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बरही में खुलेगा राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र

बोधगया : केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि देश की आजादी के बाद खेती पर ध्यान नहीं दिया गया. खेती को प्राथमिकता नहीं दी गयी, जिससे खेती के क्षेत्र में देश पिछड़ता चला गया. अब जरूरत है कि देश में कृषि संसाधनों को विकसित कर कृषि उत्पादों में बढ़ोतरी लायी जाये. इसके लिए […]

बोधगया : केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि देश की आजादी के बाद खेती पर ध्यान नहीं दिया गया. खेती को प्राथमिकता नहीं दी गयी, जिससे खेती के क्षेत्र में देश पिछड़ता चला गया.
अब जरूरत है कि देश में कृषि संसाधनों को विकसित कर कृषि उत्पादों में बढ़ोतरी लायी जाये. इसके लिए केंद्र सरकार ने फिलहाल पूर्वोत्तर राज्यों को ध्यान में रख कर झारखंड के बरही में राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र खोलने का निर्णय किया है.
झारखंड सरकार ने इसके लिए एक हजार एकड़ जमीन दी है और 28 जून को अनुसंधान केंद्र के निर्माण के लिए शिलान्यास किया जायेगा. सोमवार को अनुसंधान केंद्र के लिए उपलब्ध करायी गयी जमीन का जायजा लेने बरही जाने के दौरान बोधगया के होटल डेल्टा इंटरनेशनल में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कृषि मंत्री ने कहा कि बिहार सरकार से भी जमीन की मांग की गयी थी, पर झारखंड सरकार ने जमीन मुहैया करा दी है. अब अनुसंधान केंद्र के निर्माण होने के बाद रोजगार के साथ ही कृषि के क्षेत्र में नयी तकनीक व शोध पर काम होगा. इसका निश्चित रूप से खेती के क्षेत्र में फायदा मिलेगा व उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी. उन्होंने कहा कि फिलहाल इसके लिए 200 करोड़ रुपये मुहैया कराये गये हैं और लगभग दो वर्षो में अनुसंधान केंद्र को शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है.
1904 में अंगरेजों ने की थी स्थापना : कृषि मंत्री ने कहा कि 1904 में अंगरेजों ने बिहार के समस्तीपुर के पूसा में कृषि अनुसंधान केंद्र की स्थापना की थी. तब, केंद्र में कृषि से जुड़े शोध किये जाते थे. यहां तक कि यहां किये जानेवाले शोध व निकाले जानेवाले नतीजों का फायदा इंग्लैंड को भी होता था.
लेकिन, 1934 में आये भयानक भूकंप के कारण अनुसंधान केंद्र ध्वस्त हो गया. उसके बाद दिल्ली में केंद्र की स्थापना की गयी. अब केंद्र सरकार ने फिर बिहार से सटे बरही में नये केंद्र की स्थापना करने जा रही है, जिसका फायदा पूर्वोत्तर राज्यों के साथ ही पूरे देश को होगा.
बिहार में खुलेगा कृषि विश्वविद्यालय : भाजपा नेता ने कहा कि बिहार में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय खोलने की प्रक्रिया काफी दिनों से जारी है. सरकार से हरी झंडी नहीं मिलने के कारण मामला फंसा हुआ था. जीतनराम मांझी जब मुख्यमंत्री बने थे, तब उनसे फाइल बढ़ाने का अनुरोध किया गया था. उन्होंने हामी भी भर दी थी, पर इसी बीच वह मुख्यमंत्री पद से हट गये. श्री सिंह ने कहा कि हालांकि, प्रक्रिया जारी है और सारी प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद बिहार में भी सेंट्रल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी खोल दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि 2007 में ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने कहा था कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो रही है, मिट्टी मरती जा रही है.
इसके लिए पूर्व की सरकार ने देशभर में सिर्फ 72 करोड़ रुपये खर्च कर मात्र 13 मोबाइल मिट्टी जांच केंद्र शुरू कराये. लेकिन, वर्तमान सरकार ने 2014-15 में 100 प्रयोगशालाओं को चालू कराया है और 500 करोड़ रुपये खर्च कर खेतों की मिट्टी की जांच की जा रही है. किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड मुहैया कराये जा रहे हैं.
इससे किसान समझ पायेंगे कि उनके खेतों में किस तत्व की कमी है. कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि 10 वर्षो में पूर्व की सरकार द्वारा खेती योग्य जमीन की सिंचाई के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च किये गये, लेकिन नतीजा ज्यों का त्यों हैं. अब केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री सिंचाई योजना शुरू की है, जिसके परिणाम सार्थक होंगे.
औरंगाबाद में खुलेगा कृषि महाविद्यालय : केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने औरंगाबाद में प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि औरंगाबाद जिला में भी कृषि महाविद्यालय खोला जायेगा. इसके लिए बिहार सरकार से 75 एकड़ जमीन की मांग की गयी है. बिहार के मोतिहारी में हॉर्टिकल्चर और छपरा व औरंगाबाद में कृषि महाविद्यालय खोला जायेगा.

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