बोधगया: मनरेगा योजना के तहत गांवों में लगाये गये पौधों व उसके संरक्षण को लेकर उठे सवाल के बाद संबंधित पंचायतों के मुखिया अब इसकी जांच में जुट गये हैं. इसी क्रम में शुक्रवार को मोरामर्दाना पंचायत के मुखिया सीताराम यादव ने पंचायत के विभिन्न गांवों में लगाये गये पौधों की जांच की.
मुखिया ने इस दौरान पौधों को संरक्षित कर रहे वन पोषकों से पूछताछ की व शेष बचे पौधों की हिफाजत करने का निर्देश दिया. जांच के क्रम में मुखिया श्री यादव ने पाया कि श्रीसहनीचक में लगाये गये 800 पौधों में से 450 जीवित हैं. इसी तरह खरौना आहर पर लगे तीन हजार में से 1368 पौधे, असनी में तीन हजार में से 500 पौधे, पनेर में तीन हजार में से 1100 पौधे व सहनु गांव में लगे एक हजार में से तीन सौ पौधे अभी जीवित हैं.
हालांकि, दो साल गुजरने के बाद भी पौधों में विकास नहीं देखा जा रहा है. मुखिया ने बताया कि वन पोषकों को समय पर मजदूरी नहीं मिलने के कारण पौधों की हिफाजत करना छोड़ दिया. श्रीसहनीचक में वन पोषक राजेश पासवान ने बताया कि इस वर्ष सिर्फ 15 दिनों की मजदूरी मिली है. फिर भी वह पौधों की हिफाजत में लगे हैं. इसी तरह वन पोषक अंगरेज पासवान ने बताया कि समय पर मजदूरी नहीं मिलने के कारण पौधे बरबाद हो गये. उधर, अतिया पंचायत के मुखिया मुनिया देवी के प्रतिनिधि राजेश पासवान ने बताया कि मनरेगा कार्यालय द्वारा औसत के आधार पर पौधों की गणना की गयी थी. उन्होंने वन पोषकों को मजदूरी देने में विलंब होने में मनरेगा के अधिकारियों को दोषी बताया है.