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गया के लोगों ने मार्च में भी नौ दिन ली खतरनाक सांस, पीसीबी मौन

जिला प्रशासन के स्तर पर भी कोई पहल नहीं पीएम 2.5 का स्तर 300 के पार रहा फरवरी व अप्रैल में हालात रहे चिंताजनक आशीष गया : गया के लोगों ने मार्च माह में भी नौ दिन सबसे खतरनाक सांस ली. इस दौरान पीएम 2.5 का स्तर 300 के आंकड़े को पार रहा. हैरानी की […]

जिला प्रशासन के स्तर पर भी कोई पहल नहीं
पीएम 2.5 का स्तर 300 के पार रहा
फरवरी व अप्रैल में हालात रहे चिंताजनक
आशीष
गया : गया के लोगों ने मार्च माह में भी नौ दिन सबसे खतरनाक सांस ली. इस दौरान पीएम 2.5 का स्तर 300 के आंकड़े को पार रहा.
हैरानी की बात यह रही कि इस पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने भी कोई ध्यान नहीं दिया. हालांकि पीएम 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) के अलावा प्रदूषण फैलाने वाले दूसरे गैस एसओ टू, एनओ टू, सीओ व ओजोन का स्तर सामान्य रहा है. चौकानी वाली बात यह रही है कि पीएम 2.5 का स्तर सुबह दस बजे से लेकर दोपहर 12 बजे और शाम चार बजे के बाद 300 के आंकड़े के पार रहा है. वहीं, फरवरी माह में भी पीएम 2.5 का स्तर थोड़ा परेशान करनेवाला रहा है. जबकि अप्रैल में दो बार पीएम 2.5 का स्तर 300 के आंकड़े के पार रहा. फरवरी से अप्रैल के बीच बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद की ओर से गया के खतरनाक होते प्रदूषण को लेकर कोई पहल नहीं की गयी है. वहीं, जिला प्रशासन ने भी इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया.
फरवरी से अप्रैल तक गया का एयर क्वालिटी इंडेक्स : सेंट्रल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार गया का एयर क्वालिटी इंडेक्स छह फरवरी को 201, सात को 260,आठ को 217, 11 को 261, 12 को 256, 21 को 268, 22 को 276, 23 को 258, 24 को 286 और 25 को 268 मापा गया. वहीं मार्च महीने की बात करें तो दो व 14 मार्च को 308, 18 को 302, 21 को 315, 22 को 318, 23 को 328, 24 को 343, 25 को 312, 27 को 376, 28 को 356, 29 को 346, 30 मार्च को 379 रहा. वहीं, अप्रैल में 14 को 260, 15 को 309, 16 को 297, 18 को 283, 19 को 364, 22 को 268, 25 को 393 एयर क्वालिटी इंडेक्स मापा गया.
30 डिग्री से अधिक रहा मार्च व अप्रैल का तापमान : मार्च से अप्रैल के बीच जिस दाैरान गया का प्रदूषण सबसे खतरनाक स्तर पर रहा उस दौरान गया का तापमान भी 30 डिग्री से अधिक दर्ज किया गया है.
जानकार बताते हैं कि तीन ओर पहाड़ी से घिरे होने के कारण और तापमान में बढ़ोतरी के कारण जैसे-जैसे हवा पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है यहां बाहर से आनेवाले धूल कणों में इजाफा होता जाता है. 21 मार्च को गया का तापमान अधिकतम 37 व न्यूनतम 18 डिग्री रहा, वहीं 22 मार्च से 29 मार्च के दौरान अधिकतम तापमान 37, जबकि न्यूनतम 20 डिग्री दर्ज किया गया. इसी प्रकार 15 अप्रैल को गया का अधिकतम तापमान 40 व न्यूनतम 21, 19 अप्रैल को अधिकतम 40 व न्यूनतम 24 और 25 को अधिकतम 39 व न्यूनतम 21 दर्ज किया गया है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
गया में पीएम 2.5 का स्तर अगर खतरनाक लेवल पर पहुंचा है तो इसकी पीछे बारह से आ रहे धूलकण हैं. पश्चिम से पूर्व की ओर हवा बहने के कारण यहां बाहर से धूलकण आ रहा है. यहां तापमान अधिक रहने से पहले से ही मौजूद धूलकण दूसरी ओर नहीं मूव कर पा रही है.
मार्च व अप्रैल के महीने में इसका लेवल 300 के पार कर जाना निश्चित ही गंभीर खतरे की ओर इशारा करता है. उपायों से प्रदूषण को कम किया जा सकता है. गया के भौगोलिक परिदृश्य को देखते हुए यहां ऐसे पौधे लगाये जायें जो कम समय में बड़े होते हैं और उन गैसों को कम करते हैं जो वातावरण को नुकसान पहुंचाते हैं.
डॉ राम कुमार, हेड, सेंटर फॉर एंवायर्नमेंटल साइंस, सीयूएसबी
क्या कहते हैं अधिकारी
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट को लेकर बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पत्र लिखा गया है. ताकि प्रदूषण के कारणों की समीक्षा की जा सके. हालांकि इस रिपोर्ट में पीएम 2.5 को ही आधार बनाया गया है जबकि प्रदूषण को मापने के लिए कई दूसरे तत्व भी होते हैं.
यह रिपोर्ट 2016 की है, मुझे जानकारी दी गयी है कि 2016 में गया में काफी लू चला था. एक कारण यह भी हो सकता है प्रदूषण बढ़ने का. हम कई स्तरों पर इस रिपोर्ट की समीक्षा करेंगे इसमें गाड़ियों से निकलने वाला धुआं और हवा में मौजूद खतरनाक गैसों का स्वास्थ्य पर पड़ने वाला असर शामिल है. जिला प्रशासन गया को प्रदूषण से करने के लिए हर संभव कदम उठायेगा.
अभिषेक सिंह, डीएम

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