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महीने का वेतन “32 हजार गाड़ी पर फूंक रहे 58 हजार, हाल नगर निगम में तैनात सिटी मैनेजर का, भाड़े की गाड़ियों के साथ निगम ने नहीं लिया ड्राइवर
गया : नगर निगम में सब कुछ सही चले ऐसा हो ही नहीं सकता है. यहां अधिकारियों को महीने में जितना वेतन मिल रहा है, उससे दोगुना खर्च उनके वाहनों पर किया जा रहा है. मामला सिटी मैनेजर से जुड़ा हुआ है. बताया जाता है कि नगर निगम में दो सिटी मैनेजर हैं. दोनों सिटी […]
गया : नगर निगम में सब कुछ सही चले ऐसा हो ही नहीं सकता है. यहां अधिकारियों को महीने में जितना वेतन मिल रहा है, उससे दोगुना खर्च उनके वाहनों पर किया जा रहा है. मामला सिटी मैनेजर से जुड़ा हुआ है. बताया जाता है कि नगर निगम में दो सिटी मैनेजर हैं. दोनों सिटी मैनेजर आवास, शौचालय व सफाई व्यवस्था के नोडल पदाधिकारी हैं.
इनका काम होता है कि कहीं परेशानी होने पर मौके पर पहुंच कर उसकी पड़ताल करना और उसका हल निकालना. निगम ने सफाई व्यवस्था व सिटी मैनेजर के लिए एक-एक स्कॉर्पियो भाड़े पर ले रखी है. उन दोनों वाहनों का तेल खर्च तो निगम देता ही है. साथ ही एक वाहन के ड्राइवर का भी खर्चा अतिरिक्त उठा रहा है.
एग्रीमेंट को ताक पर रख कर किया जा रहा काम : निगम सूत्रों का कहना है कि गाड़ी भाड़े पर लेते समय ड्राइवर देना भी तय था. एग्रीमेंट में इस बात को अंकित किया गया है. इसके बाद भी प्राइवेट गाड़ी देनेवाले को फायदा पहुंचाने के लिए उससे ड्राइवर नहीं लिया गया है. निगम एक ड्राइवर पर लगभग 10 हजार रुपये और तेल पर 20 हजार से अधिक प्रत्येक माह खर्च कर रहा है.
जिप्सी रहते हुए भाड़े पर ली गयी गाड़ी
सफाई व्यवस्था देखने के लिए नगर निगम में जिप्सी खरीद कर विकास शाखा में रखी हुई है. निगम सूत्रों का कहना है कि सिटी मैनेजर स्कॉर्पियो से चलने के हकदार नहीं हैं. इसके बाद भी यहां कई वर्षों से स्काॅर्पियो वाहन का उपयोग कर रहे हैं. जानकारों का कहना है कि इस मामले में कई बार सवाल उठाये गये हैं. लेकिन, अधिकारी हर बार अनसुनी कर ही मामले को टालते रहे हैं. इस बार सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी नयी टीम को मिलने के बाद यह सारा मामला सामने आया है. नगर आयुक्त की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि पुरानी गाड़ी जिसे प्रभारी सफाई निरीक्षक ने छोड़ा है उसका इस्तेमाल भी सिटी मैनेजर ही करेंगे. कभी अगर जरूरत होती है, तो सिटी मैनेजर की अनुमति पर ही गाड़ी का इस्तेमाल अन्य लोग करेंगे. निगम कार्यालय सूत्रों का कहना है कि मुख्य तौर पर सफाई व्यवस्था देखने की जिम्मेदारी सहायक नोडल पदाधिकारी की होती है. इन्होंने साफ कहा है कि गाड़ी की जरूरत नहीं है. जरूरत पड़ने पर विकास शाखा में खड़ी जिप्सी से काम चला लिया जायेगा.
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