जितेंद्र मिश्र
गया : कचरे से बिजली उत्पादन व जैविक खाद बनाने की बातें लंबे समय से चर्चा में है. गया शहर में पितृपक्ष के दौरान पूजा-पाठ के बाद निकलने वाले वेस्टेज से जैविक खाद बनाने की बात पिछले वर्ष से चल रही है. वेस्टेज से खाद बना कर अपनी मुहर के साथ किसानों तक पहुंचाने की योजना बनायी गयी थी. इससे निगम की आय में वृद्धि की बात भी बतायी गयी थी. क्योंकि, पितृपक्ष के दौरान हर दिन विभिन्न वेदियों से आठ से 10 टन पिंडदान का वेस्टेज निकलता है.
उससे खाद बनाने के लिए विष्णुपद मंदिर के आस-पास आठ जगहों पर प्रोसेसिंग मशीनें लगाने की बात मेला शुरू होने से पहले हुई थी. मशीन आठ जगहों में स्थायी तौर पर लगानी है. निगम अधिकारी की बात मानें, तो जेम पोर्टल से मशीन खरीद के लिए टेंडर भी फाइनल कर लिया गया, लेकिन अब तक मशीनों की सप्लाइ नहीं दी गयी है. मशीन नहीं आने की स्थिति में निगम ने आनन-फानन में नैली डंपिंग जोन में ही पिंडदान के वेस्टेज को भेजना शुरू कर दिया है. अधिकारी बताते हैं कि बांस के किट तैयार किये गये हैं. यदि मशीन आ जाती, तो उससे वेस्टेज की खाद कुछ मिनट में तैयार कर ली जाती.
पिछले वर्ष सूअर ने बर्बाद कर दिये थे बांस के किट : गौरतलब है कि पिछले वर्ष बांस के किट बना कर वन विभाग ट्रेनिंग सेंटर, कोशडिहरा में पिंडदान के वेस्टेज को जमा किया गया था. कुछ महीनों में वहां सूअर ने सब किट को ही बर्बाद कर दिया, जबकि यहां किट बनाने, वेस्टेज की छटनी, खाद बनाने के लिए निगरानी करनेवालों पर निगम ने लाखों रुपये खर्च किये थे. इस बार भी नैली डंपिंग जोन में खुले में ही किट बनाने की बात कही जा रही है.
खाद बनाने की कोशिश है जारी : नगर आयुक्त डॉ ईश्वर चंद्र शर्मा ने बताया कि मशीनें यहां मंगवाने के लिए बहुत प्रयास के बाद भी समय पर सफलता नहीं मिल सकी है. पिछले वर्ष भी किट बना कर खाद तैयार की गयी थी. जानवर किट को ही बर्बाद कर देते हैं.
मशीनें नहीं पहुंचने की स्थिति में नैली डंपिंग जोन में कचरा पहुंचाया जा रहा है. वहां पहले से बने बांस के किट में खाद बनाने का प्रयास किया जा रहा है.