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पुलिस जीप उड़ानेवाला हार्डकोर नक्सली गिरफ्तार
कुटुंबा : अंबा थाना क्षेत्र के मंझोली गांव के पुलिस इंस्पेक्टर रणविजय सिंह का घर व टंडवा पुलिस की जीप उड़ानेवाले हार्डकोर नक्सली नागेश्वर सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. अंबा थानाध्यक्ष पंकज कुमार व नवीनगर के दारोगा सुभाष राय की संयुक्त कार्रवाई में नक्सली को गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने बताया कि अंबा […]
कुटुंबा : अंबा थाना क्षेत्र के मंझोली गांव के पुलिस इंस्पेक्टर रणविजय सिंह का घर व टंडवा पुलिस की जीप उड़ानेवाले हार्डकोर नक्सली नागेश्वर सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. अंबा थानाध्यक्ष पंकज कुमार व नवीनगर के दारोगा सुभाष राय की संयुक्त कार्रवाई में नक्सली को गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने बताया कि अंबा थाना के कांड संख्या 54/14 में नक्सली नामजद आरोपित था.
घटना काे अंजाम देकर वह फरार चल रहा था, काफी दिनों से उसकी तलाश थी. विस्तृत जानकारी देते हुए पंकज कुमार ने बताया कि उक्त नक्सली नवीनगर थाना कांड संख्या 84/05, 68/11, 66/12, 167/12, 174/13,179/14,23/12, अंबा थाना कांड संख्या 14/14, नरारी कला थाना कांड संख्या 23/12, माली थाना लूट कांड संख्या 18/01 कुटुंबा थाना कांड संख्या 94/14 तथा 89/14 का नामजद आरोपित है.
जानकारी के अनुसार, नवीनगर इंस्पेक्टर के मीटिंग से लौटने के क्रम में सड़क में बारूद लगाकर पुलिस जीप को उड़ा दिया था. इस घटना में उस समय के तत्कालीन टंडवा थानाध्यक्ष अजय कुमार सहित आठ पुलिस कर्मी शहीद हो गये थे.
आत्मसमर्पण के बाद चर्चे में
अंबा पुलिस द्वारा जिस हार्डकोर नक्सली की गिरफ्तारी की गयी है, उसके चर्चे शहर में हैं. नौ दिसंबर 2015 को मदनपुर में सरकार के प्रत्यर्पण संधि के अनुसार तीन नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था और मुख्यधारा से जुड़ कर शेष जीवन व्यतीत करने की इच्छा जाहिर की थी.आत्मसमर्पण करने वालों में एक लाख का इनामी सब जोनल कमांडर संजय यादव, आनंदी सिंह उर्फ आनंद किशोर सिंह तथा एरिया कमांडर नागेश्वर सिंह शामिल थे.
आत्मसमर्पण के बाद सभी नक्सली सरकार के नीतियों के अनुसार जेल भी गये और उनके परिजनों को बेहतर जीवन व्यतीत करने के लिए एक मुश्त राशि भी दी गयी थी. प्रश्न यह उठता है कि जो नक्सली मुख्यधारा से जुड़ने के लिए अपने हथियार छोड़ पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया था तो रविवार को फिर उसे किस आधार पर गिरफ्तार किया गया? यहां पर सवाल खड़ा होता है कि जब 2015 में उक्त नक्सली आत्मसमर्पण किया तो पुलिस ने सभी कांडो में रिमांड पर लिया और न ही न्यायालय में सभी कांडो में आत्मसमर्पण कराया .
कहीं न कहीं पुलिस पदाधिकारियों की लापरवाही की चर्चा सरेआम हो रही है. चर्चाओं के अनुसार यदि पुलिस जिस कांड में गिरफ्तार कर जेल भेजी है, उसी कांड में उसी वक्त रिमांड पर ले लेती तो शायद गिरफ्तार नक्सली नागेश्वर और कुछ दिन के बाद जमानत पर रिहा होता. थानाध्यक्ष पंकज कुमार से मोबाइल पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिस कांड में गिरफ्तार किया गया है उस कांड में नक्सली नागेश्वर ने जमानत नहीं ली थी.
जब उनसे पूछा गया कि जेल में रहते वक्त क्यों नहीं उनको उक्त कांड में रिमांड किया गया तो उन्होंने फोन काट दिया. जब इस संबंध में एएसपी (अभियान) राजेश कुमार सिंह से बात किया गया, तो उन्होंने बताया कि कांड संख्या 54 /14 में न्यायालय द्वारा वारंट निर्गत किया गया था, जिसके आधार पर गिरफ्तार करते हुए जेल भेजा गया है.
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