गया: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) बोधगया में 2,94,62,693 रुपये गबन में गया कोषागार की भूमिका भी संदिग्ध प्रतीत हो रही है. मैसेंजर बुक में बीना डीडीओ के हस्ताक्षर के बिल पास होना, एक ही बिल नंबर पर दो-दो बार अलग-अलग राशि की निकासी, बगैर टीवी (ड्रेजरी वाउचर) नंबर व इनकम टैक्स रिटर्न स्टेटमेंट के एरियर की बिल पास होना व डीडीओ द्वारा जारी बिल से अधिक रुपये की निकासी से कोषागार के कार्यकलाप पर सवाल खड़ा होना स्वाभाविक है. अब इसका खुलासा तो विशिष्ट दल से गहन जांच के बाद ही संभव है.
मैसेंजर बुक में बिना डीडीओ के हस्ताक्षर के पास हुआ बिल : जानकार सूत्रों की मानें, तो प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सह निकासी व व्ययन पदाधिकारी (डीडीओ) का मैसेंजर बुक में हस्ताक्षर के बगैर ही कोषागार से बिल पास किया गया है. इतना ही नहीं एक ही बिल नंबर पर ट्रेजरी से दो-दो बार अलग-अलग राशि पास करा कर निकासी की गयी है.
वेतन की राशि एरियर के रूप में दोबारा की गयी निकासी : स्वास्थ्यकर्मियों को वेतन भुगतान होने के बाद भी एरियर (बकाया वेतन) के रूप में दोबारा निकासी की गयी, जो गबनकर्ता के निजी खाते में जमा हुआ. बताया जाता है कि एरियर भुगतान के लिए टीवी नंबर व इनकम टैक्स रिटर्न स्टेटमेंट ट्रेजरी में देना आवश्यक होता है. मगर, इसके बगैर ही बिल पास कर दिया गया.
फर्जी बिल पर की गयी रुपये की निकासी : प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सह निकासी व व्ययन पदाधिकारी (डीडीओ) द्वारा जारी बिल से कई गुणा अधिक रुपये की निकासी फर्जी बिल बना कर किये गये हैं.
ट्रेजरी सतर्क होता तो नहीं होता गबन: जानकारों की मानें तो ट्रेजरी के सहयोग के बगैर तीन करोड़ रुपये का गबन संभव नहीं है. प्राय: बिल में छोटी-सी गलती पाये जाने पर भी आपत्ति दर्ज कर बिल वापस लौटा दिया जाता है. फिर, इतनी अधिक त्रुटियां होने पर भी आपत्ति क्यों नहीं की गयी?
विशेष टीम की जांच में हो सकता है खुलासा : मगध प्रमंडल के क्षेत्रीय उपनिदेशक, स्वास्थ्य (आरडीडीएच) डॉ राजेंद्र प्रसाद ने इस मामले की जांच विशिष्ट जांच दल से करा कर दोषियों के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है. यदि जांच हुई तो ट्रेजरी की संदिग्ध भूमिका का खुलासा होना तय है.
अब तक क्यों नहीं की गयी कानूनी कार्रवाई? : गबन कर्ताओं द्वारा कोषागार के साथ धोखाधड़ी की गयी है. मामला संज्ञान में आते ही कोषागार पदाधिकारी धोखाधड़ी करनेवालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए थी. पर, अब तक ऐसा नहीं किया जा सका है.
क्या कहते हैं कोषागार पदाधिकारी : कोषागार पदाधिकारी रिजवान अहमद कहते हैं कि कोषागार से कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. डीडीओ द्वारा ऑन लाइन व फिजिकल बिल भेजा जाता है. दोनों का मिलान करने के बाद ही बिल पास किया जाता है. एक ही बिल नंबर से दो-दो बार भुगतान की जानकारी नहीं है. यदि ऐसा हुआ है, तो जांच की जायेगी. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा जांच की जा रही है. इस संबंध में आरडीडीएच लिखित रूप से वस्तुस्थिति से अवगत कराते हैं, तो जालसाजों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी जा सकती है.