गया: गया जिले के परैया थाने के कष्ठा के पत्रकार मिथिलेश कुमार पांडेय की हत्याकांड का मामला झारखंड के बालूमात से जुड़ गया है. इस मामले की जांच के लिए एसएसपी मनु महाराज ने एएसपी बलिराम कुमार चौधरी के नेतृत्व में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) का गठन किया है.
रविवार को एसएसपी व उनकी टेक्निकल सेल की पुलिस टीम और एसआइटी कष्ठा गांव पहुंची और घंटों छानबीन की. घटनास्थल से दो खोखे बरामद किय गये. एसएसपी व एसआइटी ने पत्रकार के परिजनों से पूछताछ की. इससे एसआइटी को हत्याकांड से संबंधित कई अहम सुराग मिले. सुरागों के आधार पर हत्यारों की पहचान के लिए एसएसपी ने एसआइटी के चार पुलिस पदाधिकारियों को बालूमात (झारखंड) भेजा.
निकाला जा रहा डंप डाटा : सूत्रों के अनुसार, एसआइटी इस हत्याकांड को सुलझाने के लिए साइंटिफिक अनुसंधान कर रही है. कष्ठा के आसपास जितनी भी मोबाइल फोन कंपनियों का सिगनल मिलता है, उनसे शनिवार की शाम पांच बजे से रात आठ बजे तक का डंप डाटा उन कंपनियों के सहयोग से एसआइटी निकालने में जुट गयी है. साथ ही, पत्रकार के मोबाइल फोन का भी सीडीआर (कॉल डिटेल रेकॉर्ड) निकाला जा रहा है. हमलावर चाहे जो भी हो, वह शनिवार की सुबह से ही उनकी गतिविधियों पर नजर रख रहा होगा और वह अपने साथियों को मोबाइल फोन के जरिये उनकी हर गतिविधि की जानकारी दे रहा होगा. मोबाइल फोन के डंप डाटा से वैसे मोबाइल फोन नंबरों की पहचान करने की कोशिश में टेक्निकल सेल की टीम लगी है, जिसका प्रयोग हमलावर व हत्या की साजिश रचनेवाले ने की थी.
शनिवार की रात घर में घुस कर मार दी थी गोली : गौरतलब है कि गया से प्रकाशित होनेवाले एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र (प्रभात खबर नहीं) के परैया प्रखंड के पत्रकार मिथिलेश कुमार पांडेय की दो हमलावरों ने शनिवार की रात सात बजे उनके घर में घुस में कर गोली मार कर हत्या कर दी थी. दो गोली मारने के बाद हमलावर कष्ठा गांव से दक्षिण दिशा में भाग गये थे. वे पैदल ही थे.
12 अक्तूबर को पीएमओ से लगायी थी जान की गुहार
एसएसपी ने बताया कि पत्रकार की पहली पत्नी कंचन देवी की मौत के बाद दूसरी शादी बालूमात के शेरगढ़ा गांव में हुई थी. उनकी पत्नी छह बहन थी. ससुराल में जमीन बंटवारे को लेकर पत्रकार का उनके साढ़ू से अनबन है. पत्रकार के परिजनों ने पूछताछ में बताया है कि जनवरी माह में वह ससुराल गये थे, तो वहां कुछ लोगों ने उन्हें अगवा कर लिया था. बाद में वहां के कुछ रिश्तेदारों की पहल पर वह मुक्त हुए थे. इस मामले की शिकायत पत्रकार ने बालूमात थाने में की थी. लेकिन, बालूमात पुलिस ने उस मामले में एफआइआर नहीं किया. इसके बाद पत्रकार ने कई वरीय अधिकारियों से संपर्क किया. लेकिन, किसी ने नहीं सुनी. थक-हार कर उन्हाेंने 12 अक्तूबर को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) व मानवाधिकार आयोग से शिकायत की. एसएसपी ने बताया कि पत्रकार की विधवा ज्योति देवी ने पीएमओ भेजे गये आवेदन की एक कॉपी दी है. उस आवेदन में पत्रकार ने झारखंड में हुई घटना का जिक्र करते हुए अपनी हत्या होने की आशंका जतायी है.