गया: लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता समाप्त होने के बाद शहर के भवनों का स्वयं कर मूल्यांकन शुरू किया जायेगा. इसके लिए सभी टैक्स कलेक्टरों को निगम प्रशासन ने जरूरी दिशा निर्देश दिये हैं.
मंगलवार को नगर आयुक्त रामविलास पासवान ने निगम के सभी अधिकारियों के साथ राजस्व वृद्धि को लेकर बैठक की. इस दौरान उन्होंने सभी टैक्स कलेक्टरों से वार्डो में राजस्व की स्थिति की रिपोर्ट ली. बैठक में भवन कर का मूल्यांकन प्रमुख विषय रहा. सपोर्ट प्रोग्राम फॉर अरबन रिफॉर्म (स्पर) के अधिकारियों ने करों के मूल्यांकन के लिए कई सुझाव भी दिये. इस दौरान भवन मालिकों के लिए स्वयं कर निर्धारण की प्रक्रिया को जल्द शुरू करने का निर्णय हुआ. इसके तहत सभी टैक्स कलेक्टर अपने-अपने वार्डो के भवन मालिकों को फॉर्म उपलब्ध करायेंगे. भवन मालिक अपने घरों के वर्ग क्षेत्र और अन्य चीजों का मूल्यांकन कर फॉर्म में भरेंगे. भरे हुए फॉर्म को भवन मालिक वापस टैक्स कलेक्टर सौपेंगे. इसके बाद निगम के अधिकारियों की एक टीम द्वारा वेरिफिकेशन किया जायेगा. पूरी प्रक्रिया के बाद भवनों के स्वयं कर का निर्धारण किया जायेगा. आचार संहिता के समाप्त होते ही इस प्रक्रिया को शुरू रिने पर सहमति बनी. बैठक में स्पर थिमेटिक टीम के चीफ रोशन भटनागर, म्यूनिसिपल फाइनेंस एसोसिएट रंजन कुमार,राजस्व विशेषज्ञ प्रणव झा, सिटी मैनेजर प्रकाश कुमार व राजस्व पदाधिकारी विजय कुमार सिन्हा समेत कई अन्य अधिकारी व टैक्स कलेक्टर मौजूद थे.
2006 में हुआ था मूल्यांकन
विभागीय जानकारी के अनुसार, वित्त वर्ष 2006-07 में निगम क्षेत्र के भवनों का मूल्यांकन किया गया था. वर्तमान में निगम क्षेत्र में लगभग 59 हजार होल्डिंग हैं. इस बार मूल्यांकन होने के बाद इसमें निश्चित तौर पर बढ़ोतरी होगी, क्योंकि हाल के वर्षो में कई नये भवनों का निर्माण हुआ है. इसके अलावा कई भवनों का अतिरिक्त निर्माण हुआ है, लेकिन इनका मूल्यांकन नहीं हो सका. इस वजह से भी निगम को राजस्व की क्षति हो रही है. बैठक के दौरान भी अधिकारियों ने इस मसले पर भी चर्चा की. राजस्व कम होने से कर्मचारियों के वेतन के अलावा अन्य कार्यो में भी समस्या आती है. इसलिए अधिकारियों ने जल्द ही स्वयं कर मूल्यांकन की प्रक्रिया को शुरू करने पर बल दिया. गौरतलब है कि राज्य सरकार की ओर से पिछले वर्ष ही स्वयं कर मूल्यांकन प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया गया था, लेकिन नगर निगम इसे पूरी तरह से लागू नहीं करा सका था.