साथ बिताये अपने-अपने अनुभवों की चर्चा करते रहे. मौत की सूचना पर मठ परिसर में सन्नाटा छा गया. लोग उनके शव को पटना से आने का इंतजार करने लगे. करीब चार बजे शव पहुंचा. इसके बाद उन्हें समाधि स्थल ले जाया गया. मठ से करीब एक सौ से ज्यादा लोग शव के साथ निकले. इस बीच समाधि स्थल पर बड़ी संख्या में लोग जमा हो गये.
सभी ने शव पर नमक का दान किया. नियमानुसार समाधि देते वक्त पहले नमक और फिर मिट्टी डाली जातीहै. अंतिम श्रद्धांजलि देने वालों बीटीएमसी के सचिव एन दोरजी, पूर्व सचिव डॉ कालीचरण सिंह यादव, नगर पंचायत उपाध्यक्ष दिनेश कुमार सिंह, स्वामी संतोषानंद, लूलन सिंह, रामचंद्र यादव, सत्येंद्र सिंह, भाजपा नेता अनिल सिंह, जिला उपाध्यक्ष सतीश कुमार सिन्हा, बीटीएमसी सदस्य डॉ राधाकृष्ण मिश्र उर्फ भोला मिश्र सहित अन्य शामिल थे. हालांकि, कुछ लोगों का यह भी कहना था कि शव को रात भर मठ में रखा जाता तो काफी अधिक संख्या में लोग दर्शन के लिए आते. महंत श्री गिरि की समाधि उनके गुरु व पूर्व महंत जगदीशानंद गिरि की बगल में दी गयी है. अंतिम दर्शन के लिए बोधगया मठ द्वारा निर्मित दुकानों को किराये पर चलाने वाले अधिकतर दुकानदार भी शामिल हुए.
17वें महंत थे सुदर्शन गिरि
1590 में स्थापित बोधगया शंकराचार्य मठ के पहले महंत घमंडी गिरि थे. इसके बाद चैतन्य गिरि, महादेव गिरि, लाल गिरि, केशव गिरि, राघव गिरि, रामहीत गिरि, बालक गिरि, शिव गिरि, भैपत गिरि, हेम नारायण गिरि, कृष्ण दयालु गिरि, हरिहर गिरि, शतानंद गिरि, धनसुख गिरि, जगदीशानंद गिरि व
सुदर्शन गिरि 17वें महंत बने.
कौन होगा अगला महंत ?
महंत के अचानक निधन हो जाने के बाद यह सवाल उठने लगा है कि अब अगला महंत कौन होगा?. हालांकि, इस बीच कयासों का दौर जारी है. पर, मठ के परंपरा के अनुसार या तो जीवन काल में ही आसीन महंत किसी को अपना चेला बना कर महंत बनाये जाने की घोषणा करते हैं या फिर अचानक किसी महंत के निधन होने की स्थिति में महंत की गद्दी पर बैठाने से पहले एक तितिमानामा लिखा जाता है. मठ के दरबारी दीनदयाल गिरि के अनुसार, फिलहाल बोधगया मठ में 15 संन्यासी रहते हैं. इनमें से किन्हें महंत बनाया जायेगा इस बात का फैसला बैठक कर लिया जायेगा. बैठक में मठ में रहने वाले संन्यासी व स्थानीय गण्यमान्य लोग शामिल होंगे. इसमें वरीयता का भी ध्यान रखा जाता है. फिलहाल, इस बात पर मंथन जारी है.