6896 किमी पैदल चल कर पहुंचे गया
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बाल भिक्षावृत्ति राेकने को आशीष करेंगे 17,000 किमी पदयात्रा
6896 किमी पैदल चल कर पहुंचे गया भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय व डीएम से भी की मुलाकात गया : भिक्षावृत्ति न सिर्फ मजबूरी, बल्कि आदत सी बन गयी है. काम से अपने काे दूर करने के लिए कई लाेग भिक्षावृृत्ति करने लगते हैं. यह समाज के लिए काेढ़ भी है. सड़कों पर भीख […]
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय व डीएम से भी की मुलाकात
गया : भिक्षावृत्ति न सिर्फ मजबूरी, बल्कि आदत सी बन गयी है. काम से अपने काे दूर करने के लिए कई लाेग भिक्षावृृत्ति करने लगते हैं. यह समाज के लिए काेढ़ भी है. सड़कों पर भीख मांगते बच्चों को लगभग हम हर रोज देखते हैं. हर राेज उनके कटाेरे में पैसे व नसीहत दिये जाते हैं.
कुछ लाेग इसके लिए सरकार काे काेसते सुने जाते हैं. वैसे हर प्रदेश में भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए सरकारी स्तर पर विभाग भी हैं और योजनाएं भी. ऐसे में दिल्ली के युवा इंजीनियर आशीष शर्मा ने बाल भिक्षावृत्ति रोकने के लिए एक अनोखा अभियान शुरू किया है.
आशीष पूरे देश में 17 हजार किलोमीटर की पदयात्रा कर इसे रोकने के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं. गुरुवार की शाम इस दाैरान वह अब तक की 6896 किलाेमीटर की पदयात्रा कर गया पहुंचे. बिहार में अब तक बक्सर, आरा, छपरा, पटना हाेते वह गया पहुंचे हैं. शुक्रवार काे सर्किट हाउस में आशीष भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद नित्यानंद राय व समाहरणालय में डीएम अभिषेक सिंह से मिले. गया में दाे दिन ठहरने के बाद यहां से आगे जाने की प्लानिंग है.
अब तक प्रांताें में की गयी पदयात्रा : अभी तक जम्मू, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गोवा, दमन, सिलवासा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर-प्रदेश का सफर तय कर चुके हैं, जहां दाे करोड़ से अधिक बच्चे भीख न देने की शपथ ले चुके हैं.
68 % बच्चे करते हैं अपराध, युवा पीढ़ी को जोड़ना लक्ष्य
आशीष के मुताबिक भिक्षावृत्ति से जुड़े ऐसे ही बच्चाें में 68 प्रतिशत बच्चे अपराध में लिप्त हाे जाते हैं. अपनी आकांक्षाआें व इच्छा की पूर्ति के लिए वह भिक्षावृत्ति की आड़ में अपराध की दुनिया में भी कदम रखते हैं. आशीष ने बताया वह कक्षा छह से ही वृद्धाश्रम जा रहे हैं. यह एहसास हुआ कि इस समस्या की जड़ में बच्चे ही हैं. अगर बच्चे ही खुश नहीं होंगे तो बुजुर्ग कैसे सुखी रह सकेंगे. तभी से सड़काें पर भीख मांगने बैठे बच्चाें के लिए कुछ करने काे ठाना. वह बताते हैं कि व्यक्तिगत रूप से 50 से 100 बच्चों से ही वह मिल सकते थे इसलिए अपने लक्ष्य को पाने के लिए पूरी युवा पीढ़ी को जोड़ने की शुरुआत की. मैकेनिकल इंजीनियर आशीष ने देश को बाल भिक्षावृति से मुक्त करने के लिए जॉब छोड़ दी और 22 अगस्त 2017 से इसे पूरा करने के लिए पदयात्रा पर निकले पड़े. ‘दुआएं फाउंडेशन’ के तहत 17 हजार किलाेमीटर की पदयात्रा को आशीष ने ‘उन्मुक्त इंडिया’ का नाम दिया है. इस अभियान के तहत देश के 29 राज्यों व सात केंद्र शासित राज्यों के 4900 गांवों में बाल भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए जागरूक किया जायेगा.
बाल भिक्षावृत्ति राेकने के लिए बना रहे हैं एप
अपने इस अभियान के तहत आशीष स्कूल, कॉलेजों के प्रिंसिपल व अधिकारियों से भी मिल कर जागरूकता फैलाने के लिए सहयोग मांग रहे हैं आैर मिल भी रहा है. आशीष बताते हैं आगामी 14 जून 2019 को ‘उन्मुक्त दिवस’ मनाने की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें कोशिश है 10 लाख लोगों को एक साथ जोड़ने की. वह चाहते हैं कि इस आयोजन में लोग भीख मांगने वाले बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने व एक आदर्श समाज बनाने की शपथ लें. आशीष एक मोबाइल एप भी डेवलप कर रहे हैं,
जिसकी मदद से पांच किलोमीटर के दायरे में किसी भी बाल भिक्षुक के दिखने पर उसकी जानकारी उक्त एप पर अपलोड की जाये, ताकि आसपास के पुलिस अधिकारी व अनाथाश्रम उस बच्चे की मदद कर सकें.
लाेगाें से अपील : आप भीख देना बंद कर देंगे, ताे बच्चे ऐसे दलदल में जाने से खुद ही दूर हाे जायेंगे. ऐसे बच्चाें काे गाली न दें, घृणा न करें. उनके उत्थान की साेचें. उन्हें मदद करें, सहारा दें, शिक्षित करने की पहल करें, ताकि वह समाज की मुख्यधारा से जुड़कर राष्ट्र के लिए कुछ करने के लायक बन सकें.
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