कंचन, गया : गया जिले की स्थापना तीन अक्तूबर 1865 काे हुई थी. इस तरह गयाजी 155 वर्ष का हाे गया. गया काे श्रद्धा से दुनियाभर में लाेग ‘गयाजी’ के नाम से पुकारते, जानते हैं. यह कर्म, आंदाेलन, ज्ञान, शांति व माेक्ष की धरती है. पर्यटकाें, सैलानियाें, शाेधकर्ताआें के लिए गया बड़े महत्व का स्थान है.
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ज्ञान व माेक्ष की भूमि गयाजी के पूरे हुए 155 वर्ष
कंचन, गया : गया जिले की स्थापना तीन अक्तूबर 1865 काे हुई थी. इस तरह गयाजी 155 वर्ष का हाे गया. गया काे श्रद्धा से दुनियाभर में लाेग ‘गयाजी’ के नाम से पुकारते, जानते हैं. यह कर्म, आंदाेलन, ज्ञान, शांति व माेक्ष की धरती है. पर्यटकाें, सैलानियाें, शाेधकर्ताआें के लिए गया बड़े महत्व का स्थान […]
ज्ञान व शांति की भूमि बाेधगया दुनिया भर के बाैद्धाें काे आकृष्ट करता है, ताे माेक्षभूमि व पालन शक्तिपीठ मां मंगलागाैरी सभी सनातन धर्मावलंबियाें के लिए आस्था का केंद्र है. सिख, ईसाई, इस्लाम, जैन धर्मावलंबी भी गया की आेर सहज ही श्रद्धा का भाव रखते हैं. कई संघर्ष व आंदाेलन की जन्मभूमि रही है. ज्ञान व धर्म के साथ यह क्रांतिकारियाें व सामाजिक परिवर्तनकारियाें की प्रिय कर्मभूमि रही है. साहित्य, कला व संस्कृति इसके साैंदर्य में चार चांद लगाते हैं.
बिहार प्रांत के लिए 108 साल पहले आंदाेलन यहीं से शुरू हुआ : करीब 108 साल पहले गठित बिहार प्रांत के लिए आंदाेलन की भी शुरुआत यहीं से हुई थी. छात्राें के आंदाेलन का नेतृत्व गया के गांधी मैदान में जयप्रकाश नारायण ने 16 अप्रैल 1974 काे संभाला था.
यूं कहा जाये, ताे समाजवादी, साम्यवादी, सर्वाेदय, भूदान, किसान सभा, त्रिवेणी संघ व अर्जक संघ जैसे आंदाेलनाें की प्रयाेग भूमि भी यहीं रही. मगध का केंद्र बिंदु गयाजी रेल, सड़क व वायु मार्ग से हर तरफ से जुड़ा है. इसके उत्तर में गंगा का मैदानी भाग, दक्षिण में विंध्य श्रृंखला की पहाड़ियां, पूरब व पश्चिम में नदियां इसकी सीमाआें काे बांधती हैं.
जिले के लोगों काे उम्मीद ,कई स्तराें पर हाेगा विकास
शहर में रहने वाले लोगों काे उम्मीद है कि जिले की स्थापना के 155वें वर्ष के बाद उन्हें ‘जल ही जीवन है’ की समस्या से बाहर निकलने का अवसर मिल पायेगा. बढ़ती आबादी, नैसर्गिक वस्तुआें व बढ़ रहे अपार्टमेंट व कॉलाेनियाें की हाेड़ में शहर का फैलाव ताे हुआ पर उस हिसाब से सरकारी व प्रशासनिक स्तर पर सर्व सुलभ काम नहीं किये गये. शहर में प्रदूषण ने बेहद तरीके से जकड़ रखा है.
इस पर ठाेस काम नहीं हाेने की वजह से लाेगाें की उम्र सीमा घटती जा रही है. शहर के साैदर्यीकरण व सुदृढ़ीकरण के लिए अब तक काेई मास्टर प्लान नहीं बना, जिसके आधार पर इस एेतिहासिक, पाैराणिक, धार्मिक व सांस्कृतिक नगर काे सुसज्जित कर एक बेहतर पर्यटक शहर के रूप में प्रदर्शित किया जा सके.
देश का राजनीतिक केंद्र बनने की रखता है अर्हता
प्रकृति के साैंदर्य की गाेद में बसे इस जिले में समतल उर्वर भूमि, जंगल व पहाड़ शाेभा बढ़ाते हैं. ये इसे न केवल सामरिक दृष्टिकाेण से सुरक्षित करते हैं, बल्कि पर्यावरण के साथ पर्यटन की दृष्टि से भी संपन्नता प्रदान करते हैं.
प्राकृतिक सुषमा से आच्छादित गयाजी देश का राजनीतिक केंद्र बनने की पूरी अर्हता रखता है. हाल के वर्षाें में पहाड़ाें व नदियाें का जबर्दस्त तरीके से दोहन हुआ. इसकी वजह से मुख्य रूप से गया शहर में पानी की किल्लत बनी रहती है. इसके समाधान के लिए भी वर्षाें से याेजनाआें पर काम जारी है पर अब तक काेई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है.
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