गया: इनसान एक पल के लिए भूमि के साथ समझौता कर सकता है , लेकिन जब बात मातृभूमि की हो तो कोई समझौता नहीं हो सकता है. ठीक उसी प्रकार जिस तरह परिवार समझौते के साथ चलता है, ताकि विवाद और टूट ना पड़े. लेकिन, देश बिना समझौता के ही चलना चाहिए. क्योंकि देश व देश के लोगों की सुरक्षा के साथ समझौता देश को गुलाम बनाने की दिशा में उठाया गया कदम हो सकता है. ये बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने कही.
वह एपी कॉलोनी स्थित शांति निकेतन एकेडमी में आयोजित राष्ट्रीय सुरक्षा पर परिचर्चा में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि देश की स्वतंत्रता की गारंटी को मंत्री या नेता नहीं दे सकता है. मंत्री केवल नीतियों पर बात कर सकते हैं.
देश की सुरक्षा की गारंटी सीमा पर खड़े सैनिक ही दे सकते हैं. एक सैनिक अपने कर्मो से कभी समझौता नहीं करता, अगर उसने ऐसा किया तो देश किसी भी पल गुलाम हो सकता है. हर साल देश के विभिन्न क्षेत्रों में सैनिक देश समाज की सुरक्षा में बलिदान देते हैं. उनके बलिदान का समझौता नहीं हो सकता है.