गया से लौटकर अनुज शर्मा
यह मोक्ष की नगरी गया है. बिन पेड़ का पहाड़ और बिन पानी की नदी वाली भगवान बुद्ध की धरती गया गुरुवार को दो मांझियों की सियासी मांझा कहीं सुलझता तो कहीं उलझता दिखा. छह विधानसभा क्षेत्र के 16.98 लाख वोटर वाली सुरक्षित लोकसभा सीट पर उम्मीदवार भले ही 13 रहे, लेकिन मुकाबला सीएम रह चुके जीतनराम मांझी व विजय मांझी के बीच रहा. कड़ी धूप में भी वोटरों का उत्साह कम नहीं हुआ. यहां पूर्व सीएम अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान पीएम से जूझते दिखे. वहीं, विजय मांझी का कद हार-जीत दोनों स्थितियों में बढ़ता दिखा.
आरएमपी स्कूल खरखूरा में बने बूथ नंबर 22 में वोट देकर निकले बीरेंद्र कुमार वत्स दोनों के बीच 60 अनुपात 40 की लड़ाई बताते हैं. यहां 15 मिनट देरी से मतदान शुरू हुआ. पूर्व सीएम के मुकाबले विजय का कद छोटा होने के सवाल पर वत्स उचक पड़ते हैं, कहते हैं, नरेंद्र मोदी और नीतीश का तो कद छोटा नहीं है. जीतनराम मांझी जीत भी गये तो देश थोड़े ही चलायेंगे.
कई जगहों पर मिश्रित हवा
जिला उद्योग केंद्र बूथ संख्या 29, 30 में मिश्रित हवा थी. गया उच्च एवं मध्य विद्यालय गया के बूथ नंबर 36, 37, 40 तक लोग इ-रिक्शा से पहुंच रहे थे. करीमगंज के तनवीर आलम, सालों बाद दुबई से लौटे फतहुल इस्लाम, मनहाग खातून पर पुराना वोटर कार्ड था, लेकिन वोटर लिस्ट में नाम नहीं होने के कारण वोट नहीं डाल सके. 12वीं पास मोहम्मद शमीम, जूता कारोबारी इकबाल अहमद महागठबंधन की तारीफ कर रहे थे.
महिलाओं के चेहरे पर दिख रही थी चमक
मदरसा अनवारूल उल्लुम के बूथ् नंबर 94 पर वोट करने आयी महिलाओं के चेहरे पर चमक दिख रही थी. यहां के वोटर का नजरिया भी गया का विकास , स्वास्थ्य सेवाएं ओर जलमाव था. युवा वोटर सबा शुमाइरा, इंशा शाहीन विकास के लिए वोट देकर लौटी थीं.
हालांकि गृहिणी शबाना और नाजिया परवीन कहती हैं कि दोनों उम्मीदवार हिंदू हैं, लेकिन उनका वोट दंगा फसाद और तीन तलाक की बात न करने वालों को गया है. दोपहर तीन बजे मतदान के बाद पेट्रोल पंप पर पहुंचे एक बाइक पर सवार सब्जी बेचने वाले बंटी केसरी और फेरी लगाने वाले प्रभु कुमार साथ होकर भी विचार अलग थे. दोनों कारोबारी हैं.